बिहार में जघन्य और बीभत्स काण्ड!

——० ज्वलन्त विषय ०—–


डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
(प्रख्यात भाषाविद्-समीक्षक)

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय


आज सम्पूर्ण देश में एक ‘बालिका से लेकर वृद्धा’ तक के साथ जिस तरह का दुराचरण किया जा रहा है; बलप्रयोग करते हुए, उनके साथ जघन्य और बीभत्स कृत्य किये जा रहे हैं, उनके प्रति देश में सत्तासुख भोग रहे लोग को चिन्ता नहीं है। उसी की एक शोचनीय और अमानवीय कृत्य की बृहद् चर्चा आज ‘बालिकागृह’, मुज्जफ़रपुर (बिहार राज्य) से निकलकर समूचे देश में व्याप्त हो चुकी है। वहाँ बालिकाओं के साथ निर्ममतापूर्वक दुष्कर्म किये गये हैं और पापकर्म पर पर्द: डालने के लिए उनके शव को सामूहिक रूप में दफ़्न भी कर दिया गया है। उसकी खुदाई शुरू कर दी गयी है। वहाँ की अनेक बालिकाओं की कोख में ‘पाप’ और ‘अपराध’ के ‘निर्दोष परिणाम’ पल रहे हैं। नैतिकता की बड़ी-बड़ी बातें करनेवाले बिहार के ढोंगी मुख्य मन्त्री किस ‘दरबे’ में मुँह में कालिख़ लगाये छुपे हुए हैं?

ऐसी घटनाओं का औसत देखा जाये तो देश में प्रतिदिन इस प्रकार के अनेक नृशंस कृत्य किये जा रहे हैं; परन्तु अफ़सोस! केन्द्र और राज्य की सरकारों के कानों में जूँ तक नहीं रेंग रहा है। उन्हें जितना और जिस रूप में भी धिक्कारा जाये, अत्यल्प ही है।

वास्तव में, आज देश के सभी ‘बालिकागृह’, ‘बालिका-निकेतन’, ‘बालिका-सुधारगृह’, ‘नारी-निकेतन’, ‘बालसुधारगृह’ इत्यादिक ‘व्यभिचार’, ‘बलात्कार’, ‘सामूहिक यौवनाचार’, ‘अप्राकृतिक यौनाचार’ के प्रमुख केन्द्र बना दिये गये हैं, जिनमें राजनीतिक क्षेत्र, ज़िला-प्रशासन, पुलिस-प्रशासन तथा सम्बन्धित सुधारगृह की महिला अधिकारी, कर्मचारी आदिक की एक सिरे से सहभागिता और संलग्नता रहती है।

आज देश के अधिकतर कमीश्नर, डी०एम०, ए०डी०एम०, एस०डी०एम०, एस०एस०पी०, एस०पी०, दारोगा आदिक ऐश कर रहे हैं। दुखी-पीड़ितों की आवाज़ को नज़रअन्दाज़ कर, अपनी विलासितापूर्ण जीवन जी रहे हैं; सारी सुख-सुविधाएँ उनके सरकारी आवास में खेल-कूद रही हैं।
यहाँ प्रश्न है, उक्त प्रकार के संवेदनशील स्थानों पर उपर्युक्त लोग कितनी बार जाकर वहाँ की व्यवस्था का निरीक्षण करते हैं? क्या ऐसे अय्याश और भोग-विलासी अधिकारियों को अपने पद पर बने रहने का अधिकार है?
(सर्वाधिकार सुरक्षित : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, इलाहाबाद; २३ जुलाई, २०१८ ईसवी)