डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय-
शाहीनबाग़ से निकल कर आनेवाले कुछ मार्गों को दिल्ली-पुलिस-प्रशासन ने रोक लिया है, जिससे कि शाहीनबाग़ में शान्तिपूर्ण आन्दोलन कर रहीं महिलाओं को आरोपित कर, उन्हें अपमानित किया जाये। यही कारण है कि उच्चतम न्यायालय की ओर से संवाद करने के लिए निर्धारित व्यक्ति शाहीनबाग़ के उन रास्तों को समझने के लिए निकले थे। उन्होंने वहाँ देखा कि पुलिस ने ‘छद्म सुरक्षा-व्यवस्था’ के नाम पर जिन रास्तों पर अपना क़ब्ज़ा किया है, वह जनसामान्य के जाने के लिए मार्ग है।
आन्दोलनकारी महिलाएँ शुरू से कहती आ रही हैं कि जनसामान्य के लिए जानेवाले सभी मार्गों को वे अवरुद्ध कर नहीं बैठी हुई हैं। खेद है कि स्वयं को सबसे तेज़, सबसे विश्वसनीय आदिक कहकर अपनी पीठ ठोंकनेवाले मीडिया के ‘कैमरेबाज़’ और ‘ख़बरबाज़’ आज तक यह न तो दिखा सके और न ही बता सके हैं कि शाहीनबाग़ के पास के मार्गों को पुलिसवाले अपने अधिकारक्षेत्र में ला चुके हैं।
(सर्वाधिकार सुरक्षित– डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; २० फ़रवरी, २०२० ईसवी)