कोई मूरख कह हँसे, कोई कहे घसियारा ।
हाय मास्टरी ने किया, जीवन को दुखियारा ।।
गन्दा प्रांगण जो मिले, अफसर होयें क्रुद्ध ।
मरता क्या करता नहीं, जीविका हो अवरुद्ध ।।
‘तस्मै श्री गुरुवे नमः ‘ , अब अतीत की बात ।
शब्द-बाण अपमान से, ‘अपने’ करते घात ।।
गुरुता, जड़ता एक सी, जात कुजात सुजात ।
मल्टीपरपज वर्करी, सभी करें उपहास ।।
सभी पुस्तकें ‘ई'(e) हुईं, आनलाइन हर क्लास ।
‘गुरु की गरिमा’ भूल जा, चल उठ खोदे घास ।।
कौन सहायी हो भला, समझे मन की पीर ।
साहब भी सुखिया भये, मारत हिरदय तीर ।।
नवाचारियों ने दिये, ऐसे नव-आयाम ।
गुरु गरिमा का कर दिया, निर्दय काम तमाम ।।
अवधेश कुमार शुक्ला
मूरख हिरदय
आध्यात्मिक गुरु-पूर्णिमा (आषाढ़ी)
24/07/2021