सुषमा स्वराज : सर्वश्रेष्ठ भारतीय महिला राजनीतिज्ञ

जयति जैन ‘नूतन’

भारत की पहली महिला विदेश मंत्री,  दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और देश में किसी राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता। इसमें कोई दोराय नहीं है कि सुषमा स्वराज जैसी कोई और विदेश मंत्री पहले भारत में नहीं थी, उनकी उपलब्धि और काबिलियत उन्हें सभी से अलग बनाती रही। भाजपा एक माध्यम बस था , जिसके जरिये उन्होंने अपनी काबलियत और देशभक्ति को दुनिया के सामने रखा, उनका काम उन्हें सबसे अलग और सर्वश्रेष्ठ बनाता रहा, वह एक कुशल वक्ता तो थी ही साथ ही एक सशक्त दृण महिला भी रहीं। आज मैं आपके समक्ष किसी पार्टी की नेता या मंत्री की उपलब्धि नहीं बता रही हूँ बल्कि लड़कियों को बोझ समझने वाले समाज के मुंह पर ज़ोरदार तमाचा मारने वाली एक भारतीय महिला राजनीतिज्ञ की उपलब्धि और सर्वश्रेष्ठ क्यों थीं ? वह बताने जा रही हूँ …. लोगों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहने वालीं सुषमा स्वराज को कौन नहीं जानता, सुषमा स्वराज देश की पहली महिला विदेश मंत्री के तौर पर जानी जाती थीं।

पारिवारिक परिचय –

सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 में हरियाणा के अंबाला छावनी में हुआ था. सुषमा ने  एस॰डी॰ कालेज अम्बाला छावनी से बी॰ए॰ तथा पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से कानून की डिग्री ली ! कानून में स्नातक हैं और उच्चतम न्यायालय में वकालत भी की है ! १९७५ में उनका विवाह स्वराज कौशल के साथ में हुआ था। कौशल जी छह साल तक राज्यसभा में सांसद रहे इसके अलावा वे मिजोरम प्रदेश के राज्यपाल भी रहे। स्वराज कौशल अभी तक सबसे कम आयु में राज्यपाल का पद प्राप्त करने वाले व्यक्ति हैं।  स्वराज दम्पत्ति की एक पुत्री है जो वकालत कर रही हैं। हरियाणा सरकार में श्रम व रोजगार मन्त्री रहने वाली सुषमा अम्बाला छावनी से विधायक बनने के बाद लगातार आगे बढ़ती गयीं और बाद में दिल्ली पहुँचकर उन्होंने केन्द्र की राजनीति में सक्रिय रहने का संकल्प लिया जिसमें वे आज तक सक्रिय रहीं।

राजनीतिक परिचय –

पढ़ाई पूरी करने के बाद सुषमा स्वराज ने जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. इसके बाद देश में लगे आपातकाल का पुरजोर विरोध करने के साथ  ही वो सक्रिय राजनीति से जुड़ गयीं. जुलाई 1977 में उन्हें चौधरी देवीलाल की कैबिनेट में एक कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। भाजपा लोकदल की हरियाणा में इस गठबंधन सरकार में वे शिक्षा मंत्री थीं। 27 वर्ष की उम्र में वे 1979 में जनता पार्टी (हरियाणा) की अध्यक्ष बन गई थीं।

अप्रैल 1990 में सांसद बनीं और 1990-96 के दौरान राज्यसभा में रहीं। 1996 में वे 11वीं लोकसभा के लिए चुनी गई और अटलबिहारी वाजपेयी की तेरह दिनी सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री रहीं। 12वीं लोकसभा के लिए वे फिर दक्षिण दिल्ली से चुनी गईं और पुन: उन्हें सूचना प्रसारण मंत्रालय के अलावा दूरसंचार मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया।

अक्टूबर 1998 में उन्होंने केन्द्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया और दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। बाद में जब विधानसभा चुनावों में पार्टी हार गई तो वे राष्ट्रीय राजनीति में लौट आईं। 

वर्ष 1999 में उन्होंने आम चुनावों में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ बेल्लारी संसदीय क्षेत्र, कर्नाटक से चुनाव लड़ा, लेकिन वे हार गईं। 2000 में वे फिर से राज्यसभा में पहुंचीं थीं और उन्हें पुन: सूचना-प्रसारण मंत्री बना दिया गया। वे मई 2004 तक सरकार में रहीं। 

अप्रैल 2009 में वे मध्यप्रदेश से राज्यसभा के लिए चुनी गईं और वे राज्यसभा में प्रतिपक्ष की उपनेता रहीं। बाद में, विदिशा से लोकसभा के लिए चुनी गईं और उन्हें लालकृष्ण आडवाणी के स्‍थान पर नेता प्रतिपक्ष बनाया गया। 

13 जुलाई 1975 को उनका सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील स्वराज कौशल से विवाह हुआ था। वे तीन वर्ष तक मिजोरम के गवर्नर भी रहे हैं। उनकी एकमात्र संतान बांसुरी कौशल है जोकि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से स्नातक और इनर टेम्पल से कानून में बैरिस्टर की डिग्री ले चुकी हैं। अपने पिता की भांति वे भी आपराधिक मामलों की वकील हैं और दिल्ली हाईकोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट में वकालत करती हैं।

1977 में उन्हें मात्र 25 वर्ष की उम्र में राज्य की कैबिनेट का मंत्री बनाया गया था और 27 वर्ष की उम्र में वे राज्य जनता पार्टी की प्रमुख बन गई थीं।

वे वर्ष 2009 में भारत की भारतीय जनता पार्टी द्वारा संसद में विपक्ष की नेता चुनी गयी थीं, इस नाते वे भारत की पन्द्रहवीं लोकसभा में प्रतिपक्ष की नेता रही हैं। इसके पहले भी वे केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल में रह चुकी हैं तथा दिल्ली की मुख्यमन्त्री भी रही हैं। वे सन २००९ के लोकसभा चुनावों के लिये भाजपा के १९ सदस्यीय चुनाव-प्रचार-समिति की अध्यक्ष भी रहीं थीं।

वर्ष 2014 में वे विदिशा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा की सांसद निर्वाचित हुई।
वर्ष 2014 में उन्हें भारत की पहली महिला विदेश मंत्री होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ , जबकि इसके पहले इंदिरा गांधी दो बार कार्यवाहक विदेश मंत्री रह चुकी हैं। कैबिनेट में उन्हे शामिल करके उनके कद और काबिलियत को स्वीकारा।

62 वर्षीय सुषमा स्वराज को प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्रालय का भी प्रभार सौंपा गया। सुषमा केंद्रीय कैबिनेट के सबसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों से शामिल विदेश मंत्रालय का प्रभार ऐसे समय में संभाल रही थी जब भारत के बढ़ते अंतरराष्ट्रीय प्रभाव ने उसे वैश्विक मामलों में एक प्रमुख आवाज बना दिया। पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के संबंध भारतीय विदेश नीति निर्माताओं के समक्ष कुछ स्थायी चुनौतियों में से एक हैं।

उपलब्धियां / रिकार्ड-

1- १९७० में उन्हें एस॰डी॰ कालेज में सर्वश्रेष्ठ छात्रा के सम्मान से सम्मानित किया गया था। 

2- वे तीन साल तक लगातार एस॰डी॰ कालेज छावनी की एनसीसी की सर्वश्रेष्ठ कैडेट और तीन साल तक राज्य की श्रेष्ठ वक्ता भी चुनी गईं।

3- पंजाब विश्वविद्यालय द्वारा १९७३ में उन्हें सर्वोच्च वक्ता का सम्मान मिला।

4- आपातकाल के बाद दो बार  हरियाणा विधानसभा का चुनाव जीता और चौधरी देवी लाल की सरकार में राज्य की श्रम मन्त्री रह कर 25 साल की उम्र में कैबिनेट मन्त्री बनने का रिकार्ड बनाया था !
5 –  उन्होंने हरियाणा में शिक्षा मंत्रालय का कार्यभाल संभाला था, सुषमा 1979 में भाजपा की हरियाणा इकाई की अध्यक्ष बनी थीं ! 

6- उनके साथ कई अन्य विशेषताएं भी जुड़ी हैं। वे किसी राष्ट्रीय राजनीतिक दल की पहली ‍महिला प्रवक्ता, भाजपा की पहली महिला मुख्यमंत्री, पहली केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री, महासचिव, प्रवक्ता और नेता प्रतिपक्ष रही। 
7- वे भारतीय संसद अकेली महिला सांसद हैं जिन्हें असाधारण सांसद का पुरस्कार मिला है। 
8- सुषमा स्वराज छह बार सांसद, तीन बार विधायक और फिलहाल 15वीं लोकसभा में नेता प्रतिपत्र थीं। 
9- वे दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और देश में किसी राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता बनने की उपलब्धि भी उन्हीं के नाम दर्ज है।
10- वे भाजपा की एकमात्र नेता हैं जिन्होंने उत्तर और दक्षिण भारत, दोनों से चुनाव लड़ा है। 

11- पहली महिला विदेश मंत्री !

12- वे भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता बनने वाली पहली महिला थीं 
13- भारत की संसद में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार पाने वाली पहली महिला भी वे ही थीं।

14- विदेश मंत्री सुषमा स्वराज  उन भारतीयों में शामिल हैं जिन्हें फॉरेन पॉलिसी पत्रिका द्वारा तैयार की गई साल 2016 की ग्लोबल थिंकर्स लिस्ट में जगह दी गई है।

15- सुषमा स्वराज और उनके पति की उपलब्धियों के ये रिकार्ड लिम्का बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिकार्ड में दर्ज़ करते हुए उन्हें विशेष दम्पत्ति का स्थान दिया गया है।