विजय कुमार-
कौशाम्बी: अजुहा कस्बे में सिक्कों की भरमार से छोटे-छोटे दुकानदारों को हो रही परेशानियों और उनके नष्ट होते व्यवसाय के संबध में कौशाम्बी केजिलाधिकारी महोदय को एक पत्र भेजा गया है ।
प्रार्थी लिखता है कि महोदय आपको अवगत कराना चाहता हूँ कि अजुहा कस्बे के कुछ बड़े व्यापारी व धनाढ्य लोग नोटबंदी के समय से लगातार सिक्कों का व्यापार कर रहे हैं।कानपुर से ट्राँसपोर्ट द्वारा बोरियों में सिक्के लाकर यहाँ गल्ला खरीदने वाले छोटे छोटे व्यापारियो को बिना व्याज इस शर्त पर सिक्के बाँटते हैं कि एक माह बाद उतनी ही राशि के नोट हमे चाहिए और वे व्यापारी बिना ब्याज के मिल रहे पैसे के लालच मे किसानो से अनाज खरीदकर उन्हे ज्यादा से ज्यादा सिक्के थमा देते है फिर किसानों से छोटे छोटे परचून के दुकानदारों के पास वही सिक्के पहुँचते है और फिर बड़े दुकानदार उनसे सिक्के नहीं लेते।सिक्कों के सौदागरों को कानपुर से सिक्के लाकर खपाने में दस से बीस हजार रूपये प्रति लाख बचत होती है क्योंकि वे कानपुर से एक लाख के नोट के बदले एक लाख दस हजार से एक लाख बीस हजार तक के सिक्के पाते हैं।इसप्रकार वे हर महीने खपाए गये सिक्कों पर दस से बीस प्रतिशत तक की कमाई करते हैं और क्षेत्र से नोट समेट समेट कर कानपुर पहुँचा रहे हैं और सिक्कों को बढ़ाते जा रहे है।छोटे छोटे दुकानदारों की यह समस्या है कि एक,दो,चार,छः या दस रूपये के समान बेचने वालो के पास शाम तक उनकी लगभग पूरी बिक्री सिक्कों के रूप मे आ जाती है जिसे कोई भी दुकानदार जहाँ से वह समान बेचने के लिए खरीदता है लेने को तैयार नहीं होता अतः वे अपना व्यवसाय कैसे करें?
अतः महोदय आपसे विनम्र निवेदन है कि इन भारतीय मुद्रा की कालाबाजारी और रेजगारी का क्षेत्रीय असतुलन पैदा करके अर्थव्यवस्था को क्षति पहुँचाने वालों की पहचान कराकर इन पर कड़ी से कड़ी कानूनी कार्यवाही करने की कृपा करें और छोटे छोटे दुकानदारों के व्यवसाय को बचाने की कृपा करें ताकि वे भुखमरी के कगार पर न पहुँचने पाएँ। अति दया होगी।
विजय कुमार के इस पत्र को कितनी गम्भीरता से लिया जाता है यह तो वक्त ही बताएगा । लेकिन यह समस्या किसी एक व्यक्ति की न होकर सामाजिक और व्यापक है । सरकारों को भी इस ओर ध्यान देने की जरूरत है ।