हिन्दी की पाठशाला आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला

● निम्नांकित वाक्यों/वाक्यांशों में से जो शुद्ध हों, उन्हें लिखें।

निर्देश– आपका प्रथम उत्तर ही मान्य होगा। किसी के उत्तर पर कोई प्रतिक्रिया न करें। पाठशाला की ओर से आयोजित इस परीक्षा में समस्त सदस्यवृन्द से भागीदारी (यहाँ ‘प्रतिभाग’ का प्रयोग अशुद्ध है।) करने की अपेक्षा की जाती है। उत्तर देते समय वर्तमान में आपको जितना बोध हो, उसी को आधार बनायें; किसी अनुचित साधन-सम्पर्क का आश्रय न लें।

◆ प्रश्न– निम्नांकित वाक्यांशों में से कौन-से शुद्ध हैं, उन्हें यहाँ लिखें/टंकित करें? (वाक्य प्रश्नात्मक है, इसलिए ‘प्रश्नबोधक चिह्न’ का ही प्रयोग होगा।
१- बराहमीहिर– एक औषधिवैज्ञानिक
२- सामुहिक स्वरों से कहे गये
३- रजिया एक दक्ष साम्राग्यी था
४- अशोक एक महानता का सम्राट था
५- ओह कितना विभत्स दृष्य दिख रहा है
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अब उत्तर ग्रहण करें—
सर्वप्रथम प्रश्नात्मक वाक्य को देखें, जो कि अशुद्ध है। यह प्रश्न उसी प्रकार का है, जिस प्रकार का प्राय: ‘प्रतियोगितात्मक परीक्षाओं’ के कुछ प्रश्नपत्रों में दिखता है।

ऐसे में, इस प्रश्न का कोई भी उत्तर शुद्ध नहीं माना जायेगा। आप लोग परीक्षाभवन में वितरित किये गये प्रश्नपत्रों में दिये गये प्रश्नों को भली प्रकार से पढ़ते नहीं हैं, जिसका परिणाम इस पाठशाला में भी दिख रहा है।

अब हम दिये गये समस्त अशुद्ध वाक्यों/वाक्यांशों के शुद्ध रूप को बताते हैं। आप इन्हें अपने उत्तर से मिलायें :–
१- वराहमिहिर : एक गणित और खगोलविज्ञानी
२- समवेत स्वर में कहा गया।
३- रज़िया एक कुशल सम्राज्ञी थी।
४- अशोक एक महान् सम्राट् था।
५- ओह! कितना बीभत्स दृश्य है।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १२ सितम्बर, २०२१ ईसवी।)