बहुत कुछ कह जाते हैं, पाँच राज्यों के चुनाव-परिणाम
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ३ दिसम्बर को चार राज्यों के जो चुनाव-परिणाम आये थे, उनमे से दो राज्यों के परिणाम निश्चित रूप से आशा और विश्वास के विपरीत दिख रहे हैं। उसके अगले दिन […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ३ दिसम्बर को चार राज्यों के जो चुनाव-परिणाम आये थे, उनमे से दो राज्यों के परिणाम निश्चित रूप से आशा और विश्वास के विपरीत दिख रहे हैं। उसके अगले दिन […]
कल श्रद्धेय द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी का जन्मदिनांक (१ दिसम्बर) था। उन दिनो, मै आगरा से प्रकाशित प्रतियोगितात्मक मासिकी ‘प्रतियोगिता विकास’ का सम्पादक था, तब मैने उस पत्रिका मे अँगरेज़ी-व्याकरण के स्तम्भ-लेखन का दायित्व जिन्हें […]
जब मै इस आततायी सरकार की देश और राष्ट्रविरोधी नीतियों पर प्रहार करता हूँ और उसके नंगे चरित्र को सामने लाता हूँ तब इस ‘फ़ेसबुक’ मे जितने भी चेहरे भरे हुए हैं, उनमे से बहुसंख्यकजन […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय तेलंगाना मे मुख्यमन्त्री के० चन्द्रशेखर राव की बेटी ‘कल्वाकुन्तला कविता’ दिल्ली-शराबकाण्ड मे मुख्य आरोपित है; मगर उसे अब भी बचाकर रखा गया है, जबकि आम आदमी पार्टी के सत्येन्द्र जैन, […]
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को ‘देवउठनी एकादशी’ या ‘हरिप्रबोधिनी एकादशी’ कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि चार माह तक भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते हैं। सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार […]
भारतीय क्रिकेट की ‘पुरूष टीम’ को आईसीसी विश्व कप जीतने की अग्रिम शुभकामनाओं के साथ विश्व के समस्त नागरिकों को ‘अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस’ की कोटि कोटि बधाई। (आशा विनय सिंह बैस)
‘राष्ट्रीय प्रेस-दिवस पर हमारी विशेष प्रस्तुति ● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय भारत मे प्राय: प्रत्येक दिन कोई-न-कोई दिवस आयोजित होता रहा है; परन्तु उसकी मान्यता और उपयोगिता-महत्ता से अधिकतर जन अनभिज्ञ रहे हैं। इसका मूल […]
८ नवम्बर, २०१६ : भारतीय अर्थव्यवस्था का ‘कृष्णपक्ष’ ● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय भारत के आर्थिक इतिहास मे ८ नवम्बर, २०१६ की तारीख़ अति भयावह थी। जैसे ही रात्रि के ८ बजे थे, देश के […]
खादी सिर्फ एक कपड़ा नहीं बल्कि यह भारत के इतिहास, मूल्यों और आकांक्षाओं का प्रतीक है। भारत में हाथ से कताई और बुनाई की परंपरा लगभग 1000 साल पुरानी है। सिंधु घाटी सभ्यता में इसके […]
आत्मचिन्तन ● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय आज़ादी के बाद से पिछले नौ वर्षों में जिस नीति के अन्तर्गत वर्तमान सरकार ने प्रत्येक स्तर पर प्रत्येक क्षेत्र मे जिस तरह से खोखला कर आत्म-समृद्धि कर ली […]
● “मैंने अतीत को ध्यान से पढ़ा है; वर्तमान को मनोयोग से सुना है तथा भविष्य को प्रत्यक्ष की भाँति देखा है”― श्रीमती इन्दिरा गान्धी भारत ही नहीं, अपितु शेष विश्व मनुष्य के लिए शान्तिपूर्वक […]
हालांकि भगवान राम की मर्यादा और रामायण की महिमा तो सर्वकालिक है। लेकिन चिर निद्रा में सोये और अपने महान इतिहास को लगभग विस्मृत कर चुके हम सनातनियों को जब कोई जामवंत आकर याद दिलाता […]
बैसवारा में शादी-ब्याह जैसे शुभ अवसरों में हम अपने परिवारजनों, रिश्तेदारों और इष्ट मित्रों के अलावा अपने पूर्वजों को भी आमंत्रित करते हैं। मुझे याद है विवाह के एक सप्ताह पहले से ही परिवार की […]
“अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्द नुते।गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते।।भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते।जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥“ आदि शंकराचार्य द्वारा लिखित और पंडित बीरेंद्र कृष्ण भद्र की आध्यात्मिक वाणी में महालया अमावस्या तिथि को मां […]
हमारे गांव बरी वाले घर में दो गोई (जोड़ी) यानी कुल चार बैल हुआ करते थे। बड़ी वाली गोई ‘बछौना’ (जब बछवा यानी बच्चा था, तभी खरीदा गया था इसलिए बछौना ) और ‘बड़ौना’ (थोड़ी […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय राहुल गांधी चुनाव-प्रचार के लिए पिछले १० अक्तूबर को शहडोल (मध्यप्रदेश)-हवाई अड्डा पहुँचे थे। उससे पहले सतना (मध्यप्रदेश) हवाई अड्डे पर उनके चार्टेड प्लेन के उतरते ही अचानक, एक अज्ञात […]
जिन दिनों मैं हमेशा की तरह एक यात्रा करती हुई अपने गंतव्य पर पहुंचने की आशा में प्रयागराज से ट्रेन पकड़ रही थी । सारनाथ ट्रेन आने वाली थी सभी यात्री अपने सामान के साथ […]
कभी तमन्ना थी कि हर कोई पहचाने मुझे,अब ये चाहत है कि गुमनाम ही रहूं…!! जीवन का सर्वश्रेष्ठ साल गुजर गया! एक ऐसा साल, जिसने मुझे मुझसे मिलाया! इस साल उन तमाम परिस्थितियों का सामना […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय आपमे से प्रायः किसी-न-किसी का इस आशय का परिवाद/उपालम्भ बना रहता है :– ऐसे बहुत कम मित्र हैं, जो मेरी (यहाँ ‘मेरे’ अशुद्ध है।) विचाराभिव्यक्ति पर वांछित टिप्पणी नहीं करते […]
बाबा की पीढ़ी के समय हमारे परिवार में लगभग 50 लोग एक साथ बरी गांव के कच्चे घर में रहा करते थे। पापा की पीढ़ी के लोग पढ़ लिखकर बाहर निकल गए। जिसको जहां रोजगार […]
अजमेर यात्रा— अरावली पर्वत श्रेणी की तारागढ़ पहाड़ी की ढाल पर स्थित राजस्थान का दिल कहे जाने वाला अजमेर एक ऐतिहासिक और देश के सबसे प्राचीन नगरों में से एक है। इस नगर का मूल […]
क्या ‘गांधीवाद’ आज भी प्रासंगिक है?? यह बात तो ठीक है कि राजे- रजवाड़ों, नवाबों, रियासतों में बंटे इस देश के लोगों में अंग्रेजों के विरुद्ध आजादी की अलख जगाने और उन्हें एकजुट करने में […]
पापा बताते थे कि दो-तीन पीढ़ी पहले उनके पूर्वज जमींदार थे। बैसवारा के बरी, बरवलिया और दहिरापुर तीन गांवों में उनकी जमींदारी चलती थी ।1950 के दशक में जमींदारी उन्मूलन कानून आया। जो जमींदार होशियार […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय पहली बार रामायणकालीन, प्राच्य ‘आर्य-संस्कृति’ के मुख्य केन्द्र उत्तरप्रदेश के ऐतिहासिक और क्रान्तिकारिक जनपद, ‘देवारण्य’ के नाम से व्युत्पन्न ‘देवरिया’ मे जाना, सुखद रहेगा। अतीत के भौगोलिक और ऐतिहासिक पृष्ठों […]
बालसाहित्यकार-सम्पादक ठाकुर श्रीनाथ सिंह की जन्मतिथि (१ अक्तूबर) पर विशेष प्रस्तुति हिन्दी-पत्रकारिता के माध्यम से देश के स्वतंत्रता-आंदोलन में साहित्यिक क्रांति की ज्योति प्रज्वलित करने वालों में अग्रगण्य ठाकुर श्रीनाथ सिंह की जन्मतिथि के अवसर […]
क्वांर आने को है! ओस सुबह-सवेरे घास पर मोतियों सी बिखरने लगी है। रात में अब हल्की ठंडक लगने लगी है। सर्दी की सुगबुगाहट हौले-हौले आने लगी है। क्वांर के महीने में बरी जैसा उसरहा […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय लोकसभा– २०२४ के चुनाव-परिणाम का पूर्वानुमान इस प्रकार है :–यदि आज चुनाव होता है तो―कुल सीटों की संख्या :– ५४३।● इण्डिया :– ३०० से ३२५ सीटें।● एन० डी० ए :– […]
आज (२३ सितम्बर) ओजस्वी कवि ‘दिनकर’ जी की जन्मतिथि है। ★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ऐतिहासिक चेतना के प्रखर वाणीदायक राष्ट्र-कवि को हमारा नमन है। राष्ट्रकवि दिनकर ने हिन्दी-काव्य को छायावाद/रहस्यवाद की कुहेलिका (कुहासा) से […]
मैं आज एक साल बाद भी यही सोच रहा हूं कि स्टैंड अप कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव के जाने का इतना दुख क्यों है??????????क्या इसलिए कि वह हास्य कलाकार थे? लेकिन हास्य कलाकार तो सेकुलर कपिल […]
विषय :– आपके लेखन मे कितनी शुद्धता? महोदय-महोदया!खेद है! इस ‘मुक्त मीडिया’ मे लगभग सभी सुशिक्षितवृन्द हैं; परन्तु बहुसंख्यजन सामान्य शब्द-व्यवहार करते समय भी अशुद्ध लेखन करते आ रहे हैं; जैसे― सृजन, महत्वपूर्ण, बधाइयां, बधाईयां, […]
‘सर्जनपीठ’ और ‘भारतीभवन’ के संयुक्त तत्त्वावधान मे हिन्दी-पक्ष (हिन्दी-पखवाड़ा) के अवसर पर १७ सितम्बर को ‘मुक्त मीडिया’ (सोशल मीडिया) मे हिन्दी : कितनी हिन्दी?’ विषय पर एक बौद्धिक परिसंवाद का आयोजन ‘भारती भवन पुस्तकालय-सभागार’, लोकनाथ, […]
हमारे समय में पढ़ाई का इतना दबाव बच्चों पर नहीं था। विद्यालय जरूर हम नियमित जाते थे लेकिन वहां से घर आने के बाद विद्यालय को लगभग भूल ही जाते थे। कोई रिश्तेदार आ गया […]
हमारे देश के हिन्दी-माध्यम मे अध्यापन करनेवाले शिक्षिका-शिक्षकवृन्द! ‘यस मैम’ और ‘यस सर’ के स्थान पर ‘जी महोदया’ और ‘जी महोदय’ का प्रयोग आरम्भ करायें। अँगरेज़ी के वे शब्द, जिनका समाज मे सामान्यत: प्रयोग होता […]
“Keepers of the Kingdom, The Heroes Ignotum” introducing Meenu Padha, a passionate Advocate and champion for women and child rights in JAMMU KASHMIR. With four years of dedicated activism, Meenu holds key roles both locally […]
भाषा यादृच्छिक ध्वनि प्रतीकों की व्यवस्था है। यह विचारों की संवाहिका और संप्रेषण का सशक्त माध्यम है। हमें अपनी बात दूसरों तक पहुंचाने तथा दूसरों की बात समझने के लिए एक ‘संपर्क भाषा’ की जरूरत […]
आज (११ सितम्बर) कनिष्ठ पुत्री ‘कर्णिका’ का देश के शीर्षस्थ रेडियो चैनल ‘रेडियो मिर्ची’ मे ‘रेडियो जॉकी’ के रूप मे चार वर्ष पूर्ण हुए हैं। सुपुत्री कर्णिका! जीवन्तता के साथ कर्त्तव्यपरायणता का परिचय प्रस्तुत करती […]
मेरे एक मिर्जापुर के मित्र थे, नाम था पंकज त्रिपाठी। हैदराबाद में वह मेरे पड़ोसी थे। पंडित जी ‘खाने-पीने’ के शौकीन और थोड़े दबंग भी थे। कई बार वह मुझसे मजाक में कहते कि- “सर, […]
● महीयसी महादेवी वर्मा की पुण्यतिथि (११ सितम्बर) पर विशेष ■”आज का आलोचक ‘निन्दा’ के लिए लिखता है”– महादेवी वर्मा (महादेवी जी के साथ डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय-द्वारा की गयी एक भेंटवार्त्ता) मैने महादेवी जी के […]
बैसवारा के ‘बरी’ गांव को दशकों से ‘उसरहा’ गांव कहा जाता रहा है। कई बरदेखा (लड़की वाले) तो इसलिए भी इस गांव में अपनी बेटी का रिश्ता नहीं लेकर आते थे कि ‘बरी’ में सब […]
वैसे तो सारे भगवान और इष्ट सबके हैं और सब उनके हैं । लेकिन 64 कलाओं में पारंगत भगवान कृष्ण कुछ ज्यादा ही सबके हैं । क्योंकि माताएं उनमें नटखट बालक, युवतियां उनमें आदर्श प्रेमी […]
वायुसेना में तकनीकी क्षेत्र में कार्य करने के बावजूद मैं हिंदी पखवाड़ा, हिंदी सप्ताह, हिंदी दिवस के कार्यक्रमों में भाग लेता रहता था । वायुसेना स्टेशन बैरकपुर में हिंदी पखवाड़ा के ‘निबंध लेखन’ में मुझे […]
लखनऊ, 02 सितंबर– लोक संस्कृति की धरोहर मुनाल द्वारा लुप्त हो रहे लोक संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन में दिनांक 2 सितंबर से 8 सितंबर तक गढ़वाली लोकनृत्य कार्यशाला का आयोजन बुद्ध बसंती मुनाल सभागार […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय(भाषाविज्ञानी एवं मीडियाध्ययन-विशेषज्ञ, प्रयागराज।) पृष्ठभूमि को समझें जैसे-जैसे लोकसभा-चुनाव की अवधि समीप आती जा रही है, चुनाव-परिदृश्य अत्यन्त रोचक और कुतूहलवर्द्धक होता जा रहा है। कोरोना की अवधि मे लाखों की […]
इही काहाला असलिका भोजपुरी; एकर माजा लीहीं सभे ● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय आहि ए दादा! हो टुअरी क देख ना। हो मचनिया पर कौआ क हाँकत-हाँकत का-का कह तीया। बुझाता जइसे केहू सुतला मे […]
पिछले कई दशकों से खेलों विशेषकर हॉकी में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिसड्डी होने के जिम्मेदार हम खुद ही रहे हैं। क्या आपको पता है कि जिस खिलाड़ी के नाम पर ” राष्ट्रीय खेल दिवस” मनाया […]
राष्ट्रीय क्रीड़ा-दिवस (तिथि) २९ अगस्त के अवसर पर विशेष भूलना और याद करना, यह एक प्रकार की मानसिक गति है। जब मस्तिष्क का विकेन्द्रीकरण होने लगता है तब व्यक्ति ‘क्या भूलूँ-क्या याद करूँ’ की स्थिति […]
‘नागपंचमी’ शब्द से तो मैं गांव से बाहर निकलने के बाद परिचित हुआ। बचपन से नागपंचमी को हम ‘गुड़िया का त्यौहार’ बोलते आए हैं। गुड़िया के त्यौहार से एक दिन पूर्व हमारे घरों में काले […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय प्रेमोदय खाखा (उप-निदेशक― महिला एवं बाल-विकासविभाग, दिल्ली-सरकार) पर उसके एक मित्र की अवयस्क पुत्री के साथ बलपूर्वक शारीरिक दुष्कर्म करने का पीड़िता के स्वजन की ओर से आरोप लगाया गया […]
मुझे अच्छी तरह याद है कि 1996 में जब मैं तांबरम ट्रेनिंग करने के लिए गया था, तब चेन्नई (मद्रास) के उस छोटे से कस्बे में हर तीसरी दुकान पर ₹1 डालकर लोकल में बात […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय भारत मे वैसी विकृत मानसिकता के महिला-पुरुषों, वह भी सुशिक्षिता-सुशिक्षितों, की कोई कमी नहीं है, जो अल्पज्ञानी है; जीने-खाने के लिए ‘नौकरी-चाकरी’ कर रहे हैं और भीतर मुसलिम-समुदाय के लिए […]
● आज (१६ अगस्त) अटलबिहारी वाजपेयी की निधनतिथि है। (अटलबिहारी वाजपेयी के साथ डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय-द्वारा की गयी विस्तृत मुक्त भेंटवार्त्ता का एक अंश प्रस्तुत है।) पं० जवाहरलाल नेहरू के बाद यदि कोई एक-जैसा लोकप्रिय […]
बिहारियों के साथ ज्यादा दोस्ती रखने का नुकसान यह है कि आप ‘सिर’ को ‘माथा’ और ‘सड़क’ को ‘सरक’ बोलने लगते हैं। फायदा यह है कि दही चूड़ा और लिट्टी-चोखा जैसे नए व्यंजनों से परिचित […]
आचार्य राजीव शुक्ला– मंदिर जाने के वैज्ञानिक कारण: कई लोग किसी व्रत या त्योहार पर मंदिर जाते हैं, कई लोग माह में एक बार मंदिर चले जाते हैं, बहुत से लोग साप्ताह में एक बार […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय राष्ट्र की अवधारणा के अन्तर्गत सभी जन एक कहलाते हैं; न अलगाव; बिलगाव तथा न लगाव। यही ‘तटस्थता का सिद्धान्त’ भी है। यह एक ऐसा राष्ट्रधर्म है, जो ‘पृथक्कता’ के […]
तेजपुर वैसे तो बहुत अच्छी जगह है। सूरज देवता भारतवर्ष के इसी क्षेत्र से सबसे पहले अपनी यात्रा शुरू करते हैं। सुबह उठकर हिमालय की तरफ देखिए तो सफेद चांदी दूर-दूर तक बिखरी नजर आती […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय नरेन्द्र मोदी-सरकार के विरुद्ध २६ जुलाई को लोकसभा मे प्रस्तुत किये गये अविश्वास-प्रस्ताव को लोकसभाध्यक्ष ओम बिड़ला-द्वारा स्वीकृत किये जाने के बाद जब तक उस पर पूरी कार्यवाही नहीं करा […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय “नाम बड़े, पर दर्शन थोड़े” तब चरितार्थ होता है जब वस्तुस्थिति का प्रत्यक्षीकरण होता है। हम अपने ‘मुक्त मीडिया’ (सोसल/सोशल मीडिया) के माध्यम से उन लोग का भाषा, साहित्य, व्याकरण, […]
आकाशवाणी, लखनऊ द्वारा 03 अगस्त 2023 को एमिटी विश्वविद्यालय, लखनऊ में ‘सतत विकास के लिए विज्ञान’ विषय पर ‘जी-20’ यूथ कॉन्क्लेव एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इससे पहले तीन ‘जी-20’ यूथ कॉन्क्लेव जून […]
एक अन्तरंग संस्मरण आज (२७ जुलाई) भ्राताश्री, पूर्व-राष्ट्रपति अबुल कलाम जी की निधनतिथि/का निधनदिनांक (‘दिनाँक’ अशुद्ध है।) है। ● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय डॉ० अब्दुल कलाम प्रेय थे तो श्रेय भी। उन्होंने जब राष्ट्रपति-पद की […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय कुकर्मी यदि अपना नाम बदलकर कुकृत्य करे तो उससे उसका अपराध कम नहीं हो जाता। यही स्थिति मध्यप्रदेश के उस ‘व्यापमं’ की है, जो अपने कदाचार, दुष्कृत्य तथा हत्यारिन मानसिकता […]
कल्पना करिए कि कोई मंदिर; शहर और कस्बे के कोलाहल से बहुत दूर है। कल्पना करिए कि वहां पहुंचने के लिए न विमान सेवा है, न हाईवे है। यहां तक कि पक्की सड़क भी नहीं […]
वैसे तो मेरे बाबा (दादा) का नाम श्री हौसिला बख्स सिंह था। लेकिन घर, गांव, जंवार के सभी लोग उन्हें ‘भाई’ के नाम से पुकारते और जानते थे। हम लोगों के लिए वह ‘भाई बाबा’ […]
आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ‘नोट-परिवर्त्तन’ (नोटबन्दी), ‘जी०एस०टी०’, ‘अघोषित मूल्यवृद्धि’ आदिक कृत्यों के परिणाम देश के सम्मुख नकारात्मक रूप मे आ चुके हैं। जो भी लाभ मिला, वह सरकार के राजस्व के पक्ष मे रहा और […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक वह समय था, जब अध्यापक की सम्पूर्ण समाज मे सर्वाधिक मान-प्रतिष्ठा हुआ करती थी, तब शेष विश्व हमसे ज्ञान अर्जित करता था और उन दिनो ही यह उदात्त शब्दावली […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय महाराष्ट्र की राजनीति इन दिनो देश की सभी समस्याओं को पीछे छोड़ चुकी है। नरेन्द्र मोदी के खेमे मे जश्न का माहौल है; क्योंकि शकुनि ने पाशा फेंककर बाज़ी अपने […]
ओशो के एक मित्र ने ओशो से कहा कि “मैं आपको अपने पिता से मिलवाना चाहता हूं क्योंकि मेरे पिता बहुत धार्मिक हैं।” ओशो ने कहा “ठीक है, मैं मिलता हूं आपके पिता से क्योंकि […]
श्री जय प्रकाश सिंह, बैसवारा इंटर कॉलेज लालगंज, रायबरेली में जीव विज्ञान विषय के हमारे शिक्षक थे। वह अपने विषय के विद्वान थे, सभी बच्चों पर बराबर ध्यान देते थे, पूरे मन और ऊर्जा से […]
“ध्यान रहे सावित्री सदैव सत्यवान को ही वरण करती है, शक्तिमान को नहीं।” प्रश्न-क्या कोई ऐसी भी स्थिति है मन की जब पॉजिटिव व नेगेटिव एक हो जायें।द्वैत अद्वैत में कोई भेद न हो?कृपया मार्गदर्शन […]
कुछ वर्ष पहले मुंबई में मेरे सगे साले की सगाई थी। मैं दिल्ली से हवाई जहाज द्वारा कोट-पैंट पहन कर कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचा था। लड़की वालों की तरफ से एक खूबसूरत, […]
आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय आज (२ जुलाई) मोदी-सरकार ने महाराष्ट्र मे ‘एन० सी० पी०’ के भ्रष्ट विधायकों के विरुद्ध ई० डी०, आइ० टी० डी० तथा सी० बी० आइ०-जाँच कराने का भय दिखाकर ‘एन० सी० पी०’ […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–जीवन-मरण समान है, दोनो की गति एक।क्षमता जितनी हो सके, कर्म करो सब नेक।।दो–जन्म लिये किस-हेतु हो, ध्येय नहीं है भान?जीवन अति अनमोल है, करना इसका मान।।तीन–आह-जुड़ी संवेदना, कातर दृष्टि-प्रधान।जन्म-मृत्यु […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय उत्तरप्रदेश के विद्यालयों मे हिन्दी-अध्ययन-अध्यापन की यह तस्वीर सच बोलना जानती है; क्योंकि वहाँ के शासकीय-अशासकीय विद्यालयों मे वर्षभर मे सर्वाधिक अवकाश कर दिये जाते हैं। विद्यालयों मे अधिकतर अध्यापक […]
जेठ के महीने में ही इंजन (ट्यूबबेल) के पास वाली डेबरी (छोटे खेत) में इंजन से पानी भर दिया गया है। तीन-चार दिन बाद ओंठि हो गई है यानि खेत अब जोतने योग्य हो गया […]
1991 में प्रणव मुखर्जी के समर्थन से प्रधानमंत्री बने लेकिन उनको वित्तमंत्री न बनाकर राजनीति के क्षेत्र में बिल्कुल नौसिखिए आरबीआई के पूर्व गवर्नर मनमोहन सिंह पर भरोसा किया। 1966 में इंदिरा गांधी द्वारा रुपये […]
प्रश्न:-देश की पुलिस चोर, गुंडे, बड़े-बड़े गुनहगारों को काबू करने के बजाय उनका उपयोग करके केवल सामान्य जनता पर अन्याय/अत्याचार करती है!ऐसा क्यों है…? उत्तर:-ऐसा इसलिए है क्योंकि वर्तमान केंद्र व राज्यों की शासनव्यवस्था अपात्र/कुपात्र […]
जंबूद्वीप भारत खंड के उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के बरी नामक गांव में एक बार भागवत कथा हो रही थी। गुरुजी प्रवचन कर रहे थे-भक्तों दारू से दिल ना लगाना। शराब सिर्फ मन ही […]
एक दिन हुआ यूं कि हमारे रायबरेली जिले के सबसे बड़े कस्बे लालगंज के सब्जी मंडी में एक युवा जोड़ा एक दूसरे का हाथ पकड़े और एक दूसरे से लगभग चिपटा हुआ, कोई रोमांटिक सा […]
“भरा हो पेट तो संसार जगमगाता है…!लगी हो भूख तो “योग” कहाँ सुहाता है…!!” उपरोक्त गीत की इन लाइनों से काफी कुछ समझ में आ गया होगा। वास्तव में जिस देश की 93% गरीब जनता […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय पुरी की इस वार्षिक रथयात्रा मे भगदड़ मचने से कम-से-कम १० लोग की मृत्यु हो चुकी है और लगभग ५० लोग घायल हो चुके हैं। इतना ही नहीं, अन्य राज्यों […]
जी, हाँ, आप, करती है पर नाम नहीं लेती वो पुराने ख्यालों वाली लड़की हैं। तहजीब, सादगी , देख कर तुम्हें भी यही लगेगा कि वो किताबो वाली लड़की है, उसकी आंखें, उसका चेहरा, कान […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• इन दिनो उत्तरप्रदेश मे गरमी के महाप्रकोप से जनता त्रस्त हो चुकी है; ऊपर रोज़-रोज़ की बिजली की कटौती से जनता हलकान हो चुकी है। इस समय उत्तरप्रदेश मे सर्वाधिक […]
पुण्य और प्रेम????परोपकार तो पुण्य करवाता है प्रेम नहीं।पर (पराया) का उपकार ही पुण्य है।पर का स्वीकार ही प्रेम है।जब तक कोई पराया जैसा अनुभव हो तब तक प्रेम कहाँ..?पराए जब अपने लगें तभी प्रेम […]
उस समय हमारे पूरे मोहल्ले में एक ही टेलीविजन हुआ करता था– ब्लैक एंड ह्वॉइट, लकड़ी का शटर वाला । तब चैनल के नाम पर टीवी पर सिर्फ दूरदर्शन आता था। रामानंदकृत रामचरितमानस का प्रसारण […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय इन दिनो एक ऐसी फ़िल्म जन-जन के दिलो दिमाग़ को बेचैन किये हुए है। ‘द कश्मीर फ़ाइल्स’ के बाद ‘द केरल स्टोरी’ का असर अभी ख़त्म होने की शुरूआत होने […]
बहुत समय पहले की बात है। तब मैं शायद 6-7 साल का रहा होऊंगा। उन दिनों ज्यादातर घरों में भोजन पकाने के बाद आग को राख से ढक दिया जाता था। अगली बार भोजन पकाने […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय मेरा-जैसा मनुष्य कभी इतना उदारवादी हो जाता है कि अब तक के जीवनकालखण्ड मे जितना कुछ सार्थक बोध कर पाया है, वह सब लुटाता जा रहा है; बिना विचार किये― […]
90 के दशक तक शादियों में मुख्य रूप से चार संस्कार हुआ करते थे:- 1.बरदेखी – लड़के को देखना (लड़की बहुत कम लोग ही देखते थे या नहीं देखते थे। जाति, कुल, गोत्र सही हो, […]
संस्थाओं का निजीकरण करने की मुहिम ने अब जोर पकड़ लिया है। लेकिन इसकी शुरुआत बहुत पहले हो चुकी थी। छोटे मोटे कार्यों को ठीका, आउटसोर्सिंग के माध्यम से कराने की तब प्रायोगिक स्तर पर […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय यह लोक विचित्रता से युक्त है; कहीं दिन मे ‘रात’ है तो कहीं रात मे ही ‘दिन’ है। अब देखिए न, ऊपर जो चित्र दिख रहा है, वह किसी बच्ची […]
—- ० आत्ममन्थन ०—- ★आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय जयजयकारा कभी श्रद्धा-विश्वास के साथ होता था, अब तो वैसी आस्था किंवदन्ती बन चुकी है। यदि कोई बताता और सुनाता है तो ‘दन्तकथा’ से अधिक कोई आकार-प्रकार […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय श्रमिक-वर्ग की बेकारी उतना चिन्त्य नहीं है जितना कि शिक्षित-वर्ग की। श्रमिक-वर्ग कहीं-न-कहीं सामयिक काम पाकर अपना जीवन-यापन कर लेता है; परन्तु विद्यार्थी-वर्ग जीविका के अभाव मे आधि-व्याधि का शिकार […]
यह कहना मुश्किल कि पीपल के इस बड़े से पेड़ के पास मेरा फ्लैट है या मेरे फ्लैट के पास यह पीपल का पेड़ है। नजदीकी इतनी कि खिड़की खोलते ही इसकी कोमल टहनियां गाल […]
आज (५ जून) ‘विश्वपर्यावरण-दिवस’ है। ● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय वैश्विक पर्यावरण की स्थिति अति भयावह है। हमारा पञ्चतत्त्व (पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश एवं वायु) विषाक्त हो चुका है। यही कारण है कि धरती की […]
तब मैं वायुसेना से रिटायर होकर दिल्ली आया ही था। एक रोज वायु सेना स्टेशन तुगलकाबाद के सामने स्थित खानपुर बस स्टॉप के पास खड़ा हुआ था। तभी एक बस आकर रुकी और कुछ सवारियां […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय हमारे देश मे प्रतिवर्ष कोई-न-कोई भीषण रेलदुर्घटना होती आ रही हैं; परन्तु दुर्घटनाओं से सम्बन्धित रेलविभाग के अधिकारी सीख ग्रहण नहीं कर पा रहे हैं। ४२ वर्षों-बाद यह भीषण दुर्घटना […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय भारतीय जनता पार्टी का झण्डा लिये, भगवाधारी नरेन्द्र मोदी के स्वागत मे पहुँचे थे, जबकि उस स्थल पर हज़ारों यात्री अपनी जान गवाँ चुके थे; बुरी तरह से घायल हो […]
(मानवजीवन विकास पर आधारित प्रश्नोत्तर अवश्य पढ़ें व मनन करें)1•प्रश्न;मित्र और मित्रता की परिभाषा क्या है?????उत्तर;वास्तव में प्रेम से ही मैत्री का उदय होता है।किसी का सहचर होना मैत्री का प्रथम चरण है।मित्र सहचर से […]
किसी ने पूछा है;क्रोध अधिक आता है, इस क्रोध से कैसे छुटकारा हो?????प्रेम ही क्रोध का नियामक है।जैसे-जैसे प्रेम की वृद्धि होती है क्रोध स्वत: नियन्त्रित होने लगता है।और जैसे-जैसे ज्ञान की वृद्धि होती है […]