आकांक्षा मिश्रा (गोंडा)
बहुत कुछ बदल गया इन चार दिनों में । पापा इतनी भी क्या जल्दी थी ? अभी हमे हर मोड़ पर आपकी जरूरत थी । जीवन पर्यंत आपने हम सभी भाइयों को संघर्ष शील , जुझारू बनाया । आपको जब भी देखती , आपके भीतर किसी चीज को पाने की न खोने का कोई डर नही था ।
जनवादी प्रतिबद्ध कम्युनिस्ट पिता की पुत्री के रूप में देखा जाये वर्ष 200 6से आपके राजनीतिक जीवन को जानने अवसर बनारस शहर नम्बर महीने में मिला । बनारस शहर से आपकी राजनीतिक सक्रियता, जनवादी आंदोलन, किसान चेतना, गरीब मजदूरों, आदिवासी जनजातियों व शोषित वर्ग के प्रति मानवीय सम्वेदनशीलता, सहृदयता के साथ आप हमेशा सभी के साथ सामंजस्य बनाते हुए जुड़े रहे । बभनान, गोंडा, बस्ती, फैजाबाद, इलाहाबाद, सोनभद्र, मऊ, बलिया, चन्दौली, मिर्जापुर आदि शहरों में राजनीतिक सक्रियता होलटाइमर के रूप रही ।
पापा आप अपने सैद्धान्तिक विचारों से कभी पीछे नही हटे हमेशा तटस्थ रहे । आपने पैतृक गांव में कई बेघर लोग को रहने के लिए ज़मीनें दीं, उनके हर दुःख -सुख में सदैव साथ रहे । पिता जी के जीवन संघषों को यदि देखा जीवन पर्यंत अपने सिद्धांतों के साथ संघर्षो हमेशा जुड़े रहे ।
2018 में इलाहाबाद में आपके राजनीतिक जीवन मे पार्टी के सदस्यों से आपके बहुआयामी व्यक्तित्व के बारे में जानकारी मिलती रही । पापा इस तरह इतने विस्तृत जमीन पर आपने कितना कुछ किया । जनवादी आंदोलनों को बढ़ाने में लोगो से सम्पर्क के लिए आपने अपना बहुमूल्य समय दिया, गांव के पास स्टेशन तीन किलोमीटर की दूरी पर है, कोई भी साधन जरूरत के समय आज भी नही मिल सकता है । आज के दस साल पहले तो नामुमकिन था लेकिन मैंने आपको देखा और जाना है, यदि किसी भी व्यक्ति को आपके सहयोग की आवश्यकता आधी रात को भी पड़ जाती; आप तुरंत पैदल चल पड़ते थे । बहुत ही कठिन समय है । क्या लिखूं । पापा निःशब्द हूँ । स्मृतियों में …..।