विजय कुमार –
जहाँ उत्तर प्रदेश के एक तिहाई से अधिक जिले बाढ़ का दंश झेल रहे वहीं कौशाम्बी जिला सूखे की चपेट में है। किसानों की धान की फसलें नष्ट होने के कगार पर।लगभग एक माह से सिराथू तहसील में बारिश न के बराबर होने से किसानों की धान की फसलों का उत्पादन तो प्रभावित हो ही चुका है लेकिन यदि इन्द्र देव ऐसे ही रूठे रहे तो किसानों की लागत ही डूब जाने का अंदेशा। किसान ट्यूबवेल से धान की फसलों की सिचाई कर करके हलाकान है लेकिन फिर भी धान की फसलों की स्थिति सुधर नही पा रही है क्योंकि धान की फसल में पानी की बहुत आवश्यकता होती है और खासकर बारिश के पानी की। बारिश न होने से धान के पौधों की इच्छित ब्यास नहीं हो पायी और एक पौधे में जहाँ चालीस शाखाएँ तक निकलती थीं वहाँ बारिश न होने से उनमें दस से पंद्रह या उससे भी कम शाखाएँ निकल पायी हैं जिससे फसल का उत्पादन बहुत ज्यादा कम होना निश्चित हो चुका है क्योंकि ब्यास का समय भी जा चुका है साथ ही जो किसान 100 से 200 रुपये प्रति घंटे की प्राइवेट ट्यूबवेलों से खेतों की सिंचाई कर रहे हैं उनकी फसलों की लागत में भी काफी वृद्धि हो चुकी है। किसान खेतों में पानी देता है परतु जबरदस्त गर्मी व धूप होने के कारण खेतों में पानी टिकता ही नहीं। गनीमत यह है कि विद्युत आपूर्ति पहले से काफी बेहतर है जिससे किसान किसी तरह अपनी फसलों को सूखने से बचाने में अभी तक तो कामयाब रहा है लेकिन यदि अगले एक सप्ताह तक इन्द्रदेव ऐसे ही रूठे रहे तो यह व्यवस्था भी नाकाफी हो सकती है क्योंकि माँग अपने चरम पर होने से ट्यूबवेलों से सभी खेतों को समय पर पानी मिलना मुश्किल होगा। उधर बारिश न होने से क्षेत्र की जनता उमस भरी गर्मी और गर्मियों की ऋतु जैसी कड़ी धूप से बेहाल है। लोगों को बारिश के मौसम का अहसास ही नहीं हो पा रहा है।