पूजा शुक्ला छात्रनेत्री, लविवि-
लखनऊ:
सेवा में, मुख्यमंत्री महोदय, उत्तर प्रदेश शासन। महोदय, आपको अवगत कराना चाहते है कि इस वर्ष लखनऊ विश्वविद्यालय की फीस 8 गुना बढ़ा दी गई है,जिससे गरीब छात्रो और खासकर छात्राओं के लिए छात्रावासो में रहकर पढ़ना बेहद मुश्किल हो गया है। अधिकांश छात्र छात्राये अपना प्रवेश निरस्त कराने तक मजबूर हो गए है। उनका कहना है कि इतनी फीस चुका कर पढ़ना हमारे लिए मुनासिब नही है इसलिए हम प्रवेश छोड़ कर गांव लौट जायँगे। इस संबंध में जब छात्र लविवि कुलपति से बात करते है तो वि.वि प्रशाशन कहता है कि इस बार शिक्षा बजट में भारी कटौती की गयी है लविवि का बजट सिर्फ 40करोड़ है और इस वर्ष इसमे भी कमी आयी है जिसके कारण छात्रों की फीस बढ़ाना हमारी मजबूरी है। इसी क्रम में एक और बात से आपको अवगत कराना चाहूँगी कि पिछले 3 महीने से विश्वविद्यालय का मेस बन्द है परीक्षाओ के दौरान छात्रों को कई महीनों तक भूखे रहकर परीक्षा देनी पड़ी है कुलपति से छात्रों ने सवाल किया कि मेस क्यों बन्द है ,तो मेस के बंद होने का विश्वविद्यालय ने एक मात्र कारण बताया है विश्वविद्यालय के पास फण्ड का न होना। अभी हाल ही में आप लखनऊ विश्वविद्यालय में हिन्दवी स्वराज समारोह में आये उसके आयोजन में विश्वविद्यालय ने छात्रों के एकडेमिक्स के 25 लाख रुपये आपके स्वागत में खर्च करदिये, छात्रों द्वारा कुलपति का विरोध करने पर कुलपति ने कहा मुख्यमंत्री के आयोजन में खर्च करना हमारी मजबूरी है , छात्रो को बहुत कष्ट हुआ आयोजन में इतना खर्च करना मजबूरी है छात्र कई महीने भूखे रहे उस पर कुलपति को जरा भी तरस नही आया। महोदय, प्रदेश के छात्र छात्राओं ने आपको जनादेश सिर्फ इस वादे के साथ दिया था कि आप प्रदेश के छात्रों को सस्ती शिक्षा मुहैया करवायंगे, छात्राओ को स्नातक तक मुफ्त शिक्षा देंगे,लेकिन शिक्षा बजट में इतनी बडी कटौती के कारण लखनऊ विश्वविद्यालय समेत प्रदेश के तमाम विश्वविद्यालयो में गरीब तबके से आने वाले छात्र छात्राओ को उच्च शिक्षा से वंचित करने का काम किया है, दूसरी छात्राओ स्नातक तक फ्री शिक्षा के लिए 680 करोड़ का बजट चाहिए बजट मिला है मात्र 21 करोड़ जो बेहद कम है और लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति साहब तो कहते है कि फीस माफी का कोई आदेश उनके पास आया ही नही ऐसे में हम छात्राये खुद को बहुत असहाय महसूस कर रही है। लखनऊ विश्वविद्यालय सिर्फ प्रदेश का नही बल्कि देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में से एक है । यहाँ पढ़ने वालों में राष्ट्रपति श्री शंकर दयाल शर्मा, पंजाब के मुख्यमंत्री सुरजीत सिंह, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत जी ,पत्रकार सीमा मुस्तफा , और प्रदेश के वर्तमान उप मुख्यमंत्री श्री दिनेश शर्मा जी और अन्य नामचीन हस्तियों ने यहाँ से शिक्षा ग्रहण की ।जिस विश्वविद्यालय का इतना गौरान्वित इतिहास हो उस विश्वविद्यालय की ख़ास्ताहाली बेहद पीड़ादायक है, ऐसे में विश्वविद्यालय को संवारने की आवश्यकता है। अतः आपसे हम छात्र आपसे यह मांग करते है कि लखनऊ विश्वविद्यालय को केंद्र सरकार से आग्रह कर केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाए ।जब तक विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा नही मिलता तब तक विश्वविद्यालय के फण्ड को 40 करोड़ से बढ़ा कर न्यूनतम 100 करोड़ कर देना चाहिए जिससे छात्रो को मूलभूत सुविधाये पीने का पानी, साफ टॉयलेट्स, फ्री वाई फाई, डिजिटल लाइब्रेरी ,केंद्रीय मेस ,स्टैण्डर्ड डाइट मिल सके। साथ ही नए छात्रवासो के निर्माण के लिए भी फण्ड मुहैया करवाना चाहिए जिससे गरीब तबको के छात्रों को विश्वविद्यालय में पढ़ने में असुविधा न हो। आपसे यह उम्मीद करते है कि आप छात्रहित में उपरोक्त बातो का संज्ञान लेंगे। लखनऊ विश्वविद्यालय को एक ऐसा विश्वविद्यालय बनाने में हमारा सहयोग करंगे, जिसमे गरीब अमीर छात्र छात्राये सभी मिलजुलकर इस देश को नया मुकाम दे सके, अंत मे दुष्यंत कुमार के शब्दों में *सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,* *मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए ॥
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