डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला ◆ ‘अल्ला-अल्लाह’ को समझें :–

‘शब्द’ आप्त (प्रामाणिक, निष्णात)मनुष्य-द्वारा व्यक्त ज्ञान है। विज्ञ और पाठक-वर्ग को किसी भी ‘गर्हित मानव-कृत धर्म’ से स्वयं को पृथक् कर, ‘शब्द-संस्कार’ संवर्धन करने की सामर्थ्य अर्जित करनी चाहिए और अपने लोक में शब्द-संधान करना होगा।

★ अल्ला :– शब्द ‘संस्कृत-भाषा’ का शब्द है। यह स्त्रीलिंग-शब्द है। अल्ला शब्द ‘अल्’ धातु का है, जिसका अर्थ ‘आभूषण’ होता है। इस धातु के अन्त में ‘क्विप्’ प्रत्यय का संयोग है। इस प्रत्यय के लगते ही ‘अल्ला’ बनता है। इसका अर्थ ‘पराशक्ति’ अर्थात् ‘ईश्वर’ है।

★अल्लाह :– यह अरबी-भाषा का शब्द है; किन्तु यह पुल्लिंग-शब्द है। इसका अर्थ ईश्वर, ख़ुदा है। ‘ख़ुदा’ फ़ारसी-भाषा का पुल्लिंग-शब्द है, जिसका अर्थ ‘ईश्वर’ है।

(सर्वाधिकार सुरक्षित : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, इलाहाबाद; १९ अक्तूबर, २०१८ ईसवी)११