एगो भोजपुरी होइ जाइ

— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

बउराइ गइल मनवाँ,
अझुराइ गइल मनवाँ।
कबो घाम कबो छाहीं,
खउराइ गइल मनवाँ।
झमझमाझम बूनी,
सझुराइ गइल मनवाँ।
सोझा तहरा होखते,
भहराइ गइल मनवाँ।
चिंहुकला से ओकरा,
अगराइ गइल मनवाँ।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ४ जुलाई , २०२० ईसवी)