डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
इस देश में जितने भी लोग ‘हिन्दू’ की दूकानें खोल-खोलकर बैठे हुए हैं, उनमें से पाँच प्रतिशत भी ऐसे नहीं हैं, जो दस वाक्यों में अपने हिन्दू होने/बनने की प्रामाणिकता प्रस्तुत कर सकें। यह मात्र देश को खोखला करके अपना-अपना घर-परिवार बनाये रखने और जनसामान्य को ‘हिन्दू’ के नाम पर बहलाये रखने की एक प्रक्रियामात्र है, जिसे हमारे देश की राजनीति में बाख़ूबी इस्तेमाल किया जा रहा है और हिन्दूभक्त आँखें बन्दकर अपने परम भक्तिभाव का सुपरिचय दे रहे हैं।
तथाकथित हिन्दू यदि वास्तव में, हिन्दू होते तो आज देश के आठ राज्यों में हिन्दू ‘अल्पसंख्यक’ नहीं कहलाये जाते। ‘मुसलमानों’ के नाम पर अल्पसंख्यक आयोग है; परन्तु जहाँ पर हिन्दू अल्पसंख्यक हैं, वहाँ पर उनके हित का पोषण करनेवाला उनके लिए भी ‘अल्पसख्यक-आयोग’ क्यों नहीं?
पिछले कई महीनों से उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में बी०एड्०-टेट के हिन्दू-महिला अभ्यर्थियों, विशेषत: गर्भवती महिला अभ्यर्थियों को कट्टर हिन्दूवादी सरकार के सरगना के हिन्दू सिपाहियों ने नृशंसतापूर्वक लाठियों से मार रहे हैं; अपनी बर्बरता प्रदर्शित करते हुए, उनके हाथ-पैर तोड़ रहे हैं और सिर फोड़ रहे हैं। कितने अभ्यर्थियों ‘आत्महत्या’ कर ली है। इसके बाद भी वे सभी हिन्दू अपनी न्यायोचित माँग को लेकर डँटे हुए हैं।
विकास की बात करनेवाले हिन्दू नेताओं के मुँह में कालिख़ पुत चुकी है। किसी को राम दिख रहा है; कृष्ण दिख रहा है तथा विष्णु दिख रहा है; किन्तु खेद है, किसी को भी मनुष्यता नहीं दिख रही है! हिन्दू बहू-बेटियों के साथ हिन्दू “डंके की चोट पर” बलात्कार करते आ रहे हैं; तरह-तरह के जघन्य कृत्य करते आ रहे हैं; हिन्दू ‘हिन्दू’ के घरों में घुसकर चोरी कर रहा है; डाका डाल रहा है; हत्याएँ कर रहा है। आरक्षण के नाम पर अयोग्य हिन्दू स्वयं से हज़ार गुणा योग्य हिन्दुओं का हिस्सा हड़पते जा रहे हैं।
हिन्दू इतना चरित्रहीन हो चुका है कि कहीं ब्राह्मण बनकर ‘ब्राह्मण’ को ठग रहा है; ठाकुर (नाऊ/हज्जाम नहीं) ‘ठाकुर’ की पीठ में छुरा भोंक रहा है तथा वणिक बुद्धिवाला वैश्यवर्ग समस्त हिन्दुओं को उल्लू बना रहा है। वर्षों से ब्राह्मण-ठाकुरों की बेहद घिनौनी पारिस्परिक प्रतिस्पर्द्धा चली आ रही है। यादव, काछी, कुरमी, कुशवाहा, पटेल, लोधी इत्यादिक आरक्षणधारी तथाकथित पिछड़ा वर्ग हिन्दू खा-खाकर डकार मार रहे हैं; वहीं अधिकतर चमार, पासी, खटिक, सोनकर इत्यादिक हिन्दू आरक्षण का भरपूर लाभ लेकर सीना तानकर अपनी अकर्मण्यता से हिन्दू-समाज को कलंकित करते आ रहे हैं। ऐसे संस्कारविहीन हिन्दुओं को हिन्दूवादी सरकार प्रश्रय देकर सवर्ण हिन्दुओं के सिर पर बैठा रखी है।
वास्तव में, कथित धर्म हिन्दू के पक्षधर अफ़ीमची की तरह से गली-गली-कूँचे-कूँचे दिख जाते हैं। ऐसे ही लोग भारत राष्ट्र की महनीयता की जड़ में मट्ठा डालने का काम करते आ रहे हैं। अपना देश ‘भारत’ नाम एक प्रबल, किन्तु ढोंगी हिन्दू राजनीतिक महन्त को रास नहीं आ रहा है, तभी तो ‘अँगरेज़ की सन्तान’ प्रतीत होता, वह राष्ट्रघाती हिन्दू व्यक्ति ‘न्यु इण्डिया’ की बात करता है।
निष्कर्ष— यदि यही ‘हिन्दू और हिन्दुत्व’ है तो इसकी हत्या कर देनी चाहिए।
(सर्वाधिकार सुरक्षित : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, इलाहाबाद; ४ नवम्बर, २०१८ ईसवी)