उच्चतम न्यायालय ने एक महिला को 24 हफ्ते के गर्भ को गिराने की अनुमति दे दी है। चिकित्सा जांच में पाया गया था कि उसके गर्भ में पल रहे बच्चे का सिर नहीं है। न्यायालय ने कहा कि अगर मां के जीवन को खतरा है तो गर्भपात कराया जा सकता है। शीर्ष न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया है कि गर्भपात की पूरी प्रक्रिया चिकित्सकों की एक टीम द्वारा कराई जाएगी जो इसका पूरा रिकार्ड रखेगी। सात चिकित्सकों वाले बोर्ड की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए न्यायालय ने कहा कि गर्भ में पल रहे शिशु के सर न होने के कारण जन्म के बाद उसे जीवित रखना संभव नहीं होगा। इस रिपोर्ट के बाद मुम्बई की रहने वाली महिला ने गर्भपात के लिए न्यायालय से इजाजत मांगी थी।