देशवासियों के निवाले छीनती ‘मोदी-सरकार’!…?


★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

● ‘न्यू इण्डिया की निर्मम मोदी-सरकार’ ने देशवासियों की आय के स्रोत को ‘दीमक’ की तरह से चाट लिया है। कथित घृणित सरकार ने ‘एक राष्ट्र-एक कर’ के नाम से छलावा करते हुए, जी० एस० टी० लागू कर आम जनता की कमर तोड़ दी है।
● इस निर्दय सरकार ने निर्लज्जता के साथ प्रतिदिन पेट्रोल-डीज़ल के मूल्यों में वृद्धि कराते हुए; अनावश्यक रूप से ‘एक्साइज ड्यूटी’ बढ़ा-बढ़ाकर देश की जनता, विशेषत: मध्यम वर्ग को ‘अधमरा’ बना दिया है।
● इस धूर्त्त सरकार ने बैंकिंग नीतियों में एक प्रकार से आमूल-चूल परिवर्त्तन करते हुए, जनसामान्य को मिलनेवाले ब्याज में इतनी अधिक कटौती कर दी है कि लोग विवशतावश ही बैंक जाते हैं।
● जिस महिला को देश का वित्तमन्त्री बनाया गया है, वह उतना ही करती है जितना कथित सरकार उसे करने के लिए कहती है।
● कोरोना-काल में जिस तरह से निजी क्षेत्र के उद्योग-धन्धे चौपट हुए थे और लाखों देशवासी पलक झपकते ही सेवाविहीन हो गये और कर दिये गये थे, उससे आज करोड़ों देशवासी भुखमरी का जीवन जीने के लिए बाध्य और विवश हो चुके हैं; किन्तु उसे लेकर मोदी-सरकार आज तक ‘मौन’ बनी हुई है।
● घरेलू गैस सिलिण्डर के मूल्यों में अप्रत्याशित वृद्धि कर, ‘मोदी ऐण्ड कम्पनी’ ने देश की महिलाओं का ‘परिव्यय’ (बजट) दुष्प्रभावित कर दिया है। अब अधिकतर परिवार को सोचना पड़ रहा है, क्या खायें और क्या न खायें।

ऐसी स्थिति में, इस निर्मम सरकार को उखाड़ फेंकने का मन बनाइए, अन्यथा ख़ुद को ‘चौकीदार’ और फ़क़ीर कहनेवाला गुजराती नरेन्द्र मोदी अगले पाँच वर्षों के भीतर देशवासियों के हाथों में ‘कटोरा’ थमवा देगा। इस कथित सरकार के समानान्तर जो भी दल दिखे, उसके पक्ष में मतदान कर इसकी साया से पीछा छुड़ाना है; क्योंकि नरेन्द्र मोदी सन्तानरहित है; उसके न कोई आगे है और न पीछे, इसलिए उसे इसका अनुभव नहीं है कि हमारे परिवार की मूल आवश्यकताएँ क्या हैं और क्या नहीं। इस व्यक्ति ने देशवासियों, विशेषत: मध्यम वर्ग को इतना रुलाया है कि यह ‘आदर’ और ‘सम्मान’ पूरी तरह से खो चुका है। नरेन्द्र मोदी के नाम के आगे ‘जी’ लगाते समय ‘हाथ’ काँपने लगते हैं, मानो कोई बहुत बड़ा पापकर्म कर रहे हों।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; २५ अक्तूबर, २०२१ ईसवी।)