बैंकिंग नियमन संशोधन विधेयक 2017 आज संसद ने पारित कर दिया है । इसे आज राज्यसभा ने मंजूरी दे दी । लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। वित्तमत्री अरूण जेटली ने विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा । उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से बकायेदारों में घबराहट है और वे समाधान के लिए बैंकों से सम्पर्क कर रहे हैं । श्री जेटली ने कहा कि लिचटेंस्टीन, एच एस बी सी और पनामा मामले में पता चले खातों की जांच की जा रही है और सरकार इस बारे में संबंधित देशों के सम्पर्क में है। वित्तमंत्री ने यह भी कहा कि ऋण वसूली अधिकरण और राष्ट्रीय कम्पनी कानून अधिकरण का विस्तार संकटग्रस्त ऋणों की समस्या से निपटने के लिए किया जा रहा है ।
कांग्रेस के जयराम रमेश ने चर्चा में भाग लेते हुए कर्ज न चुकाने वालों को दंडित करने की मांग की । बैंकों के संकटग्रस्त ऋणों से जुड़े मामलों से निपटने के लिए बैंकिंग नियमन कानून 1949 में संशोधन की व्यवस्था विधेयक में है। संकटग्रस्त ऋण ऐसे ऋण हैं, जिनकी अदायगी में कर्जदार विफल रहा है या ऋणों की अदायगी का पुननिर्धारण किया गया है। यह विधेयक इस वर्ष चार मई को लागू बैंकिंग नियमन संशोधन अध्यादेश 2017 की जगह लेगा।