वन्दे मातरम गीत देशभक्ति जगाता है

राजेश कुमार शर्मा “पुरोहित” (साहित्यकार)


वन्दे मातरम का अर्थ है मैं माता की वंदना करता हूँ। बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा संस्कृत बांग्ला मिश्रित भाषा मे इस गीत की रचना की थी। 1882 में उनके उपन्याद आनन्द मठ में अंतर्निहित गीत के रूप में वन्दे मातरम है। इसकी धुन यदुनाथ जी ने बनाई थी। 2003 में बीबीसी वर्ल्ड सर्विस द्वारा आयोजित एक अंतराष्ट्रीय सर्वेक्षण में सबसे मशहूर दस गीतों के चयन के दौरान दुनियां भर के 7000 गीतों को चुना गया था। जिसमें वन्दे मातरम गीत शीर्ष के दस गीतों में दूसरे स्थान पर आया था। 155 देशों के लोगो ने इसमे मतदान किया तब ये गीत परिणाम घोषित किया गया था।

15 अगस्त 1947 को जब भारत अंग्रेजी शासन से मुक्त हुआ तब जन गण मन की तुलना में वन्दे मातरम अधिक लोकप्रिय स्वर था। जिसे बाद में संविधान सभा नर राष्ट्र गीत का दर्जा दिया।

वन्दे मातरम ही स्वतंत्रता के लिए देश के संघर्ष के दौरान भारतीय क्रांतिकारियों और राष्ट्रवादी नेताओं का मूल गीत था।इसने कई युवा पुरुषों व महिलाओं को उत्साहित और प्रेरित किया। देशभक्ति का जज्बा भरा। जोश से भर जाते थे देश सेवक जब उनके मुख से जय घोष उच्च स्वर में वन्दे मातरम निकलता था। देशभक्ति की भावनाओं का संचार होने लगता ।उनकी मातृभूमि की सेवा में अपनी आत्माओं को समर्पित करते थे। क्रांतिकारी बने अध्यात्मवादी अरविंद घोष ने इसे बंगाल का गान घोषित किया।

केवल 6 छन्दों में से पहले दो छन्दों को 1950 में राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया गया था।

7 नवम्बर 1876 को वन्दे मातरम गीत की रचना की गई थी।1896 में बंकिमचन्द्र जी ने इसे कलकत्ता के कोंग्रेस अधिवेशन में गाया था। वन्दे मातरम का अंग्रेजी अनुवाद अरविंद घोष ने किया था।

वन्दे मातरम गीत हर विद्यालय की प्रार्थना सभा मे आज भी गाया जाता है। इसका विरोध भी हुआ। लेकिन आज भी वन्दे मातरम का हम जयघोष लगाते हैं।

जब भारत को आज़ाद कराया उस समय हम सभी भारत मे निवास करने वाले मानवों की एक जाति थी भारतीय। मतलब हम सब भारतीय हैं। भारत हमारी माता है। भारत माता की जय बोलते। न कोई जाति न कोई धर्म देखा। हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सभी ने वन्दे मातरम का जय घोष किया। आज वंदेमातरम बोलने पर जो विवाद हो रहे। ये सुनकर दुख होता है। हम सब कोमी एकता की मिसाल कायम करें। भारत विश्व का कोई भी मानव हो शरण देता है। शांति अहिंसा में विश्वास रखने वाला वसुधेव कुटुंबकम की भावना लेकर आगे बढ़ा है। आओ वन्दे मातरम से धरती आकाश गुंजा दें।


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भवानीमंडी