● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
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इन दिनो शेनजेन (चीन) मे खेले जा रहे ‘चाइना मास्टर्स सुपर– ७५० बैडमिण्टन-टूर्नामेण्ट’ के अन्तर्गत अपने पहले लीग मैच मे पी० वी० सिन्धू २० नवम्बर को अपने से श्रेष्ठतर श्रेणीवाली थाइलैण्ड की खेलाड़िन बुसानन को लगभग ५० मिनट तक चले मैच मे पहले सेट (२१-१७) और दूसरे सेट (२१-१९) मे पराजित कर, दूसरे दौर मे पहुँची थी, यद्यपि बुसानन सिन्धू को कड़ी टक्कर दे रही थी। वह मैच सिन्धू के लिए बिलकुल आसान नहीँ था।
दो बार की ओलिम्पिक-पदकविजेत्री सिन्धू के दूसरे दौर का मैच २१ नवम्बर को सिंगापुर की यिओ जिया मिन से हुआ था, जिसमे दोनो ने एक-एक सेट जीते थे; परन्तु तीसरे और निर्णायक मैच मे सिन्धू पराजित हो गयी। सिन्धू ने जियामिन को पहले सेट मे १६-२१ से हराया था; दूसरे सेट को सिन्धू ने २१-१७ से जीता था, जबकि तीसरे और निर्णायक सेट मे सिन्धू २१-२३ से पुन: पराजित हुई। अब वह टूर्नामेण्ट से बाहर हो चुकी है। आख़िरी सेट मे एक समय सिन्धू १३-९ से आगे थी, जिसका वह लाभ नहीँ ले पायी, जबकि जिया मिन ने ज़ोरदार प्रदर्शन करते हुए, लगातार अंक लेते हुए, सिन्धू को धूल चटा दी।
सिन्धू मे अब पहले-जैसी न तो स्फूर्ति रह गयी है और न ही जिगीषा (जीतने की इच्छा)। उसकी शारीरिक भाषा एक काहिल के रूप मे दिख रही है। उसके चेहरे पर जो चमक रहनी चाहिए, बिलकुल नहीँ दिखती। पिछले कुछ मैचोँ मे सिन्धू की छ: प्रकार की दुर्बलता साफ़ दिखती आ रही हैँ :– पहली, जब सिन्धू की प्रतिद्वन्द्विनी दूरीवाला शॉट लगाती वा उसकी शटल ‘साइड-लाइन’ की ओर गिरती है तब सिन्धू सही अनुमान लगाने मे विफल रहती है कि शटल ‘ऑफ़-लाइन’ पर गिरी है वा ‘ऑन-लाइन’ पर; दूसरी, उसकी दायीँ ओर शॉट मारने वा स्मैश करने पर वह शटल को गिरने से पहले अपनी विरोधिनी के पाले मे सुरक्षित नहीँ भेज पाती; तीसरी, जहाँ उसे शॉट मारना चाहिए वहाँ वह पुचकार कर शटल लौटाती है; चौथी, उसका ‘बैक हैण्ड’ ऐसे चलता है, मानो नज़ाकत दिखा रही हो; इतना ही नहीँ, ‘बैक हैण्ड’ लगाने के ठीक बाद वह पलटकर भी नहीँ देखती कि उसका जवाब विरोधिनी-पाले से कैसा आयेगा; पाँचवाँ, उसके भीतर आक्रामक तेवर अपनाकर, अपनी प्रतिद्वन्द्विनी के विरुद्ध मनोवैज्ञानिक लाभ लेने की सामर्थ्य नहीँ है तथा छठा, वह उचित समय पर बराबरी करने वा अग्रता लेने के बाद भी उसे बनाये रखने और आगे बढ़ाने मे विफल रहती है। यही कारण है कि सिन्धू इधर कुछ वर्षोँ से अपनी प्रतिष्ठा के अनुरूप प्रदर्शन नहीँ कर पा रही है। अब उसे अभ्यास करने के लिए अन्तरराष्ट्रीय मैचोँ से दूर रखना चाहिए तथा उसके समस्तरीय प्रदर्शन करनेवाली भारतीय खेलाड़िनो को अवसर देना चाहिए।
(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; २१ नवम्बर, २०२४ ईसवी।)