अब रऊआँ सभे सुनीं; नीमन लागी नू, तबे रँऊवा सभे थपरी बजाइब
एगो भोजपुरी ह ० आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय जे-जे रहे दोस्त, सभ दुसमन होइ गइले,हमारा रहतिया में, सभ काँटा बोइ गइले।खूबे हँसी आवेला, ‘बाबू’ के चल्हकिया पर;जे सुरुज के गोलवा, चनरमा समुझि गइले।डूबत खूब देख […]