क्षेत्रीय संयोजक गोवंश प्रकोष्ठ भाजपा ने गोवंशों के संरक्षण व संवर्धन की मांग की

कछौना (हरदोई) : गौवंशों, गौ-आश्रय स्थलों इनसे किसानों की दुर्दशा को लेकर क्षेत्रीय संयोजक गौवंश प्रकोष्ठ भाजपा सुनील शुक्ला ने गौवंश व किसानों को हो रही आवारा पशुओं से समस्या को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर शिकायत की है। जिसमें उन्होंने कहा है कि वर्तमान में गौवंश सड़क दुर्घटना व रेल दुर्घटना व खेतों में लगे कटीले तारों से घायल होकर तड़प तड़प कर मरने को विवश हैं। वही किसान आवारा पशुओं से फसल बचाने के लिए रात रात भर रतजगा कर रहे हैं। जिसमें सैकड़ों किसानों की हजारों हेक्टेयर फसल बर्बाद हो गई हैं। यहां तक किसान बुवाई भी नहीं कर पा रहे हैं। जिसको लेकर किसानों में आक्रोश है।

गाय भारतीय संस्कृत का आधार है। इसलिए गाय को पवित्र माना गया है। जिसके सभी उत्पाद दूध, दही, मक्खन, घी, गोबर, मूत्र पवित्र माने जाते हैं। जिससे शरीर हष्ट पुष्ट बनता है। वर्तमान परिवेश में गौवंश की बुरी दुर्दशा है। कृषि कार्य मशीनरी सिस्टम पर निर्भर होने के कारण किसान इन्हें आवारा छोड़ देते हैं, क्योंकि कृषि कार्य में यह अनुपयोगी हो चुके हैं। जिससे यह काफी संख्या में बढ़ गए हैं। गौशाला, कांजी हाउस में काफी अवव्यवस्थाएं हैं। वही ग्राम सभाओं में सार्वजनिक भूमि चारागाह, खलिहान, तालाब, बंजर भूमि पर अवैध रूप से ग्रामीणों ने कब्जा कर रखा है। जिसके चलते इन्हें चरने की समस्या खड़ी हो गई है। आवारा पशुओं के साथ किसानों की बड़ी दुर्दशा है। किसानों ने अपनी फसल को बचाने के लिए ब्लेड वाले तार खेतों लगा रखे हैं। उन की चपेट में आने से आए दिन बेजुबान पशु तड़प तड़प कर मर जाते हैं। गांवो में इन पशुओं के शव को दफनाने का कोई प्रावधान नहीं है। जिसके चलते मृत गौवंश खुले में पड़े रहते हैं। जिनसे काफी दुर्गंध फैल जाती है। क्षेत्र में इस दुर्गंध से संक्रामक बीमारी फैलने की प्रबल संभावना बनी रहती है।

गौवंश संरक्षण की योजनाएं केवल कागजों पर ही संचालित होती हैं। जिसका जीता जागता उदाहरण क्षेत्र में खुले गौ आश्रय स्थल हैं, जहां पर गौवंशों को चारा के नाम पर केवल भूसा दिया जाता है। गौ-आश्रय स्थलों में आवारा पशुओं को पानी पीने के लिए तालाब खोदे गए हैं, जो वर्तमान में सूखे पड़े हैं। कुछ दिन पूर्व में तेज आंधी व बरसात के कारण भूसा रखने वाले टीन सेट उखड़ चुके हैं। इन केंद्रों पर सोलर लाइट टूट चुकी हैं, जहां तक सोलर लाइटों की बैटरी भी चोरी हो गई है। केयर टेकरों को कई महीनों से मानदेय न मिलने के कारण देखरेख में रुचि नहीं लेते हैं। जिससे यह बेजुबान पशु चारा पानी के अभाव में असमय मृत्यु के शिकार हो रहे हैं। जिन्हें गौ-आश्रय स्थल के पास में खुले में डाल दिया जाता है। दफनाये न जाने के कारण काफी बदबू फैलती है। वहीं गौ-आश्रय स्थलों में नियमित सफाई न होने के कारण काफी गंदगी बनी रहती है। कई गौ-आश्रय स्थलों को देखने पर गौवंश मृत अवस्था में पड़े पाए गए हैं। जिन्हें कौवे, कुत्ते नोच नोच कर खा रहे थे। पूरे मामले की शिकायत पूर्व गौ-रक्षा आयोग के पूर्व क्षेत्रीय संयोजक गौवंश प्रकोष्ठ भाजपा ने मुख्यमंत्री से की है। भेजे गए पत्र में इनके संरक्षण व संवर्धन की मांग की है।

रिपोर्ट – पी०डी० गुप्ता