कैप्टन अनुज नैय्यर की कहानी, उनकी माँ मीना नैय्यर की जुबानी : “द टाइगर ऑफ़ द्रास”

राघवेन्द्र कुमार त्रिपाठी ‘राघव’

कारगिल युद्ध के अमर नायकों मे से एक नायक कैप्टन अनुज नैय्यर आपको याद हैं! टाइगर हिल की सोलह हजार फ़ीट ऊँची पश्चिमी चोटी प्वाइंट 4875 (जिसे पिंपल-टू भी कहा जाता है) को दुश्मनों से जीतने मे कैप्टन विक्रम बत्रा के साथ महती भूमिका निभाने वाले 23 वर्षीय जाट रेजीमेंट के हीरो कोई और नहीं अनुज नैय्यर ही थे। कमाण्डर के चोटिल होने के बाद अनुज नैय्यर व विक्रम बत्रा ने दो दल बनाकर अलग-अलग खड़ी चढ़ायी शुरू कर दी। सात सेनानियों के साथ पिंपल-टू जीतने गये, वीर सपूत ने दुश्मन की छाती विदीर्ण कर उनके चार बंकरों को तहस-नहस कर स्वयं को देशहित में समर्पित कर दिया। इस दौरान वीर नैय्यर की टुकड़ी के सभी जवान वीरगति को प्राप्त हुए। प्रखर बलिदानी अनुज नैय्यर को मरणोपरान्त महावीर-चक्र से सम्मानित किया गया।

आप मे से अधिकांश जागरूक लोग ने ओमपुरी अभिनीत फ़िल्म “धूप” देखी ही होगी। इस फ़िल्म मे कारगिल शहीद के स्वजन को आबण्टित ‘पेट्रोल फिलिंग स्टेशन’ की स्वीकृति के लिये की गयी जिद्दोजहद की कहानी है। अन्त मे “कारगिल हाइट्स” के नाम से दिल्ली मे एक पेट्रोलियम फिलिंग स्टेशन का निर्माण होता है, जो आज भी देखा जा सकता है। आपको मालूम होना चाहिए कि यह किसी अन्य की नहीं वीर बलिदानी अनुज नैय्यर के बलिदानोपरान्त उनके परिवार को आबण्टित की गयी पेट्रोल पंप के निर्माण मे बाधा बने सिस्टम की कहानी थी। अमूमन भारत मे पनपे भ्रष्टाचार की बानगी इस तरह के प्रत्येक मामले मे किसी न किसी स्तर पर देखने-सुनने को मिलती ही रहती है।

कैप्टन अनुज नायर की माँ मीना नैय्यर और हिम्मत सिंह शेखावत ने “द टाइगर ऑफ़ द्रास” नाम से एक पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक को सेना व रक्षा विभाग से अनुमोदन प्राप्त हो चुका है। इस पुस्तक मे आप “अनुज” के बचपन से उनके बलिदान को प्रामाणिक तथ्यों के साथ जान सकेंगे। कैसे प्रेम से आगे देशप्रेम रहा? कैसे 16 साल के अनुज ने एनेस्थेसिया लिये बिना पैर मे दर्ज़नों टांके हँसकर लगवाये? कैसे देश प्रेम उनकी नस-नस में रक्त बन दौड़ने लगा? इन सभी बातों को आप “द टाइगर ऑफ़ द्रास” को पढ़कर जान पायेंगे। कैप्टन अनुज नैय्यर अपने स्वजन को बराबर पत्र लिखते रहते थे। इन्हीं पत्रों और पत्रों के आधार पर उनकी माताश्री द्वारा लिखी गयी पुस्तक से अधिक प्रामाणिक और क्या होगा?

दिल्ली में शनिवार, 2 अप्रैल 2022 को पुस्तक का विमोचन होगा। आप इस पुस्तक को विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के साथ प्रतिष्ठित पुस्तक-भाण्डारों से प्राप्त कर सकते हैं। ऑनलाइन इस पुस्तक के लिये प्रि-बुकिंग शुरू हो गयी है। आप चाहें तो इसे मंगवाने हेतु बुकिंग कर सकते हैं।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– राघवेन्द्र कुमार त्रिपाठी ‘राघव’, हरदोई; २९ मार्च, २०२२ ईसवी।)