अहंकार का अभाव होना ही है “उत्तम मार्दव धर्म:-जैन

(उत्तम मार्दव धर्म के रूप में मनाया दूसरा दिन)
बिल्सी:-नगर के मोहल्ला संख्या आठ साहबगंज स्थित श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में जैन धर्म के चल रहे 10 दिवसीय पर्यूषण पर्व के दूसरे दिन उत्तम मार्दव धर्म के रुप मे मनाया गया यहां सबसे पहले जैन श्रावकों द्वारा चौबीस तीर्थंकर भगवान का मंगल जलाभिषेक एवं शांति धारा की गई इसके पश्चात पर्युषण पूजा एवं णमोकार मंत्र का पाठ किया गया। मीडिया प्रभारी प्रशांत जैन ने बताया कि मान के अभाव को मार्दव धर्म कहते हैं ! – मार्दव का अर्थ होता है, मृदुता(कोमलता) का होना या मृदु होने की अवस्था/भाव का होना । कोमलता का भाव होने और मान/मद/अभिमान/अहंकार का अभाव होने को “उत्तम मार्दव, कहते है उन्होंने कहा कि
यह पर्व महावीर स्वामी के मूल सिद्धांत अहिंसा परमो धर्म, जिओ और जीने दो की राह पर चलना सिखाता है तथा मोक्ष प्राप्ति के द्वार खोलता है। इस पर्वानुसार- ‘संपिक्खए अप्पगमप्पएणं’ अर्थात आत्मा के द्वारा आत्मा को देखो।इसी क्रम में बच्चो की धार्मिक धुनों पर नृत्य प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें निर्णायक मंडल द्वारा आराध्या जैन अव्वल रही ।इस मौके पर अनिल जैन,अरविंद जैन,अभिषेक जैन,नीलम जैन,ज्योति जैन,स्तुति जैन मौजूद रही ।