डॉ. निशंक की महनीय शब्द-सत्ता – आचार्य पं. पृथ्वीनाथ

‘सिदो कान्हु मुर्मु विश्वविद्यालय’, दुमका (झारखंड) की ओर से ‘वातायन’ अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मान 2020 के संदर्भ में डॉ. निशंक का रचना-संसार’ विषय पर द्विदिवसीय ऑन-लाइन अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी 23-24 दिसम्बर को अपराह्न 4- बजे से आयोजित किया जाएगा। उसी समारोह की पूर्व-सन्ध्या पर 22 दिसम्बर को देश-विदेश के जाने-माने बुद्धिजीवी वर्ग की एक अन्तरराष्ट्रीय ऑन-लाइन बैठक की गई, जिसकी अध्यक्षता करते हुए वारसा युनिवर्सिटी, पोलैंड में हिंदी-प्रमुख डॉ. सुधांशु शुक्ल ने कहा कि डॉ. निशंक देश के प्रमुख साहित्यकारों में से एक हैं।

देश के प्रमुख भाषाविद् और समीक्षक आचार्य पं. पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने मुख्य अतिथि के रूप में कहा कि डॉ. निशंक जी राजनीति में अति सक्रिय रहते हुए भी जिस तरह से साहित्य के प्रति प्रतिबद्ध हैं, उससे उनकी शब्द-सत्ता महनीय है।

सेंट जोन युनिवर्सिटी, अमेरिका की विजिटिंग स्कालर डॉ. नीलम जैन ने विशिष्ट अतिथि के रूप कहा कि निशंक जी हम साहित्यकारों के प्रेरक हैं।

आयोजन का समारंभ सरस्वती-वंदना से हुआ। आरंभ में बड़े हनुमान मंदिर के स्वामी आनंद गिरि महाराज जी ने कहा कि निशंक जी एक कुशल राजनेता के साथ-साथ एक लोकप्रिय साहित्यकार और कवि भी हैं। महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में हिंदीविभागाध्यक्ष चित्रकूट, डॉ. कुसुम सिंह ने कहा, डॉ. निशंक जी की कविताओं में पर्वतीय अंचल की खुश्बू मिलती है। ध्रुवनारायण सिंह, डॉ. राजेश कुमार गर्ग कुलसचिव एसकेएमयू, दुमका ने कहा कि डॉ. निशंक जी की कहानियों में सर्वहारा-वर्ग का सजीव चित्रण मिलता है।

डॉ. केपी यादव, हिंदी विभागाध्यक्ष एसपी कॉलेज दुमका ने कहा कि डा. निशंक जी की रचनाएं लोकजीवन की परम्परा को समृद्ध करती हैं।

संथान अकादमी के निदेशक और समाजशास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रो- सुजीत सोरेन ने कहा कि डा. निशंक की कविताओं-कहानियों में जनजातीय चेतना का सुदृढ़ धरातल दिखता है।

पूर्व-प्रतिकुलपति डॉ. प्रमोदिनी हंसा ने कहा कि डॉ. निशंक एक कुशल रचनाकार हैं। डॉ अरुण कुमार तिवारी ने कहा कि डा. निशंक की रचनाएं कालजयी हैं।

इस अवसर पर डॉ. आनन्द यादव, डॉ.राजेश गर्ग, मधु चकहा, डॉ. प्रमोद कुमार मिश्र आदि ने डॉ. निशंक के साहित्य पर प्रकाश डाले।

इस समारोह का संयोजन और उक्त अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रमुख प्रभारी डॉ. अजय शुक्ल ने किया।