सभी राजनीतिक दल संवेदनहीन; एकमात्र विकल्प ‘नोटा’

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
(प्रख्यात भाषाविद्-समीक्षक)

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय


इन दिनों देश के अधिकतर राज्यों में आवृष्टि (बाढ़) से जड़-चेतन गम्भीरावस्था में हैं। केन्द्र-राज्य की सरकारों के मठाधीश निष्क्रिय दिख रहे हैं; वहीं विपक्षी दलों के ठीकेदारों की ज़बान पर ताले लटके हुए हैं।

उत्तरप्रदेश के अधिकतर राज्य जल-प्लावन से भीषण रूप में प्रभावित हैं। अब तक मात्र उत्तरप्रदेश में १७५ से अधिक लोग जल-प्रकोप के कारण मृत्यु को प्राप्त हो गये हैं। अफ़सोस! उसी राज्य के एक प्रमुख जनपद (ज़िला) आज़मगढ़ रेल स्टेशन का नाम बदलवाने के लिए आज मुख्य मन्त्री आदित्यनाथ योगी जश्न मनाने की तैयारी करा रहे हैं। धिक्कार है, उत्तरप्रदेश-शासन के नेतृत्व को, जो संवेदनहीन है।

अन्य राज्यों के मुख्य मन्त्रियों और वहाँ के विपक्षी दलों के मुखिया को जन-जीवन को अपेक्षित, वांछित सहायता पहुँचाने की चिन्ता नहीं है।

ऐसे में, आगामी चुनावों में एकमात्र विकल्प ‘नोटा’ (सभी अयोग्य हैं; अपात्र हैं; असमर्थ हैं) है, जो ई०वी०एम० (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) में अन्तिम बटन होता है।