अमर उजाला इयरबुक– 2021 : प्रत्येक प्रतियोगी विद्यार्थी के लिए अपरिहार्य कृति

★ समीक्षक— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
(भाषाविज्ञानी और समीक्षक)

हमारे प्रत्येक प्रतियोगी विद्यार्थियों के लिए सामान्य ज्ञान से भरपूर एक ऐसे वार्षिकी की आवश्यकता रहती है, जिसमें वैश्विक ज्ञान-विज्ञान का प्रासंगिक उल्लेख रहे। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए ‘अमर उजाला-परिवार’ ने अपनी नवीनतम ‘इयरबुक– 2021’ का प्रकाशन कर दिया है, जो अब पुस्तक-विक्रेताओं के यहाँ उपलब्ध है। आप सभी के लिए उचित यह रहेगा कि नीचे दी गयी ‘लिंक’ को खोलकर आवश्यक जानकारी प्राप्त कर लें और दिये हुए सम्पर्कसूत्र से सम-सामयिक विषयों से भरपूर इस परीक्षोपयोगी वार्षिकी को मँगा लें, जिससे कि २५० रुपये मूल्यवाली इस वार्षिकी को आप २०० रुपये में ही क्रय कर सकें।

डबल डिमाई आकारवाली यह वार्षिक ८०० पृष्ठों की है, जिसमें वह सब कुछ है, जो वर्ष २०१९ और २०२० के वातावरण में व्याप्त रहा है और जिसका प्रभाव वर्तमान में दिख भी रहा है। आप सभी की लिखित और मौखिक परीक्षाओं के लिए यह संकलन और संग्रह ‘रामबाण’ सिद्ध हो सकता है। वर्तमान में जो विषय सर्वाधिक महत्त्व का है, वह है, ‘कोविड–१९’ का आतंक। प्रत्येक प्रतियोगी परीक्षा के सामान्य अध्ययन के प्रश्नपत्र और साक्षात्कार परीक्षाओं में इससे सम्बन्धित अनेक प्रश्न किये जा सकते हैं। यही कारण है कि इस वार्षिकी में ‘कोविड– 19′ की वैक्सिन’ अध्याय के अन्तर्गत कोविड-१९, कोरोना रोग, उसकी परिव्याप्ति, विशेषत: वैक्सिन के ऐतिहासिक संदर्भ से लेकर, उसकी संरचना, उसके विकास, उसके वैज्ञानिक, संवैधानिक पक्षों, तकनीकी प्रयोग, प्रतिरक्षा-प्रणाली आदिक पर चौबीस पृष्ठों में सचित्र सामग्री दी गयी है। विश्व की महाशक्ति ‘संयुक्त राज्य अमेरिका’ के वर्तमान परिदृश्य में वहाँ के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन की प्रभुता और चुनौतियों पर यह वार्षिकी परीक्षोपयोगी सामग्री समेटे हुए है। भारत-चीन का सीमा-विवाद आज भी बना हुआ है, जो संवाद के बाद भी ‘त्रिशंकु’ की भूमिका में दिखता आ रहा है। इस वार्षिकी में ‘आक्रामक चीन के लिए रणनीति’ विषय पर विधिवत् चिन्तन किया गया है। चर्चित राष्ट्रीय विषयों में से प्रमुख विषय ‘श्री राममन्दिर का शिलान्यास’ है। इसके ऐतिहासिक, धार्मिक, सामाजिक तथा संवैधानिक पक्षों पर विन्दुश: विवरण अत्युपयोगी है। एक अन्य ज्वलन्त राष्ट्रीय विषय ‘राष्ट्रीय शिक्षा-नीति– २०२०’ है। इसका उल्लेख इस रूप में किया गया है कि इस विषय का अध्ययन के पश्चात् ‘नयी राष्ट्रीय शिक्षा-नीति’ का उद्देश्य और उसकी अवधारणा सहज ही समझ में आ जाती है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ का राग राजनीति-स्तर पर बहुत अलापा जाता रहा है; किन्तु उसका परीक्षोपयोगी संदर्भ नेपथ्य में रह जाता है। ‘इयर बुक– २०२१’ इसका बाख़ूबी वर्णन करती है। इनके अतिरिक्त यह वार्षिकी समसामयिक विषय के प्रति जागरूक है। यही कारण है कि ‘उत्तरप्रदेश धर्मान्तरण अध्यादेश’, ‘कृषिसुधार अधिनियम, ‘राफेल’, ‘पी० ओ० के०’, ‘अमेरिका तालिबान शान्ति-समझौते का भविष्य’, ‘कोविड-काल में बदलती चिकित्सा-व्यवस्था’, आदिक से सम्बन्धित तथ्य और आँकड़ों से युक्त परीक्षोपयोगी सामग्री आप सभी के लिए अपरिहार्य है। इनके अतिरिक्त देश-देशान्तर की वे सभी सामग्री, जो संघ लोकसेवा आयोग, राज्य लोकसेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग तथा शेष सभी प्रतियोगितात्मक परीक्षाओं के लिए वांछनीय हैं, इस वार्षिकी में सम्मिलित हैं।

हमारे विद्यार्थी कोविड–१९ के संक्रमण की अवधि में देशबन्दी के कारण प्रतियोगितात्मक पत्रिकाओं से वंचित रह गये हैं। इस दृष्टि से यह हिन्दी-वार्षिकी अत्युपयोगी सिद्ध होगी; क्योंकि इसमें अन्तर्राज्यीय, अन्तर्राष्ट्रीय, अन्तरराष्ट्रीय तथा वैश्विक संदर्भों में परीक्षोपयोगी तथ्य-आँकड़ों का बड़ी संख्या में समावेश है। भारत और उसके राज्यों, संघ-शासित क्षेत्रों की वर्तमान स्थिति क्या है; विश्व के देशों के अद्यतन परिचय आदिक के बहुवर्णीय मानचित्रों के साथ ज्ञानप्रद विवरण प्रस्तुत कर ‘अमर उजाला इयरबुक–२०२१’ ने अपनी सार्थकता सिद्ध कर दी है।

आप सभी के लिए अतीव महत्त्व की यह वार्षिकी संग्रहणीय है।

इस वार्षिकी के प्रत्येक पृष्ठ पर ‘अमर उजाला-परिवार’ का सम्पादकीय श्रम झलक रहा है, जिसके लिए वह परिवार साधुवाद का पात्र है।

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