अभिनेता रजनीकान्त के राजनीति में आने का मतलब?

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
(प्रख्यात भाषाविद्-समीक्षक)

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय-


दक्षिण-भारत के महानायक, ६७ वर्षीय रजनीकान्त ने ३१ दिसम्बर, २०१७ ई० को तमिलनाडु की राजनीति के क्षेत्र में क़दम रख लिये हैं, यह एक शुभ संकेत है। अपने भाषण में रजनीकान्त ने स्पष्ट शब्दों में कहा था : नेता जनता के पैसे लूट रहे हैं। इससे लगता है कि वे एक दृढ़ निश्चय के साथ देश की राजनीति में सकारात्मक हस्तक्षेप करने के लिए प्रस्तुत हो चुके हैं। रजनीकान्त ने विधानसभा-चुनाव में सभी २३४ सीटों के लिए अपने प्रत्याशी चुनाव-मैदान में उतारने की घोषणा कर दी है। स्मरणीय है कि वर्ष १९९६ में रजनीकान्त ने तत्कालीन मुख्य मन्त्री जयललिता की ग़लत नीतियों का प्रबल विरोध किया था।
वैसे भी जयललिता की मृत्यु के बाद से तमिलनाडु की राजनीति में जिस तरह का राजनीतिक असन्तुलन, आरोप-प्रत्यारोप तथा जयललिता की विरासत की दावेदारी चल रही है, उसका लाभ रजनीकान्त को मिलना तय है। अब रजनीकान्त को चाहिए कि वे धर्म, सम्प्रदाय, जाति, वर्गादिक के घटिया सोच से स्वयं को परे रख, योग्यता और निष्ठा का सम्मान करते हुए, भारत की कलुषित, कुत्सित, कुण्ठित-लुण्ठित राजनीति को समझते हुए, अपनी पहचान रेखांकित करें क्योंकि देश का जनसामान्य दशकों से देश की गर्हित राजनीति से संत्रस्त है। धर्म-सम्प्रदाय, आरक्षण, अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक, दलित, क्षेत्रवाद आदिक घृणित, संदूषित तथा एकपक्षीय राजनीति की हत्या कर, अब ‘सबको समान अधिकार’ के आधार पर देश की राजनीति में शुचिता लानी होगी, अन्यथा रजनीकान्त के राजनीति में आने का कोई अर्थ नहीं होगा।