डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय-
आज सम्पूर्ण देश में ‘महँगाई’ बुरी तरह से अपने पैर फैला चुकी है; अफ़सोस! इस विषय पर देश की सरकार ‘दिव्यांग’ सिद्ध हो चुकी है। वह किंकर्त्तव्यविमूढ़ बन चुकी है, इसीलिए वह देश की जनता को एक-के-बाद-एक उलझन में फँसाती जा रही है। जिस निर्णय-नीति-योजना-परियोजना के क्रियान्वयन् से देश के सामान्य जन की आर्थिक स्थिति सुखकर हो सकती है, उन्हें ‘ठण्डे बस्ते’ में डाल दिया गया है। सरकार जानती है कि देश में ‘हिन्दू बनाम मुसलमान’ का वातावरण उत्पन्न कर दो, जितने बेरोज़गार, भूखे-नंगे दिख रहे हैं, सब-के-सब बिना सोचे-समझे उस “जय श्री राम” और “अल्लाहो अक्बर” की साम्प्रदायिक आग में कूद पड़ेंगे। इससे महँगाई का मुद्दा ठण्ढा पड़ जायेगा और सरकार कट्टर हिन्दूवादी सिद्ध होकर लोकप्रियता पाती रहेगी। कुछ समय बाद हिन्दुत्व की ध्वजा लहरानेवाले तथाकथित लोग जब ठगा हुआ महसूस करेंगे तब बेचैन हो उठेंगे। सरकार फिर कोई उपक्रम करेगी और हिन्दुओं को ठगती रहेगी। इस तरह से ‘चौकीदार’ देश को अपने चंगुल में फँसाकर निर्ममतापूर्वक शासक बना रहेगा और ‘दो कौड़ी’ की औक़ातवाले विपक्षी दल छिन्न-भिन्न होते नज़र आते रहेंगे।
आज देश में करोड़ों की संख्या में हिन्दू युवा बेरोज़गार हैं, जिनमें से अधिकतर दो-चार सन्तानों के बाप भी बन चुके हैं। ऐसे में, उनमें से कुछ अन्धभक्त बनकर ‘कथित हिन्दूवादी’ सरकार की ‘टेम्पो हाइ’ करने से चूकते नहीं, जबकि अधिकतर की आर्थिक स्थिति शोचनीय है। कुछ ‘रिटायर’ हो चुके हैं; जीवन से भी ‘टर्मिनेट’ होनेवाले हैं, उनमें से कई सरकार का गुणगान करते नज़र आते हैं; कुछ ऐसे हैं, जिन्हें ‘हिन्दुत्व’ की समझ बिलकुल नहीं, वे ५६ इंच के ख़ान्दानी हिन्दू हैं; कुछ ऐसे भी हैं, जो तन-मन-धन से दरिद्र हो चुके हैं; किन्तु ‘हिन्दुत्व की लँगोटी’ का भगवा रंग दिखाते आ रहे हैं।
सरकारी सेवाओं में नयी नियुक्तियाँ ‘नहीं’ के बराबर हो रही हैं; निजी प्रतिष्ठान छँटनी करने में लगे हुए हैं; इस सरकार की तथाकथित ‘नोटबन्दी’ और ‘जी०एस०टी०’ की ग़लत नीतियों के चलते देश के लाखों लघु और मध्यम स्तर के उद्योग-धन्धे समाप्त हो चुके हैं, शेष बन्द होने की स्थिति में है।
जागो! और एक साथ अपनी आवाज़ उठाओ, वरना यह सरकार भूखों मारने की तैयारी कर चुकी है।
(सर्वाधिकार सुरक्षित : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १४ जनवरी, २०२० ईसवी)