हिन्दी हैं हम

इलाहाबाद से हिन्दी-माध्यम में शोध करनेवाले विश्व के प्रथम शोधार्थी थे, फादर कामिल बुल्के

  • भाषाकार फादर कामिल बुल्के की आज (1 सितम्बर) जन्मतिथि है।

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय (भाषाविद्-समीक्षक)

‘कामिल’ का अर्थ है, एक प्रकार का पुष्प’। जायसी ने ‘पद्मावत’ में क्या ख़ूब कहा है, “फूल मरै पर न मरै न बासू।” यही कारण है कि उस पुष्प की सुगन्धि आज भी व्याप्त है। गौरवपूर्ण आश्चर्य का विषय है कि 1 सितम्बर, 1909 ई० को वेस्ट फ्लैंडर्स, बेल्जियम के रामशैपेल, नाकके हेइस्ट नगरपालिका में पैदा होनेवाला एक बालक वय-वार्द्धक्य के साथ इलाहाबाद आता है और अपने नाम एक ऐसा शैक्षणिक कीर्तिमान कर जाता है, जो वैश्विक बन उसकी गरिमा का विस्तार करता है।

1934 ई० में कामिल अध्ययन के प्रति अपनी प्रबल चाह लिये भारत के लिए निकल पड़े थे। 1940 ई० में हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग से उन्होंने विशारद की उपाधि प्राप्त की थी। ‘रामकथा की उत्पत्ति और विकास’ पर कामिल ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से1950 ई० में हिन्दी-साहित्य में ‘डॉक्टरेट’ की उपाधि हिन्दी-माध्यम में अर्जित की थी। तब केवल अँगरेज़ी-माध्यम में ही शोधकर्म की अनुमति थी; परन्तु कामिल के उत्कट हिन्दी-अनुराग के सम्मुख विश्वविद्यालय-प्रशासन झुकना पड़ा था, फिर क्या था, उसी के बाद से देश के सभी विश्वविद्यालयों में हिन्दी-माध्यम में शोध करने की अनुमति प्राप्त हो गयी थी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मात्र पाँच विद्यार्थियों को लेकर हिन्दी-विभाग आरम्भ करनेवाले डॉ० धीरेन्द्र वर्मा कामिल के मार्गदर्शक थे और डॉ० माता प्रसाद निरीक्षक। इलाहाबाद-प्रवास को फादर कामिल ‘जीवन का द्वितीय वसन्त’ कहते थे। इलाहाबाद के जनसमुदाय को ‘मायकेवाले’ और महादेवी वर्मा को ‘दीदी’ कहते थे। कामिल बुल्के बहुभाषाविद् थे। फ्लेमिश, हिन्दी, संस्कृत, अँगरेज़ी, फ्रेंच, जर्मन, लैटिन, ग्रीक भाषाओं पर उनका समान अधिकार था। वर्ष 1951 में उन्हें भारत की नागरिकता मिली थी। वे हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रचारित करनेवाली समिति के सदस्य बनाये गये थे। 17 अगस्त, 1982 ई० को गैंगरीन रोग से ग्रस्त होने के कारण एम्स, दिल्ली में उनका शरीरान्त हो गया था। अँगरेज़ी-हिन्दी कोश, हिन्दी-अँगरेज़ी कोश, मुक्तिदाता, नया विधान, नील पक्षी कृतियों की देवनागरी लिपि हिन्दीभाषा में रचना की थी।

(सर्वाधिकार सुरक्षित : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; २ सितम्बर, २०१९ ईसवी)