डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
देश के समस्त स्कूलों के लिए उच्चतम न्यायालय के निर्भीक – निडर- निश्छल न्यायाधीशगण अपनी देख-रेख में ‘मार्गदर्शिका’ बनवाकर कठोरता के साथ परिपालन करवायें, वरना ये स्कूल “डंके की चोट पर” हर तरह के अपराध करते दिखेंगे। इधर, कुछ समय से देश के विभिन्न गाँव-नगरों के स्कूलों में बच्चों के साथ अप्राकृतिक शारीरिक दुष्कर्म, छात्राओं और महिला अध्यापकों के साथ किये गये बलात्कार, छेड़ख़ानी, बच्चों को दण्डित करने के निर्मम तरीक़े, हत्या, स्कूल माफ़ियाओं के बढ़ते वर्चस्व, मनमाने तरीक़े से बढ़ायी जा रही फीस, अध्यापकों को सम्मानजनक वेतन, स्कूल के कर्मचारी, बस-ड्राइवर, कण्डक्टर, बस-प्रभारी आदिक के सत्यापन, मानकों की उपेक्षा कर वर्षों से चलाये जा रहे स्कूलों, प्रबन्धन-समिति की ओर से अध्यापकों के साथ किये गये अभद्र व्यवहार, स्कूलों में तैयार किये-कराये जा रहे कुत्सित-विषाक्त साम्प्रदायिक वातावरण, अध्यापकों की गर्हित गुटबन्दी, शराबी-कबाबी अध्यापकों, प्रधानाचार्यों की विद्रूप मानसिकता, अभिभावकों के साथ अभद्र आचरण आदिक के संज्ञान लेकर सभी विद्यालय-प्रबन्धकों को क़ानूनी आईना दिखाने का समय अब आ चुका है।