आचार्य पण्डित पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला
◆ आप इस विषय से सम्बन्धित किसी प्रकार के भ्रम को दूर करने वा शंका का समाधान करने के लिए मुक्त भाव से प्रश्न-प्रतिप्रश्न कर सकते हैँ। यदि आपको लगता हो कि हमने किसी अशुद्ध […]
◆ आप इस विषय से सम्बन्धित किसी प्रकार के भ्रम को दूर करने वा शंका का समाधान करने के लिए मुक्त भाव से प्रश्न-प्रतिप्रश्न कर सकते हैँ। यदि आपको लगता हो कि हमने किसी अशुद्ध […]
Raghavendra Kumar– In the 17th century, the Sela Pass became a critical strategic location for the Tibetan Empire, which sought to expand its influence over the region. The Tibetans built a series of fortifications and […]
(भाषाविज्ञानी आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने विगत दिनो उत्तरप्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित पी० सी० एस० (प्रा०) परीक्षा के अन्तर्गत सीसैट के सामान्य हिन्दी-भाग मे बड़ी संख्या मे प्रश्न और उत्तर-विकल्प को […]
Dr. Raghavendra Kumar Raghav– December 19 marks the martyrdom day of Pandit Ram Prasad Bismil, Ashfaqulla Khan Warsi ‘Hasrat,’ and Thakur Roshan Singh, three revolutionary freedom fighters who were executed in Gorakhpur in 1927. All […]
Peeyush Kumar, Balamau (Manager, Bank of Baroda) The Tawang War Memorial holds deep historical significance as a stupa constructed to honor the brave Indian soldiers who made the ultimate sacrifice during the tumultuous 1962 India-China […]
आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• इसी परिप्रेक्ष्य मे नीचे दिये गये कुछ उदाहरणो को देखा-समझा और अनुभव किया जा सकता है :–★ पूर्ण, अल्प तथा सम्बोधन विरामचिह्नो के प्रयोग१– उसे रोको मत जाने दो।२– […]
‘संविधान’ शब्द संस्कृत भाषा के दो शब्दों ‘सम’ तथा ‘विधान’ ( सम+ विधान) से हुई है। सम का अर्थ है – एकसमान, बराबर जबकि विधान का अर्थ है -नियम , कानून। अर्थात ऐसे नियम और […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय•••••••••••••••••••••••••••••••••••••• आत्मीय आभासी-अनाभासी मित्रवृन्द! आपमे से बहुसंख्य मित्र (शाब्दिक) ऐसे हैँ, जो भयवश मेरे सम्प्रेषण पर कोई टिप्पणी नहीँ करते। उन्हेँ आशंका रहती है कि उनके अशुद्ध लेखन पर सीधे अँगुली […]
राघवेन्द्र कुमार राघव (वैकल्पिक-प्राकृतिक चिकित्सक)— बरगद का पञ्चाङ्ग उपयोगी है। बरगद का प्रत्येक अंश अमृत के गुणो से भरा है। फल, पत्ते, दूध, छाल और जटा सबका आयुर्वेद मे रोगनाशक के रूप उपयोग होता है। […]
◆ प्रस्तुत वाक्य ऐसे हैँ, जिन्हेँ लेकर ९५ प्रतिशत से अधिक सुशिक्षितजन अशुद्ध लेखन करते आ रहे हैँ।◆ यह प्रतियोगिता १८-१९ नवम्बर, २०२४ ई० तक रहेगी। जिसका उत्तर सर्वशुद्ध रहेगा, उसे नीचे दी गयी कृति […]
अध: टंकित शब्दोँ मे से कौन-सा शब्द उपयुक्त है?१– बँटाधार२– बण्टाधार३– बण्टाढार४– बँटाढार५– इनमे से कोई नहीँ। (फिर कौन-सा शब्द है?) उत्तर– १– बँटाधार शब्द-विवेचन– जो शब्द सर्वत्र प्रचलित है, वह ‘बंटाधार’ और ‘बण्टाधार’ है। […]
आचार्य पण्डित पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला•••••••••••••••••••••••••• ★ परिक्षा– इस ‘परिक्षा’ शब्द की वर्तनी (अक्षरी) देखते ही कोई भी सुस्पष्ट शब्दोँ मे कह देगा– यह जो ‘परिक्षा’ शब्द दिख रहा है, पूरी तरह से ग़लत है; […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय••••••••••••••••••••••••••••••••••••• हम दीर्घकाल से देखते-समझते आ रहे हैँ कि दीप-उत्सव ‘दीपावली’ के अवसर पर भारतीय समाज आज भी भ्रम की स्थिति मे बना हुआ है। इसका मुख्य कारण है, ‘दीपावली’ त्योहार […]
कानपुर-प्रवास की अवधि मे मेरे समय का सदुपयोग होता रहा। विगत २४ अक्तूबर को दैनिक जागरण के राष्ट्रीय सम्पादक विष्णुप्रकाश त्रिपाठी जी के सौजन्य से दैनिक जागरण, कानपुर-कार्यालय के एक सभागार मे समाचारपत्रोँ मे व्यवहृत […]
प्राकृतिक चिकित्सा ही मूल चिकित्सा है जो रोग की जड़ को खत्म कर शरीर को निरोग करती है। यह चिकित्सा पद्धति शून्य नुकसान वाली है और लाइलाज बीमारियों को भी ठीक करने की इसमें क्षमता […]
अध: टंकित वाक्य को सकारण शुद्ध करेँ :–● मैं दो दिन से गांव पर/पे है।सकारण उत्तर–सर्वप्रथम हम अपने प्रश्नात्मक वाक्य पर विचार करेँगे। यह वाक्य अशुद्ध है; क्योँकि वाक्य से निर्देश की ध्वनि आ रही […]
आचार्य पण्डित पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला •••••••••••••••••••••••••••••• – आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• प्रश्न– अध: टंकित शब्दोँ मे से कौन-सा शब्द शुद्ध है और क्योँ?(क) मुसलधार (ख) मुसलाधार(ग) मूसलधार (घ) मूसलाधार ◆ यह ऐसा प्रश्न है, […]
देहरादून मे शुद्ध भाषा का अलख जगाते, आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय देश के शीर्षस्थ निजी शिक्षण-संस्थानो मे से एक देहरादून (उत्तराखण्ड) मे स्थित अँगरेज़ी-माध्यम के विद्यालय वैल्हम गर्ल्स स्कूल की ओर से गत दिवस उसके […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय प्रिय पाठकवृन्द! आपने ‘केंद्रीय हिंदी निदेशालय’-द्वारा मानक शब्द, वर्तनी, विरामादिक चिह्नो से सम्बन्धित जारी की गयी लघु पुस्तिका मे अशुद्धियोँ और भ्रामक मानकीकरण को लेकर पहले भाग मे विरामचिह्नादिक से […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय देश के जाने-माने सरकारी संस्थान ‘केंद्रीय हिंदी निदेशालय’, दिल्ली की ओर से हाल ही मे एक लघु पुस्तक जारी की गयी है, जिसमे किस शब्द, वर्तनी, विरामादिक चिह्नो को मानक […]
■ अधोटंकित वाक्य मे किसप्रकार की अशुद्धि/अशुद्धता है? आप इसे शुद्ध करते हुए, प्रस्तुत करेँ–● असफलताऐँ हमारे सोच को मन्द करता हो।■ हम ‘अधोटंकित’ शब्द का प्रयोग जाने कब से करते आ रहे हैँ, जोकि […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय हिन्दी-भाषा-व्याकरण एवं संरचना-खण्ड की समझ विकसित करने के प्रति तत्पर देश का एक ऐसा शिक्षण-संस्थान है, जिसने मेरी सहमति प्राप्त करने के अनन्तर शीघ्र ही ‘एलायंस एअर’ के गमनागमन (‘आवागगमन’) […]
यह पाठशाला प्रकाशन की दृष्टि से यहीँ पर विराम लेती है; परन्तु इसका टंकण होता रहेगा; क्योँकि अभी एक सहस्र पाठशाला-प्रणयन करनेका लक्ष्य है, जो हमारे सुविधानुसार लक्ष्य की ओर अग्रसर रहेगा। दो सौ एक […]
आदित्य त्रिपाठी (सहायक अध्यापक, बे०शि०वि०, प्रा०पा० प्रतापपुर, कोथावाँ, हरदोई) स्वतंत्रता कोई एक शब्द नहीं अपितु एक अप्रतिम विचारधारा है। स्वाधीनता वह है जैसे प्रकृति हर हाल मे प्राप्त करना चाहती है और सभी को स्वतंत्रता […]
आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला साहित्य क्या है? जिसमे जड़-चेतन का हित हो; कल्याण हो तथा भला हो, वह ‘साहित्य’ है। साहित्य जीवन का व्याख्याता है। साहित्य के परिशीलन से हृदय का परिष्कार होता […]
सम्मानित शुभेच्छुवृन्द! यह हमारी ‘आचार्य पण्डित पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला’ नामक प्रकाशनाधीन पुस्तक की भूमिका का आरम्भिक (अपूर्ण) अंश है। हमने इसे यहाँ इसलिए प्रस्तुत की है, जिससे आप सब बता सकेँ कि भूमिका कहीँ […]
निर्देश– शुद्धता की दृष्टि से अधोटंकित वाक्योँ पर विचार करेँ :– एक– एक से सौ तक की गिनती हमने सीख लीं हैं।दो– हमने एक से सौ तक की गिनतियाँ सीख ली है। विवेचन-विश्लेषण– दोनो वाक्य […]
◆ हमने समयाभाव के कारण सविस्तार नहीँ बताया है; क्योँकि इसकी विस्तृत जानकारी कराने मे लगभग एक हज़ार शब्द टंकित करने पड़ते। इसका पाठशाला-विषयक पुस्तक मे विश्लेषण किया जायेगा। ◆ जहाँ संशय वा भ्रम हो, […]
चिर-प्रतीक्षित कृति का यह ‘दूसरा प्रूफ़’ है। हम अतिशीघ्र उपर्युक्त कृति को सार्वजनिक करेँगे। इसप्रकार की कोई कृति अभी तक उपलब्ध नहीँ है। हमने अपनी इस कृति का प्रणयन करते समय पूर्ण मनोयोग से ‘शब्ददर्शन’ […]
★वात, पित्त, कफ दोष के कारण , लक्षण , और इलाज★ ★वात क्या होती है ★वात या वायु तीनों दोषों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है | ‘वात’ या ‘वायु’ यह दोनों ही शब्द संस्कृत के […]
● आचार्य पण्डित पृथ्वीनाथ पाण्डेय••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• भले ही किसी ने वा एक समूह ने उच्चकोटि की उपाधियाँ :– डी० फ़िल्, पीएच्० डी०, डी० लिट्०, विद्यावारिधि, महामहोपाध्याय, शिक्षा-विशारद, विद्यावाचस्पति इत्यादिक उपाधियाँ अर्जित कर ली होँ; उच्चपदस्थ होँ; […]
ईश्वर ने हमें जो तमाम नेमते दी हैं, उनमें से पका हुआ आम मेरे लिए सबसे मनभावन, स्वादिष्ट और लजीज है। हम भारतीय इस मामले में कुछ अधिक ही भाग्यशाली हैं क्योंकि हमारे यहां विश्व […]
◆ हमारी ‘पाठशाला’ की किसी भी सामग्री को कोई भी व्यक्ति स्वतन्त्र और स्वच्छन्द होकर उपयोग करने का अधिकारी नहीँ है। यदि वह उपयोग करता है तो उसे सुस्पष्टत: उल्लेख करना होगा कि वह ‘किसके […]
अधोटंकित वाक्य को सकारण शुद्ध करें– ● उस जंगलों के भीतरी हिस्सों मे प्रवेश नहीं करें।जब भी इस प्रकार का वा इससे मिलता-जुलता वाक्य शुद्ध करने के लिए प्रस्तुत किया जाये तब आप उसे समझते […]
पुस्तक के विषय मे :– ◆ पुस्तक की विक्रय-संख्या का एक अनुमान प्राप्त हो जाने के अनन्तर उसी संख्या मे पुस्तक का मुद्रण और प्रकाशन होगा।◆ पुस्तक मुद्रित हो जाने के बाद निबन्धित (रजिस्टर्ड) ‘डाकसेवा’ […]
Aditya Tripathi (Writer-Teacher) Once upon a time, in the tumultuous era of India’s struggle for independence, there lived a man named Avadh Bihari. He was a charismatic and courageous figure, renowned for his unwavering dedication […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय•••••••••••••••••••••••••••••••••••••• जो लोग उर्दू को भारत की भाषा मानते हैं, उन्हें पहले ‘उर्दू’ शब्द का अर्थ समझ लेना चाहिए और यह भी कि उर्दू की उत्पत्ति किस शब्द से होती है […]
शब्द हैं :– रचयिता-रचयित्री। ★ रचयिता– ‘रचयिता’ पुंल्लिंग-शब्द है, जो किसी भी प्रकार की मौलिक रचना के लिए प्रयुक्त होता है। ‘रचयिता’ का अर्थ है, रचना/सर्जन करनेवाला वा रचनेवाला। ‘रचना’ करने के अर्थ मे ‘रच्’ […]
बाबू! इहे ह असलिका भोजपुरी– भोजपुरी-विशेषण आ क्रिया के बिस्तार से समझे के बा। ● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
हमने ऊपर दिख रही सामग्री मे अशुद्ध शब्द-व्यवहार को यथाशक्य सकारण शुद्ध किया है। इसमे जिसकी रुचि हो, वे ग्रहण कर सकते हैं; किसी प्रकार की कोई बाध्यता नहीं। वैसे भी शब्द मे शक्ति होती […]
शब्द हैं :– संकीर्ण, आकीर्ण, विस्तीर्ण, प्रकीर्ण तथा विकीर्ण। संकीर्ण– मूल शब्द ‘कीर्ण’ है, जिसका अर्थ ‘बिखरा हुआ’, ‘ढका हुआ’ तथा ‘ठहरा हुआ’ है। हम प्रयोग के आधार पर शब्दार्थ-चयन करेंगे। हम ‘संकीर्ण’ के अर्थ […]
पूज्य “सद्गुरुदेव अवधेशानन्द सरस्वती” जी ने कहा– “वेदोऽखिलो धर्ममूलं स्मृतिशीले च तद्विदाम्।आचारश्चैव साधूनां आत्मनस्तुष्टिरेव च॥” वेद शब्द “विद्” धातु से बना है, जिसका आशय जानने अर्थात् ज्ञान प्राप्त करने से है। वेद ज्ञान-विज्ञान के अप्रतिम […]
अब हमें देवनागरी लिपि के अन्तर्गत हिन्दीभाषा मे प्रयुक्त किये जानेवाले उन शब्दों पर विचार करना होगा, जो लुप्तप्राय हो चुके हैं तथा जो यदा-कदा व्यवहार मे लक्षित होते रहते हैं; और वह भी अशुद्धि-रूप […]
Aditya Tripathi (Teacher/Writer)– Once upon a time, in the vibrant kingdom of Ramnathpuram, a remarkable woman named Velu Nachiyar was born in the year 1730. Little did anyone know that she would go on to […]
Aditya Tripathi (Teacher/Managing Editor Hon. IV24 News) Once upon a time, in the tumultuous era of India’s struggle for independence, there lived a man named Avadh Bihari. He was a charismatic and courageous figure, renowned […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय (सर्वाधिकार सुरक्षित― आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; २८ नवम्बर, २०२३ ईसवी।)
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, बीसलपुर, पीलीभीत द्वारा ‘नयी शिक्षा-नीति एवं मातृभाषा के आलोक में शब्दसंधान’ विषय पर त्रि- दिवसीय (दिनांक २०, २१ तथा २२ नवम्बर) राष्ट्रीय कर्मशाला के प्रथम दिन का आयोजन किया गया। […]
हमारी पाठशाला निकट भविष्य मे उत्तरप्रदेश मे रोहिलखण्ड-मण्डल के दक्षिण-पूर्व मे स्थित एक ‘जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण-संस्थान’ (‘डाइट) मे आयोजित की जानेवाली त्रिदिवसीय कर्मशाला मे अपनी भाषाशुचिता के साथ संलक्षित होगी। वह मण्डल ‘रुहेलखण्ड’ के […]
‘हिन्दी-पक्ष’ (पखवाड़ा) के अवसर पर विशेष प्रस्तुति ★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय(भाषाविज्ञानी और समीक्षक) देश की बहुसंख्य जनता देवनागरी लिपि मे हिन्दी लिखना, पढ़ना तथा समझना जानती है। सम्पूर्ण देश मे साहित्य की दोनो विधाओं […]
आइए! आभासी और वास्तविक दुनिया के हम समस्त मित्रवृन्द समवेत स्वर मे संकल्प करें (‘संकल्प लें’ अशुद्ध है।) :–किसी भी महिला-पुरुष को ‘मैडम-सर’ के स्थान पर क्रमश: ‘महोदया’ और ‘महोदय’ शब्दों से ही सम्बोधित करेंगे। […]
हिन्दी-दिवस की पूर्व-संध्या मे ‘सर्जनपीठ’ का अन्तरराष्ट्रीय आन्तर्जालिक आयोजन ‘सर्जनपीठ’, प्रयागराज के तत्त्वावधान मे हिन्दी-दिवस की पूर्व-संध्या मे ‘सारस्वत सदन-सभागार’, अलोपीबाग़, प्रयागराज से एक आन्तर्जालिक अन्तरराष्ट्रीय बौद्धिक परिसंवाद का आयोजन किया गया, जिसमे जर्मनी, फ्रांस, […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय इलाहाबाद-आगमन और क्रॉस्थवेट स्कूल, इलाहाबाद मे प्रवेश करने के अनन्तर महादेवी वर्मा की साहित्य-साधना अबाध्य गति मे (‘गति से’ अशुद्ध है।) चलती रही। ‘माँ ने सुनी एक करुण कथा’ का […]
शिक्षक राष्ट्र का निर्माता होता है। भारत मे शिक्षकों का स्थान सदैव सर्वोच्च रहा है। सनातन धर्म में शिक्षक या गुरु को ईश्वर से भी बड़ा स्वीकार किया गया है। भगवद्गीता मे भगवान श्रीकृष्ण स्वयं […]
Raghavendra Kumar ‘Raghav’– In the tapestry of Indian culture and tradition, few roles are as revered and significant as that of a teacher. Education is the key to a better future. It is the foundation […]
शब्दों मे (‘शब्दों के’ अशुद्ध है।) अन्तर को समझें― ◆ कोश और कोष‘कोश’ नैसर्गिक, स्वाभाविक तथा प्राकृतिक है, जबकि ‘कोष’ अनैसर्गिक, कृत्रिम तथा अस्वाभाविक है।आप ‘कोशिका’ का प्रयोग करते हैं; क्योंकि वह निसर्ग/ प्रकृति-जन्य है। […]
इही काहाला असलिका भोजपुरी; एकर माजा लीहीं सभे ● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय आहि ए दादा! हो टुअरी क देख ना। हो मचनिया पर कौआ क हाँकत-हाँकत का-का कह तीया। बुझाता जइसे केहू सुतला मे […]
गोस्वामी तुलसीदास की ५२६वीं जन्मतिथि के अवसर पर ‘सर्जनपीठ’ की विशेष प्रस्तुति यदि कोई जनकवि है तो वह हैं, ‘तुलसीदास’। ‘वैराग्य संदीपनी’, ‘श्री रामचरितमानस’, ‘विनयपत्रिका’, ‘गीतावली’, ‘कृष्णगीतावली’, ‘कवितावली’, ‘सतसई’, ‘दोहावली’, ‘रामाज्ञाप्रश्न’, ‘जानकीमंगल’, ‘पार्वतीमंगल’, ‘ ‘रामललानहछू’, […]
‘सर्जनपीठ’ का राष्ट्रीय आयोजन हिन्दी के अनुकरणीय अनुरागी थे, फादर कामिल बुल्के ‘सर्जनपीठ’, प्रयागराज के तत्त्वावधान मे संस्कृत और हिन्दी के विद्वान् फादर कामिल बुल्के की निधनतिथि के अवसर पर ‘फादर कामिल बुल्के एवं उनका […]
आकाशवाणी, प्रयागराजसुनिए, शनिवार; १२ अगस्त, २०२३ ई० को :―सायं ७:३० बजे‘हिन्दीभाषा और उसका मानकीकरण’वार्त्ताकार :―आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेयप्रस्तुति :― आकाशवाणी आकाशवाणी, प्रयागराज की ओर से भाषाविज्ञानी आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय १२ अगस्त को ‘हिन्दीभाषा और […]
आकाशवाणी, प्रयागराज की ओर से एक हिन्दीभाषा- कार्यशाला का आयोजन ४ जुलाई को अपराह्ण ३ बजे से आकाशवाणी-सभागार मे किया जायेगा। इस कार्यशाला मे भाषाविज्ञानी आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ‘कार्यालयीय हिन्दीभाषा-प्रयोग एवं दोष-निवारण’ विषय पर […]
◆ ‘निबन्ध-विषयक’ अवधारणा प्रकट करने से पूर्व यह अवश्य बलपूर्वक कहना चाहता हूँ कि ‘रचना’ और ‘लेखन’ एक सारस्वत तपस्वी का कर्म है। बहुसंख्य लोग प्रकाशकों को रुपये देकर दो-चार पुस्तकें प्रकाशित करा लेते हैं […]
पन्त की १२३ वीं जन्मतिथि के अवसर पर ‘सर्जनपीठ’, प्रयागराज के तत्त्वावधान मे २० मई को ‘सारस्वत सदन’, अलोपीबाग़, प्रयागराज के सभागार से ‘प्राकृतिक सौन्दर्य और कवि-दृष्टिबोध’ विषय पर एक आन्तर्जालिक राष्ट्रीय बौद्धिक परिसंवाद का […]
‘सर्जनपीठ’, प्रयागराज की ओर से आगामी २० मई को पण्डित सुमित्रानन्दन पन्त की जन्मतिथि के अवसर पर अपराह्ण १.३० बजे से ‘प्राकृतिक सौन्दर्य और कवि-दृष्टिबोध’ विषयक एक आन्तर्जालिक राष्ट्रीय बौद्धिक परिसंवाद का आयोजन किया जायेगा, […]
प्रश्न― अधोटंकित शब्दों में से कौन-से शब्द उपयुक्त हैं और क्यों? उपयुक्त शब्दों का वाक्य मे प्रयोग करके बतायें।१– बरात २– बारात ३– बाराती ४– बराती उत्तर―चारों शब्दों मे से दो शब्द उपयुक्त हैं :― […]
सन्त समीर जी की फेसबुक वॉल से– सोशल मीडिया के लिए आजकल समय नहीं निकल पा रहा है, पर पिछले कुछ दिनों में हार्ट अटैक की इतनी घटनाएँ सुनीं कि सावधान करना ज़रूरी लगा। ज़्यादा […]
अतिमहत्वपूर्ण????चार बातों का आत्मनिरीक्षण कीजिए- यदि ये चारों या इनमें से कोई भी दो या कोई भी एक ग्रंथि आपके हृदय में विद्यमान है तो आप उतनी ही मात्रा में विक्षिप्त रहते हैं..! इन ग्रंथियों/विक्षेपों/रोगों […]
नास्ति विद्या समं चक्षु नास्ति सत्य समं तपः। नास्ति राग समं दुःखं नास्ति त्याग समं सुखम्॥ विद्या के समान कोई दृष्टि नहीं है। सत्य से बढ़कर कोई तप नहीं है। राग या आसक्ति से बड़ा […]
◆ आचार्य की पाठशाला की ओर से किये गये प्रश्न ‘देखने’ और ‘उत्तर’ देने मे अत्यन्त सरल लगते हैं, जबकि वे होते नहीं हैं; क्योंकि उसके लिए ‘शरसंधान’ की भाँति ‘शब्दसंधान’ करना पड़ता है। १– […]
एक समय था, जब इलाहाबाद का क्षेत्र ‘गोविन्दपुर’ इतना बीहड़ होता था कि लोग-बाग़ वहाँ जाने से डरते थे; परन्तु हमे नहीं भूलना चाहिए कि ‘सभ्यता का विकास’ ऐसे ही बीहड़ और दुर्गम परिवेश मे […]
भाषाविज्ञानी और वैयाकरण आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने ६ मई को ‘हिन्दी-संसार ऑन-लाइन’ शैक्षिक संस्थान, सलोरी, प्रयागराज के सभागार मे लगभग ८०० छात्र-छात्राओं को लगातार ८ घण्टे, फिर ऑन-लाइन लगभग २,००० विद्यार्थियों को डेढ़ घण्टे […]
‘हिन्दी-संसार ऑन-लाइन’ शैक्षिक संस्थान’, सलोरी, प्रयागराज की ओर से ६ मई को भाषाविज्ञानी और वैयाकरण आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की बहुचर्चित पाठशाला का आयोजन संस्थान के सभागार मे पूर्वाह्ण १० बजे से मध्याह्न १२ बजे […]
■ प्रतिक्रिया करके हमने ‘होने’ का परिचय अवश्य दें; क्योंकि ‘शब्दसर्जन’ और ‘शब्दसंधान’ श्रमसाध्य और ‘कष्टसाध्य’ कर्म है। अभिक्रिया के अभाव मे भविष्य मे इस पाठशाला से आप सभी वंचित रहेंगे। ★ हमारी पाठशाला की […]
सर्जक का मन-मस्तिष्क नितान्त सुकोमल होता है, यदि वह सर्जक है तो; क्योंकि उसकी दृष्टि ‘समय-सत्य’ होती है। वह देश (स्थान), काल तथा पात्र की रचना करता है, जिसमे उसकी भावना, संवेदना, कल्पना तथा विचारशीलता […]
प्रयागराज मे अलोपीबाग़ (शुद्ध और उपयुक्त नाम ‘आलोपीबाग़’ है।) मुहल्ले मे एक प्रसिद्ध मन्दिर है, जिसे ‘सिद्धपीठ’ और ‘शक्तिपीठ’ भी कहा जाता है, जहाँ सुदूर क्षेत्रों से आबाल वृद्ध नर-नारी श्रद्धा-आस्था के साथ अपनी भक्ति […]
● व्याकरण के स्तर पर अधोलिखित वाक्यों में किस-किस प्रकार की अशुद्धियाँ हैं? उन अशुद्धियों को दूर करते हुए, अधोलिखित वाक्यों को शुद्ध करें―१- शान्तनु ने स्पृहा से कहा, शान्तनु अब स्पृहा से वार्ता नहीं […]
आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने असम के विद्यार्थियों को मूलभूत व्याकरण का ज्ञान कराया ‘राष्ट्रभाषा प्रबोध विद्यालय’, विश्वनाथ (असम) के एक कक्ष मे कल आयोजित शैक्षिक कर्मशाला मे अनेक शिक्षण-संस्थाओं की छात्र-छात्राओं की सहभागिता उपयोगी […]
सात बहनो के नाम से जाना जानेवाला और अपनी नैसर्गिक समृद्धि के लिए प्रसिद्ध पूर्वोत्तर-राज्यों के एक महत्त्वपूर्ण राज्य ‘असम’-स्थिति विश्वनाथ चारिआलि मे उत्तरप्रदेश हिन्दी-संस्थान एवं विश्वनाथ चारिआलि राष्ट्रभाषा प्रबोध विद्यालय परिचालना समिति के संयुक्त […]
भाषाविज्ञानी एवं समीक्षक प्रयागराज के आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय को ‘विश्वनाथ चारिआलि राष्ट्रभाषा प्रबोध विद्यालय, परिचालना समिति’, विश्वनाथ, असम की ओर से आयोजित द्विदिवसीय (१२-१३ मार्च) राष्ट्रीय संगोष्ठी मे सारस्वत अतिथि के रूप मे निमन्त्रित […]
भाषाविज्ञानी एवं समीक्षक प्रयागराज के आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय को हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग की ओर से आयोजित वर्धा (महाराष्ट्र) के द्विदिवसीय (२५-२६ फ़रवरी) ७४वें राष्ट्रीय अधिवेशन मे विशिष्ट वक्ता के रूप मे आमन्त्रित किया […]
हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग का द्विदिवसीय ७४वाँ राष्ट्रीय अधिवेशन २५ फ़रवरी से २६ फ़रवरी तक शान्ती भवन, बापू कुटीर, सेवाग्राम, वर्धा (महाराष्ट्र) मे आयोजित किया जायेगा। उल्लेखनीय है कि सम्मेलन की ओर से यह आयोजन […]
यहाँ एक शब्द है, खेल। इसी शब्द से दो शब्द का सर्जन (‘सृजन’ अशुद्ध शब्द है।) होता है :―१– खिलाड़ी२– खेलाड़ी। इनमे से कौन-सा शब्द उपयुक्त है और क्यों? कहीं ऐसा तो नहीं, दोनो शब्द […]
आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय कभी-कभी प्रतीत होता है, ‘आचार्य पण्डित पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला’ अपने उसी पुराकाल की समृद्ध और सात्त्विक परम्परा की देन है, जहाँ कभी गुरु भौतिकता से परे आत्मिक परिवेश का सर्जन […]
‘लड़पोछन’ शब्द की सार्थकता? ‘लड़पोछन’ न तो कोई सार्थक शब्द है और न ही ‘अश्लीलता’ का बोध करानेवाला किसी भी प्रकार का शब्द है। ‘लड़पोछन’ मे दो शब्द दिख रहे हैं :― (१) लड़ (२) […]
“हमे आज संदूषित किये जा रहे शब्दों को पकड़कर सारस्वत सुधारगृह मे रखना होगा, ताकि उनका समुचित परिष्कार हो सके और उनका सात्त्विक शब्दनिधि मे प्रवेश हो सके। वास्तविकता यह है कि हमारा अर्द्धशिक्षित-शिक्षित-सुशिक्षित समाज […]
‘आचार्य पण्डित पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला और कर्मशाला’ विगत वर्षों मे देश के अनेक राज्यों मे प्रसार करती गयी है, जिसका एकमात्र उद्देश्य रहा है, सार्थक शब्दपथ से च्युत (पृथक्, अलग) व्यक्ति को सम्यक् शब्द-धारण […]
प्रयागराज से पधारे भाषाविज्ञानी एवं समीक्षक तथा आयोजन मे मुख्य अतिथि आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की कर्मशाला का आयोजन ९ फ़रवरी को ‘दीनदयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान’, बख़्शी का तालाब, लखनऊ के सभागार मे […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय हाल ही मे ‘व्यापमं’ की ओर से आयोजित ‘सब-इंस्पेक्टर-परीक्षा’, छत्तीसगढ़ के सामान्य हिन्दी के प्रश्नपत्र मे नीचे दिये गये एक प्रश्न के उत्तर-विकल्प को लेकर इस समय अभ्यर्थी मुझसे लगातार […]
♀ हमे ‘इस पाठशाला’ से पूर्व ऐसा कोई भी स्रोत प्राप्त नहीं हुआ था, जिसमे किसी भी प्रकार के अशुद्ध-शुद्ध वाक्य को इतने विस्तार के साथ समझाते हुए, लेखन हुआ हो और समय-समय पर हमारा […]
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय इन दिनो एक वाक्यांश शिक्षाजगत् की शब्द-सम्पदा को खाने के लिए ‘जंगली कुत्ते’ की तरह से छोड़ दिया गया है। आश्चर्य है, उस कुत्ते को लठियाने की हिम्मत मरती हुई […]
आचार्य पण्डित पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला ♀ प्रथम― प्रत्युत्पन्नमति ♀ द्वितीय― शुश्रूषा ♀ तृतीय― ५९ ♀ चतुर्थ― पोषकतत्त्व ♀ पंचम― ९५ ♀ षष्ठ― वीणापाणि ◆ प्रत्युत्पन्नमति :― प्रथम शब्द है― प्रत्युत्पन्नमति।प्रति+उत्पन्न+मति― इसका शाब्दिक अर्थ है, […]
डॉ० नरेन्द्र शुक्ल, प्रमुख नेहरू पुस्तकालय एवं संग्रहालय (प्रख्यात लेखक-इतिहासकार) लगभग तीन साल पहले अटल बिहारी वाजपेयी के अनन्य सहयोगी एन एम घटाटे हमारे तत्कालीन निदेशक श्री शक्ति सिन्हा मिले और उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी […]
◆ यहाँ प्रस्तुत है, एक वाक्य का सम्यक् और अनन्य विश्लेषण। ★ वाक्य है :― पुरुषार्थ से बढ़कर ‘कुछ’ भी नहीं।•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• सब कुछ विस्मृत के गर्भ मे विलीन हो जाता है, जबकि पुरुषार्थ ‘अजर-अमर’-रूप/अजर-अमर के […]
◆ वे शब्द, जिनका विश्व-समाज अशुद्ध और अनुपयुक्त व्यवहार करता आ रहा है।■ शब्दप्रयोग― आभार; शुक्रिय:/शुक्रिया, धन्यवाद, साधुवाद तथा थैंक यू। आइए! ‘आभार’ शब्द को समझते हैं। ‘आभारी’ का समानार्थी शब्द ‘कृतज्ञता’ है। पढ़े-लिखे लोग […]
एक वाक्य के आधार पर व्याकरणीय सम्बोध/संज्ञान करें। वाक्य है :–★ हमारे जीवन मे एक ‘तिनके’ की उपयोगिता है और महत्ता भी। ◆ यह वाक्य ‘अनिश्चित वर्त्तमान/वर्तमानकाल/वर्त्तमान/वर्तमान-काल/ वर्तमान का काल/समय (‘वर्त्तमान/वर्तमान काल’ अशुद्ध है।) का […]
■ यदि आपको इसमे से किसी भी प्रकार की अशुद्धि दिखे तो हमारा समुचित मार्गदर्शन करें, स्वागत है।◆ यहाँ वे शब्द हैं, जिनका विश्व-समाज जाने-अनजाने (‘अंजाने’ और ‘अन्जाने’ अशुद्ध हैं।) अशुद्ध और अनुपयुक्त व्यवहार करता […]
‘सर्जनपीठ’ की ओर से ‘सारस्वत सभागार’, लूकरगंज, प्रयागराज मे २१ दिसम्बर को ‘शब्द-शब्द संधान’ के अन्तर्गत ‘मौखिक और लिखित भाषाओं मे विराम-चिह्नो की उपयोगिता’ पर चर्चा-परिचर्चा और कर्मशाला का आयोजन किया गया। अध्यक्ष और मुख्य […]
‘सर्जनपीठ’ के तत्त्वावधान मे हिन्दी-साहित्य के युगप्रवर्तक (द्विवेदी-युग) आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी की पुण्यतिथि के अवसर पर ‘शब्द-शब्द संधान’ के अन्तर्गत ‘मौखिक और लिखित भाषाओं मे विराम और विरामेतर-चिह्नो की उपयोगिता’ विषय पर एक व्याकरणिक परिसंवाद […]
भाषासंस्कार/भाषा-संस्कार/भाषा का संस्कार (‘भाषा संस्कार’ अशुद्ध है।) विकसित करें प्रतिभाशाली/प्रतिभावान्/प्रतिसम्पन्न/प्रतिभायुक्त विद्यार्थी वही होता है, जो शब्दानुशासन को सम्यक् रूपेण (भलीभाँति) धारण करता हो। जिसके पास विद्या होती है, वही विद्यार्थी कहलाने का अधिकारी होता है; […]