अवनीश मिश्र, लखनऊ –
हम तो अपनी आदत से बाज नहीं आयेंगे, देश के विकास से हमें क्या मतलब हमें तो अपनी ही जेब भरनी है । कुछ इसी तर्ज पर पंचायती राज के कई अधिकारियों पर अरबों के घोटाले का आरोप लग गया।
सरकार के बनाए गए कुछ बिंदुओं पर अपनी योग्यता साबित करने के बाद मिलने वाली परफॉर्मेंस (प्रदर्शन) ग्रांट में पंचायती राज के अधिकारियों और प्रधानों की मिलीभगत से योगी सरकार के नियमों को ठेंगा दिखाते हुए अरबों का घोटाला कर डाला । ग्राम पंचायतों में बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाने और विकास कार्यों की बेहतर मॉनिटरिंग (निगरानी) के लिए शासन द्वारा यह फैसला लिया गया था।
मिली जानकारी के अनुसार 31 जिलों की 1123 पंचायतों में हुआ घोटाले की जानकारी मिलते ही पंचायत विभाग के उपनिदेशक गिरीश रजक, रमेश यादव, केशव सिंह और राजेंद्र सिंह समेत कई अफसरों पर केस दर्ज किया गया है। सरकार ने इस घोटाले पर सख्त रुख अपनाते हुए विजिलेंस जांच के आदेश दिए हैं । लखनऊ, फैजाबाद, इटावा, गोरखपुर, बरेली, बाराबंकी, आगरा, मथुरा, गाजीपुर, सुल्तानपुर, उन्नाव और सोनभद्र एवं अन्य कई जिलों में अरबों का घोटाला।
भारत सरकार के पंचायतीराज मंत्रालय के माध्यम से ग्राम पंचायतों को 14वें वित्त आयोग के अंतर्गत परफॉर्मेंस ग्रांट दिया जाता है। सरकार के बनाए गए इस नियम के पहले धनराशि का आवंटन पंचायतों की तैयार कार्ययोजना के आधार पर ही कर दिया जाता था। इससे होने वाले कार्य की नियमित मॉनिटरिंग की व्यवस्था नहीं थी। लिहाजा कई बार ग्राम पंचायतों को पुराने कार्य अधूरा होने के बावजूद नए सत्र के लिए परफॉर्मेंस ग्रांट हासिल हो जाता था।
वर्ष 2017 से 2020 तक परफॉर्मेंस ग्रांट के आवंटन को लेकर सरकार द्वारा नियमों में व्यापक तब्दीली की गई थी जिसके आधार पर उन्हीं ग्राम पंचायतों को परफॉर्मेंस ग्रांट दिया जाने लगा, जिन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया है।
इन बिंदुओं के आधार पर साबित करनी होती है पात्रता
परफॉर्मेंस ग्रांट के लिए पात्रता साबित करने को चार बिंदुओं को आधार बनाया गया है।
- ग्राम पंचायत को उस वर्ष का ऑडिट ब्योरा पेश करना होगा, जिसके लिए वह ग्रांट की मांग कर रहा है।
- यह ब्योरा दो वर्ष से अधिक पुराना नहीं होना चाहिए।
- ग्राम पंचायत को पूर्ववर्ती वर्ष की तुलना में अपने राजस्व में बढ़ोत्तरी दर्शानी होगी।
- संबंधित वर्ष में ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीसी) को पूरा करते हुए ‘प्लॉन प्लस पोर्टल’ पर विवरण अपलोड करना जरूरी होगा। चौदहवें वित्त आयोग से मिली धनराशि से कराए गए कार्यों का व्यय पंचायतीराज मंत्रालय की वेबसाइट पर दर्शाना भी अनिवार्य किया गया था।