क्या सभी निजी विद्यालय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहें हैं ?

प्रदीप नरायण मिश्र (प्रवक्ता रसायनशास्त्र, पी. बी. आर. इण्टर कॉलेज, गौसगंज, हरदोई)


प्रारम्भिक शिक्षा हर बच्चे का मौलिक अधिकार है। शिक्षा के समवर्ती सूची में होते हुए भी केन्द्र सरकार व राज्य सरकारें शिक्षा के व्यावसायीकरण को बढ़ावा दे रही थी। सरकार अब तो पूरी तरह से शिक्षा के उत्तरदायित्व से स्वयं को हटाकर समुदाय पर थोपना चाह रही है। देश में सरकारी स्कूलों के निजीकरण से क्या हर बच्चे को शिक्षा मिल सकेगी ? जब कि संविधान भी कहता है कि प्रारंभिक शिक्षा हर बच्चे का मौलिक अधिकार है। क्या सभी निजी विद्यालय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहें हैं ? गरीब बच्चों का क्या होगा ? क्या सभी सरकारी विद्यालयों में सरकार ने समुचित संसाधन उपलब्ध कराकर अपना उत्तरदायित्व पूर्ण किया है ? क्या सरकारी शिक्षकों को अपने विद्यालयों में बच्चों के साथ स्वतंत्रता पूर्वक कार्य करने का अवसर मिल रहा है ? क्या सरकार, हम शिक्षक, अभिवावक अपने -अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं ?
सरकार द्वारा शिक्षा के निजीकरण के परिप्रेक्ष्य में प्रो. यशपाल की याद याती है उन्होंने ने NCF-2005 के निर्माण के समय कहा था ” शिक्षा कोई भौतिक वस्तु नहीं है जिसे शिक्षक या डाक के जरिए कहीं पहुंचा भर दिया जा सके। उर्वर और ऊर्जादायी शिक्षा की जड़ें हमेशा ही बच्चे की भौतिक और सांस्कृतिक जमीन में गहरी पैठी होती हैं और उन्हें माता-पिता, शिक्षकों, सहपाठियों और समुदायों के साथ पारस्परिक क्रियाओं से पोषण मिलता है। इस दायित्व के संदर्भ में शिक्षकों की भूमिका और प्रतिष्ठा को रेखांकित करने और सुदृढ़ करने की जरूरत है।”
कुछ शिक्षकों की अपने कर्तव्य के प्रति उदासीनता , अभिवावकों का उपयुक्त सहयोग का न मिल पाना, स्कूलों में संसाधनों का न होना , सरकारी तंत्र मे व्याप्त भ्रष्टाचार, आदि समस्याओं से शिक्षा व्यवस्था पंगु बनकर रह गयी थी जिन्हें दूर न कर अब सरकार स्वयं शिक्षा के उत्तरदायित्व से मुख मोड़ रही हैं।  इन परिस्थितियों में हम सभी शिक्षकों , अभिभावकों को चाहिए कि अपने उत्तरदायित्वों का पूर्ण रूप से निर्वहन करें जिससे सभी बच्चे गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्राप्त कर देश को गौरवान्वित कर सकें।