आधुनिक लव का गन्तव्य ओयो रूम

February 8, 2024 0

आजकल के नौजवानों को प्यार बहुत जोर से आता है। रोज डे, प्रोपोज़ डे, किस डे, हग डे से होता हुआ आधुनिक लव कुछ ही दिनों में ओयो रूम तक जा पहुँचता है। हालांकि कार्बाइड […]

जरूरी काम

February 7, 2024 0

मेरे मित्र अजय सिंह चौहान, मैनपुरी वाले हरफनमौला शख्स हैं। हरफनमौला इसलिए कि सरकारी नौकरी में है तो जाहिर सी बात है पढ़े लिखे हैं। इसके अलावा फिजिकल फिटनेस के प्रति भी उतने ही जागरूक […]

क्रिमिनल बाबा को कोटी-कोटी परनाम

February 1, 2024 0

——० हास-परिहास ०—— ● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय परिदृश्य-विवरण :–‘क्रिमिनल बाबा’ का अय्याशीभरा दरबार सज गया है। क्रिमिनल बाबा मखमल-जैसे नरम-नरम स्वर्णिम गद्दे पर ओल्हरे हुए हैं। उनके चारों ओर पैर पसारे भगतिन क्रिमिनल बाबा […]

झोंकरावन चाची के नावे तहार भतीजवा जरावन पाँड़े क एगो चीठी

October 27, 2023 0

भोजपुरिया लिक्खाड़ लोगवा! एही क कहल जाला भोजपुरी ● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ए चचिया! तोरा क उठि-बइठि आ सूति-जागि के उठक-बइठक करत परनाम करत बानी। आछा त, तू खाँड़ी-चूकी ना हउ, सोगहगवे बाड़ू। आपना […]

सरकारी चरणामृत चाटता बुद्धिजीवी!

July 3, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय बेशक,तुम्हारे चिन्तन चुराये हुए हैं।तुम्हारे विचार दिल्ली के आज़ाद मार्केट सेकिलो के भाव लाये हुए कपड़ों-जैसे हैं।किसी कोठे के किराये की कोख से जन्मेवा फिर परखनली में उपजे,तुम्हारे वे शब्द […]

अथश्री रगड़ू-झगड़ू-संवाद शुरू― एक

February 19, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय रगड़ू― चाचा!झगड़ू― हाँ भतीजे रगड़ू।रगड़ू― चाचा! नौकरी तो मिलौ नाय। जब नौकरी नै मिलौ तव छोकरी कैसौ मिलौ।झगड़ू― एमा तोर मतलब का आय?रगड़ू― चाचा! अबै हम छत्तीस के होये जाय […]

राष्ट्रीय पर्वों को मुँह चिढ़ाता वैलेंटाइन डे

February 14, 2023 0

राघवेन्द्र कुमार त्रिपाठी ‘राघव’– फरवरी महीने का दूसरा सप्ताह प्रेमियों के लिए होली, दीपावली और ईद से भी कहीं बढ़कर होता है। तरह-तरह के पक्षियों का दाने की तलाश में उड़ान भरते नजर आना मामूली […]

लरपोछन महाराज के जय हो!

February 7, 2023 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय “का हो बहोरी चाचा! ए फजीरे-फजीरे केने चलि देहले? आ तनी हेने आव; पनपियाव कइ ल, ना त खरास मारि दीही।” “अरे का बताई मरदे, हो पकड़िया तरे एगो बाबा […]

डिजिटल इंडिया

November 20, 2022 0

आज अपनी तारीफ खुद ही कर लेते हैं। हमारी सेहत का राज यह है कि हम लंच करने के बाद टहलते जरूर हैं। गर्मियों में ऑफिस के आसपास ही टहल लेते हैं और सर्दियों में […]

बेबस और लाचार जवानी की सुनो रामकहानी

October 18, 2022 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय किसी स्थान पर करोड़ों की संख्या मे लोग उपस्थित थे। वहाँ के एक चतुर-चालाक मालदार सेठ ने डुगडुगी पिटवा दी थी– सुनो-सुनो! देश के बेरोज़गार युवक-युवतियो! सरकारी फ़र्मान (‘फ़रमान’ अशुद्ध […]

पत्रकारिता हाय-हाय, मेरा दिल ले जाय-जाय

September 25, 2022 0

सुधीर अवस्थी परदेसी (ग्रामीण पत्रकार) : वर्तमान में अखबारों को पत्रकार नहीं कमाऊ पूत चाहिए। जोकि संस्थान को अच्छे से अच्छा विज्ञापन कलेक्ट कर के दे सकें और अखबार की प्रसार संख्या को लगातार बढ़ाते […]

मारी गयी है मति

July 23, 2022 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–गति सबही की एक है, दुर्गति अलग विधान।पापी समझ न पा रहे, पाते नहीं निदान।।दो–पापी इस संसार मे, भाँति-भाँति के लोग।लटके उलटा हैं दिखें, तन के-मन के रोग।।तीन–घटिया शासन-नीति है, […]

व्यंग्य : हमारा गुड्डू कलेक्टर बन गया

July 17, 2022 0

आज एक मनगढ़ंत कहानी सुनाता हूँ! बहुत साल पहले जंबूद्वीप के एक छोटे से गांव में एक भोला-भाला धोबी रहता था। वह अपने गधे के बच्चे को बहुत ज्यादा प्यार करता था। धोबी गधे के […]

व्यंग्य : लोग सहिये में बहुत एडवांस हो गए हैं!

July 7, 2022 0

एक जमाना था, जब पहले शादी होती थी। शादी से भी पहले गोदभराई, रिंग सेरेमनी, बरीक्षा, तिलक (फलदान) और भी न जाने क्या- क्या होता था। शादी हो जाने के बाद भी नसीब वालों के […]

इहे काहाला ‘ठेठ’ भोजपुरी बोलिया

June 26, 2022 0

बरखारानी के नावे आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय के एगो चिट्ठी आ ए हामार सोना के पुतरिया बरखारानी!जीयत रह आ जागतो रह! आ हेने के हाल-चाल ठीके बा। आपन सुनाव। ए घरी केने बाड़ू? आ जान […]

इस नामुराद गणित ने न जाने कितनो को ही रुलाया है!

June 1, 2022 0

90 के दशक में मैथ के साथ साइंस साइड लेकर 12वीं करने वाले हम अधेड़ों से गणित के अत्याचार की कहानी सुनिए। तब इंटरमीडिएट की परीक्षा में 11वीं और 12 दोनों का सिलेबस शामिल रहता […]

आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज के दोहे

May 29, 2022 0

मन की मरती छाँव है, तन घायल हर रोज़।व्यथा-कथा भी मौन है, कोई ख़बर, न खोज।। (१) अन्धे के दरबार में, चीरहरण का खेल।गूँगे-बहरे हैं जुटे, लँगड़ों का भी मेल।। (२) ‘सधवा’ महँगाई दिखे, ‘विधवा’ […]

राजा बनने की कला

May 18, 2022 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय उजाले की बात मत करतू सीख ले मरघट की बात करना;क़त्लेआम की बात करना;सामूहिक दुराचार की बात करना;गड़े मुरदों को उखाड़कर राजदरबार मेकलात्मक ढंग से प्रस्तुत करना;भौं-भौं करनेवाले कुत्तों की […]

बहुरुपियों को समझना मुश्किल बहुत

May 17, 2022 0

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ज्ञानवापी तो महज़ एक बहाना हैसिर्फ़ महँगाई से ध्यान हटाना है।जनता को मन्दिर-मस्जिद से क्या,अस्ल मे ख़ास मुद्दों से भटकाना है।बहुरुपियों को समझना मुश्किल बहुत,दरअस्ल २०२४ का चुनाव निशाना है।बेहयाई […]

बाहर का कप

May 5, 2022 0

आकांक्षा मिश्रा— मोहिनी, सुबह 7 बजे से लेकर 11 बजे तक अपनी मेम साहब के यहाँ काम करती । सारे काम मोहिनी के जिम्मे ……. मेमसाहब 8 बजे उठती, उसके एक घण्टे पहले मोहिनी के […]

खलीफाओं का बिरहा

May 4, 2022 0

प्रभात सिंह (युवा लेखक/मान्यता प्राप्त पत्रकार)- पन्ना लाल ख़लीफ़ा एक हाँथ में गमछा और दूसरे हाँथ में माइक पकड़े पहले लंबी तान लगाते हैं। फिर मंच के नीचे बैठे रमेश ख़लीफ़ा, मुन्नी लाल ख़लीफ़ा से […]

राम! उत्तर दो

April 13, 2022 0

★आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय राम!तुम पैदा क्यों हुए?तुम तो क्रय-विक्रय के लिएमात्र एक वस्तु-सदृश हो चुके हो।तुम एक ऐसा विज्ञापन हो,जिसे सीने पर साटकर उन्मादी भीड़हिंसा का जुलूस निकाल रही है।तुम्हारे नाम के रहस्य से […]

मैं एक गधा आवारा हूँ

April 1, 2022 0

सब यही सुना कर कहते हैं,मैं एक गधा आवारा हूँ।मानवता जिनमें होती है,बस उसी प्यार का मारा हूँ।। सबकी अपनी दुनिया होती,मैं भी अपने में जीता हूँ।ढोता हूँ जग का भार,और कटुताओं को चुप पीता […]

क्यों चच्चा-बोल बच्चा?– तीन

March 24, 2022 0

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय बच्चा– चच्चा!चच्चा– बोल बच्चा?बच्चा– चच्चा! अब तो अपनी रेखा की पाँचों अँगुरी घी मे है?चच्चा– वह कैसे?बच्चा– बुल्डोजर बाबा की सरकार बनने जा रही है। चुनाव मे सभी सभी छात्राओं […]

क्यों चच्चा-बोल बच्चा?– दो

March 23, 2022 0

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय बच्चा– चच्चा! एक बात बताओ?चच्चा– बोल बच्चा?बच्चा– कल आप और चच्ची को आपके दोनो बेटे खरी-खोटी सुना रहे थे।चच्चा– तो क्या हुआ?बच्चा– वे तो यह भी कह रहे थे– घर […]

क्यों चच्चा-बोल बच्चा?

March 22, 2022 0

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय बच्चा– चच्चा! महँगाई देख रहे हो?चच्चा– हाँ बच्चा।बच्चा– तो?चच्चा– गुड न्यूज़।बच्चा– वह क्या?चच्चा– बच्चा! उपाय है।बच्चा– वह क्या?चच्चा– रात मे सोते समय तकिया के नीचे मोदी बाबा की फोटू रख […]

आज के प्रमुख समाचार–

March 18, 2022 0

■ लेखक और प्रस्तोता– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ● पाकिस्तान की संसद् मे इमरान ख़ान के विरुद्ध प्रस्तुत किया गया अविश्वास-प्रस्ताव ३४१-८१ से पारित कर दिया गया है। अब इमरान ख़ान दो दिनो के भीतर […]

‘खेला होबे’ का नया संस्करण– ‘खदेड़ा होबे’ का लोकार्पण आज लखनऊ मे किया गया

February 7, 2022 0

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय बंगाल से आकर ममता दीदी का आज (७ फ़रवरी) लखनऊ मे अखिलेश यादव के साथ मुलाक़ात करना, उत्तरप्रदेश की राजनीति मे ‘खेला होबे’ के नये संस्करण ‘खदेड़ा होबे’ की सम्भावना […]

नेता जी की जय

February 2, 2022 0

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–नेता आतंकी बने, बाँट रहे हैं देश।बोल विषैले बोलते, नक़्ली दिखता वेश।।दो–नेता इनको मत कहो, करते हैं व्यापार।मानवता को खा रहे, दिखें धरा पर भार।।तीन–घृणित कृत्य से युक्त हैं, दुर्गुण […]

दूसर क पत्तर मा छेद करैं वालन क नून चाटौ

January 15, 2022 0

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय वाह!ग़ज़ब की ख़्वाहिश! चड्ढी, ब्रा, लँगोटा मे भी इन महापुरुषों के चित्र चिपका देने चाहिए। यह तब है, जब चुनाव आयोग के द्वारा ‘चुनाव आचार संहिता’ लागू है। आश्चर्य की […]

कुत्तों की ‘जातीय’ पहचान

December 28, 2021 0

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय देखो!थोड़ा नज़दीक आओ।देखो! उस कुत्ते कोअपनी जाति पहचानता है।उसके सामने भीड़ हैगँवार कुत्ते से लेकरअर्द्धशिक्षित-शिक्षित कुत्तों की मण्डलीमन्त्रणा करती आ रही है,‘रिफ़ाइण्ड हड्डी’ का दरकार है;क्योंकि उनकी भी अपनी सरकार […]

भारतीय क्रिकेट-दल की चिता धूधू कर जलती हुई!

November 7, 2021 0

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ‘भारतीय क्रिकेट-दल’ पिछले कुछ दिनों से ‘कोमा’ में पड़ा हुआ था; उपचार किया जा रहा था; किन्तु सब व्यर्थ रहा। १० मिनट-पूर्व उसके वर्तमान अस्तित्व का अवसान हो चुका था; […]

विषाक्त उत्सवधर्मिता!

November 6, 2021 0

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय दीपवर्तिका की ज्वलनशीलतालोकमानस की सहनशीलतापृथक्-पृथक् पथ पर परिलक्षित होती हैं।दो समानान्तर दूरी पर चलते हुए भीसंवाद करने के लिएकहीं-कोई ठौर नहीं बचता।किस-हेतु लोक दीप जलाता हैख़ुश हो लेता है?दीप-प्रज्वलन के […]

“डंके की चोट पर”!

August 31, 2021 0

आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज एक–हमारी फ़क़ीरी तुझसे बहुत जुदा है प्यारे!ख़ुद को फ़क़ीर बना, पाप का महल बनाता?दो–ग़रीब की कुटिया ग़र उजाड़ेगा, जल जायेगा बद्दुआ से उसकी।तेरे सिरहाने-पैताने किराये के लोग रोनेवाले होंगे।तीन–अपने हक़ […]

अभिव्यक्ति के दंश

August 31, 2021 0

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–कृष्ण-कृष्ण हैं रट रहे, कर्महीन जो लोग।पापकर्म में रत रहे, मौन दिखे संयोग!दो–अनाचार है पक रहा, कदाचार के धाम।पापी छक्-छक् चूसते, मानो फल हो आम।।तीन–धरा-धाम में दिख रहे, बढ़कर एक […]

‘ओबीसी’ की आड़ में, बँटने लगा समाज

August 9, 2021 0

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय बीज घृणा का हर तरफ़, उगने लगी खटास।गदहपचीसी हर जगह, दूर हो रही आस।।गोरखधन्धा दिख रहा, खेल निराले खेल।बाहर से दुश्मन लगें, अन्दर-अन्दर मेल।।गुण्डों का अब राज है, उस पर […]

“जमूरा-जमूरा, जमूरा-जमूरा, जमूरा-जमूरा”

April 15, 2021 0

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय जमूरे!बोल ओस्ताद।अबे! कहाँ मर गया तू?यहीं तो हूँ ओस्ताद! तेरे पिच्छू।कोरोना से अब तक लाखों लोग मर चुके हैं।फिर ओस्ताद!अबे हरामख़ोर!तुझे क्यों रखा है?’मन की बात’ सुनाऔर यहाँ बटोरी गयी […]

चिंतन : मूरख को मूरख कहै, अतिशय मूरख होय

April 2, 2021 0

आज ‘फर्स्ट अप्रैल’- मूरख दिवस है । आज के दिन चतुर लोग किसी को मूर्ख बनाने में आनन्दित होते हैं । मूर्ख बनाये नही जाते, होते ही हैं । मूर्खता साधारण बुद्धिमानो को विकार या […]

पढ़ीं-लिखीं चतुर मूर्ख महिलाएँ

March 30, 2021 0

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय मैं गंगा-गोमती से लखनऊ जा रहा था। मेरे पार्श्व में दो महिलाएँ एक बच्चे के साथ बैठी हुई थीं। मैं अपनी पुस्तक ‘समग्र सामान्य हिन्दी’ और ‘समग्र सामान्य ज्ञान’ के […]

सरकार बहादुर की चड्ढी सरकती हुई

February 6, 2021 0

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय भाइयों-बहनों-मितरों! फोर ट्वेंटी वेब ४२० पर यह खोखलीवाणी का ८४० झूमरी तलय्या का ढपोरशंखी-केन्द्र है। मैं लफ़्फ़ाज पण्डित लफ़्फ़ाजी का पिटारा लेकर ख़ुदा को हाज़िर-नाज़िर जानकर दरवाज़ातोड़ हाज़िर हूँ। जैसा […]

व्यंग्य : नेताओं का बोलबाला

February 5, 2021 0

प्रांशुल त्रिपाठी, सतना, हिनौती, मध्य प्रदेश संसद भवन में आजनेताओं का बोलबाला चल रहा है ।अब हमारे देश में सिंधिया जैसेनेताओं का जन्म हो रहा है । कोई खुद को बेच रहा हैतो कोई किसी […]

इहे ह भोजपूरी बाबू!

January 23, 2021 0

“अब देख ना हे भछनो के” — आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय (सर्वाधिकार सुरक्षित — आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; २३ जनवरी, २०२१ ईसवी।)

क्रिमिनल बाबा की जय हो!

January 20, 2021 0

आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय : परिदृश्य–‘क्रिमिनल बाबा’ का अय्याशीभरा दरबार सज गया है। क्रिमिनल बाबा ओल्हरे हुए हैं। उनके चारों ओर भगतिन क्रिमिनल बाबा के हाथ-पैर मीज रही हैं। धर्म-कर्म का ठीकेदार ‘क्रिमिनल बाबा’ ६५ […]

तानाशाही चरम पर, नहीं कोई दरकार

October 12, 2020 0

— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–गयी हाथ से नौकरी, लोग हुए बेकाम।नमो-नमो का जप करो, बोलो जयश्रीराम।।दो–शर्म-हया सब पी गये, छान पकौड़ा तेल।जनता जाये भाँड़ में, अजब-ग़ज़ब का खेल।।तीन–थपरी मारो प्रेम से, उत्तम बना प्रदेश।गुण्डे […]

योगी! तेरे राज्य में जनता है मज़बूर

October 6, 2020 0

— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय अन्धकार है छा गया, शासक है बेहोश।पनही लगाओ मुँह पर, आये शायद होश।।जनता भी कुछ कम नहीं, चाटे शहद लगाय।‘हिन्दू’ ‘मन्दिर’ जाप कर, स्वर्ग सहज ही पाय।।पानी-बिजली दूर अब, सब […]

न्याय-देवता कह रहे, लाओ! घर में सौत

October 2, 2020 0

— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–कैसा यह भगवान् है, चोर-चमारी भक्ति।मन्दिर में मूरत दिखे, उड़न-छू हुई शक्ति।।दो–पट्टी बाँधे आँख में, देश जगाता चोर।भक्त माल सब ले गये, कहीं नहीं अब शोर।।तीन–अजब-ग़ज़ब के लोग हैं, शर्म-हया […]

रोज़गार की चाह में, उजले होते बाल

September 28, 2020 0

— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–जपो नमो-नमो माला, लिये कटोरा हाथ।कंगाली में देश है, दिखे न कोई साथ।।दो–देश की शिक्षा चोर है, चहुँ दिशि दिखें दलाल।रोज़गार की चाह में, उजले होते बाल।।तीन–देश विपक्षी ‘कोमा’ में, […]

व्यंग्य : E-पोथी अर्थात Google बाबा

September 24, 2020 0

चिन्तन : पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, ई-पोथी पढ़ि जिये। बालपोथी (कक्षा एक की पुस्तक) से आरंभ शिक्षा ई -पोथी ने क्या ले लिया,चमत्कार हो गया। बस्ते बच्चों या लेखपालों को लादने से मुक्ति मिली। […]

सबके-सब धुत्त दिख रहे इस मैख़ाने में!

September 24, 2020 0

— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–सियासत लिपटी बदनामी की चादर में,सबके-सब धुत्त दिख रहे इस मैख़ाने में!दो–अजीब-सा सन्नाटा पसरा इधर और उधर,आग बो डालो अब, कहीं बीत न जाये पहर।तीन–बात आते-आते नज़र में ठहर आती […]

भोजपूरी के पोंछिटा मत खींच…S..S..S

August 27, 2020 0

— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय (भोजपूरी के हड़ाह लिक्खाड़), परियागराज भोजपूरी ‘चिनियाबादाम’ न हवे ए बाबू कि अँगुठवा दबाई के फोरि देहला आ मुँहवाँ में ढुकाइ लेहल। जेकरा फराकी ठोकला के बदिया……धोवे के सहूर ना […]

“न ख़ुदा ही मिला, न विसाले सनम!”

August 19, 2020 0

— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय मुझे ऐसा कोई भी व्यक्ति पसन्द नहीं है, जो कहता कुछ हो और करता कुछ हो। ऐसों से मैं दूरी बना लेता हूँ। अधिकतर ‘लिक्खाड़’ और ‘वाचाल’ लोग ‘महिला- स्वातन्त्र्य’ […]

पीएम केअर फण्ड के कहाँ गये सब नोट?

August 15, 2020 0

— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–रोज़गार सब खा गये, नौजवान हलकान।नीति बदलती रोज़ है, अटकी सबकी जान।।दो–हिन्दू भगवा नाम पर, ठगते हैं हर रोज़।जनता मोहित हो रही, तरह-तरह की खोज।।तीन–काग़ज़ पर है दिख रहा, देश […]

आज की स्वतन्त्रता

August 15, 2020 0

राघवेन्द्र कुमार त्रिपाठी ‘राघव’ नयी सुबह की आहट पाकर,अलसाया भारत जाग रहा है ।जो जन गण मन को फांस सके,वो जाल बहेलिया डाल रहा है ।सब्ज़बाग अच्छे होते हैं खुद के ही,इन्द्रजाल में फंसकर क्यों […]

आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला

August 1, 2020 0

● ख़ुदग़रज हँसी बनाम ख़ुद्दार तबस्सुम सच, हँसी कितनी हसीन होती है और गुस्ताख़ भी कि आप चाहकर भी उससे अलग नहीं हो सकते। शातिर हँसी तो इंसान की फ़ित्रत का बाख़ूबी बयान करती है। […]

‘चौकीदार चाचा’ के फराकी ठोकल माहँगा पड़ि गउवे

June 27, 2020 0

— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ओकर बियहवा बिदेसे में कराई दीहल जाऊ का? आपन ओनिए रहि के फरियावत रही। काहें से कि जब देख तब, ओकरा गोड़वा में शनिचरे चढ़ल रहेले। हमरा इहो लागता कि […]

चाचा झगड़ू-भतीजा रगड़ू– दो

June 22, 2020 0

— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय चाचा झगड़ू– अरे बेटवा रगड़ू! तुम्हार फटफटिया क का होइ गा? भतीजा रगड़ू– चाचा! इ बताव, तुम्हार उमर कित्ता होय? झगड़ू– अरे बेटवा साठ कै पार। रगड़ू– त एका कहा […]

चाचा झगड़ू-भतीजा रगड़ू– एक

June 21, 2020 0

—आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय चाचा झगड़ू– अरे बेटवा रगड़ू! भतीजा रगड़ू– चाचा! कई दफा बोला है, बेटा मत कहा करो। अरे! कछु लाज-सरम किहा करो। हम तुम्हार भतीजा हैं, भतीजा। भतीजा अउर बेटा मा बहुतै […]

कोरोना के नाम आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की एक अन्तरंग चिट्ठी

June 8, 2020 0

प्रिय भाई कोरोना! जुग-जुग जियो। इटली, स्पेन, जर्मनी, फ्रांस, संयुक्त राज्य अमेरिका आदिक देशों में तुम्हारा भाव बढ़ रहा था तब मुझे श्रीराम की तरह से कहना पड़ा था– अपि स्वर्णमय कोरोना पाश्चात्य देश: न […]

हूँ तो मैं भी पत्रकार पर, ऐसा जिस पर क़लम लजाती

May 30, 2020 0

राघवेन्द्र कुमार त्रिपाठी ‘राघव’ – डरता नहीं, न ही झुकता हूँ ।जो मन आए करता हूँ ।कहने को तो क़लमकार हूँपर सच कहने से डरता हूँ ।हमने गिरवी क़लम डाल दीसरकारी, दरबारी कोठों पर ।गाँधी […]

माता-पिता से अनुरोध : इन बच्चों की गतिविधियों पर नज़रें दौड़ाते रहें

May 19, 2020 0

— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय इधर, हमारे देश में ‘रिजल्ट’ आने से पहले ही ‘सुसाइड’ करने का प्रचलन बढ़ गया है। ऐसे में ‘सिचुएशन’ अब बहुत ‘क्रिटिकल’ हो गया है। इसके लिए अब ‘सुसाइड कण्ट्रोलर’ […]

नेता जी मुरदाबाद!

May 9, 2020 0

— पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक–नेता जी के बग़ल में, सुघर सलोनी सोय।पुण्य कमाते हर घड़ी, पाप कहाँ से होय।।दो–‘नेता’ धाकड़ शब्द है, जपो-जपो हर रोज़।पाप करो हर दिन सदा, करो अनोखा खोज।।तीन–है रूप-रुपया-रुतबा, नेता की पहचान।आग […]

मदिरालय की मदहोशी ही, राजनीति पर तारी है

May 5, 2020 0

राघवेन्द्र कुमार त्रिपाठी ‘राघव’ : देवालय के देव रो रहे, रीति सनातन हारी है ।मदिरालय की मदहोशी ही, राजनीति पर तारी है ।नहीं दिखी दुर्गापूजा, रामजन्म ताले के भीतर ।हनुमान जयन्ती के अवसर पर, लड़ते […]

गतिमान प्रगति-पथ देशों को, ‘वूहान’ बना डाला

May 1, 2020 0

हे ! ‘ चीनी जी’ शिनपिंग ,तुमने यह क्या कर डाला ?गतिमान प्रगति-पथ देशों को,‘वूहान’ बना डाला । सब शहर बन्द, घर- गाँव बन्द ,बाजार, माल, दूकान बन्द ।जीवन्त मार्गों, गलियों ,तक को वीरान बना […]

अरे बिल्लो रानी! देखती जाओ

February 5, 2020 0

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय- काहें के दँतवा चियार कर घिंघोर रही हो जी? तुम्हारे भी आच्छा दिनवा आ गया है। चौकीदरवा ‘दूधा का भात’ खा गया। उसको हम तुम्हारे लिए सरिहार कर रखे थे। अब का […]

राजनैतिक व्यंग्य : दिल्ली में चेहरे की तलाश

January 17, 2020 0

महेन्द्र नाथ महर्षि, से•नि• वरिष्ठ अधिकारी दूरदर्शन (गुरुग्राम)- आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। पिछली टीम के बहुत से चेहरे नयों से बदल दिए गए […]

जस्टिस फॉर प्रियंका रेड्डी

December 6, 2019 0

सीतांशु त्रिपाठी, जिला- सतना (मध्यप्रदेश) फिर लुट गई है गुड़िया किसी मां की चलो रे हम सब मिल के फिर उसको इंसाफ दिलाये । उसकी तस्वीर पर जस्टिस फॉर प्रियंका रेड्डी लिख कर दो-चार दिनों […]

व्यंग्य : नेताओं से यारों होता गदहा महान है

December 1, 2019 0

राजन कुमार साह ‘साहित्य’ (दरभंंगा, बिहार) चंद नेताओं से यारों होता गदहा महान है । चंद पैसो के लिए बेचता नहीं अपना ईमान है । कौन कहता है हमारे देश में महंगाई बहुत है । […]

कविता : दहेज दानव

November 30, 2019 0

कब तक अपनी बहू बेटियाँ चढ़ती रहेंगी बलिवेदी पर । इस दहेज दानव के मुख का कब तक रहें निवाला बनकर ? कब तक इनके पैरों में जकड़ी रहेंगी बेड़ियाँ ? कब तक हम सब […]

आवर्तन और दरार : ‘नीति’ छिछोरी दिख रही, ‘राज’ हुआ असहाय!

October 31, 2019 0

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय– एक : राष्ट्रवाद छद्म बना, चहुँ दिशि दिखते चोर। मुँह काला हो रात में, चन्दन चमके भोर।। दो : तन पाप में ख़ूब रमा, पुण्य नहीं है पास। मुखमण्डल जल्लाद-सा, कैसे आये […]

राम और रावण गले मिलने लगे हैं !

October 8, 2019 0

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय– कैसे-कैसे बाबा अब दिखने लगे हैं, कामिनी ले बाँहों में खिलने लगे हैं। भगवा वस्त्र औ’ कलंकित मर्यादा, आश्रम में बहुरुपिये दिखने लगे हैं। कौन है साधु और शैतान भी कौन? चरित्र […]

हे ईश्वर! हम ‘भारतीय’ कितने मूर्ख हैं

September 30, 2019 0

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय- आपने कभी विचार किया है :– भारतीय अपनी सन्तति की जन्मतिथि (जन्मदिन का प्रयोग अशुद्ध और अनुपयुक्त है।) के अवसर पर आयोजित समारोहों में जलती हुई मोमबत्तियों को क्यों बुझाते हैं? ‘केक’ […]

‘शिक्षक-दिवस’ पर विशेष टिप्पणी : “शिक्षे! तुम्हारा नाश हो”

September 5, 2019 0

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय- आज ९९ प्रतिशत गुरु कुटिल बन चुके हैं। वहीं पूर्व के गुरु, जो जीवन-मूल्यों की ‘कल’ तक रक्षा करनेे के लिए प्राण-पण से तत्पर रहते थे और अपने शिष्यवृन्द को भी चैतन्य […]

व्यंग्य : आजकल के दोस्त

August 25, 2019 0

कवि : सितांशु त्रिपाठी– आज जब मुझे लगा कि शायद न अब हैं मेरे भविष्य का कोई ठिकाना , तब सारे नौकरी वाले दोस्तों ने कहा नौकरी न लगे तो बिल्कुल न तुम घबराना , […]

काश कि हर लड़की दुआ करती कि उसको रावण सा भाई मिला होता

August 13, 2019 0

लेखक – सीतांशु त्रिपाठी, सतना मध्यप्रदेश आज मैं उस समाज की बात कर रहा हूँ जहाँ कहा तो ये जाता हैं की लड़की लक्ष्मी का रूप होती है । लड़की देवी होती है । लड़की […]

कविता – बेटियां

July 18, 2019 0

जयति जैन “नूतन” घर से भाग जाती है जो बेटियां वे ले जाती हैं कई बेटियों के सपने उनकी उम्मीदें,वह कायम कर जाती है मां बाप के दिलों में एक डर जो उन्हें दिन रात सताता है कहीं दूसरी बेटियों […]

व्यंग्य : राजनीति की शुचिता अब तो नाला बनकर बहती है

April 19, 2019 0

……चुनाव-2019…… फूट रहे हैं बोल भयानक नेताओं के मुख से, जनता हुई है आहत अपने नेताओं के रुख से। बैन लगा योगी के ऊपर रोका गया छिछोरा आजम, बड़ी निराली माया मेनका, मौन हुई अपने […]

मोबाइल का सम्मोहन

April 7, 2019 0

संजय वर्मा ‘दृष्टि’- वर्तमान में फेसबुक, वाट्सअप ने टॉकीज, टीवी, वीडियो गेम्स, रेडियो आदि को काफी पीछे  छोड़ दिया। कहने का मतलब है कि दिन और रात इसमे ही लगे रहते है। यदि घर पर […]

बनना न चौकीदार सजन

March 26, 2019 0

©जगन्नाथ शुक्ल…✍ (प्रयागराज) बनना न चौकीदार सजन, तुमको घर के अन्दर रहना है; यदि शौक है पहरेदारी की, तो सीमा पर जाकर लड़ना है। न संसद की चाह रखो, न मन्त्रालय की सौदेबाजी; तुम्हे देश […]

जोगिरा : मै बन जाऊं भाजपा, पिय मेरे काँग्रेस

March 10, 2019 0

डॉ. प्रिया मिश्रा राजनीति के रंग में अजब गजब का खेललोकतंत्र के राज में देखो पंचतंत्र का मेल…जोगीरा सा रा रा रा रा रा…।हाथी चढ़के बुआ आयी खूब मची हुङदंग,बबुआ जी के पप्पा ने भी […]

दो बेगाने बसपा और सपा एक साथ

January 13, 2019 0

समाजवादी पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव एवं बहुजन समाज पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष कु॰ मायावती की जुगलबंदी आखिर हो ही गयी । वैसे इन दोनों की गलबहियाँ जनता और इन्हें खुद को रास नहीं आती हैं […]

नीति’ छिछोरी दिख रही, ‘राज’ हुआ असहाय!

October 31, 2018 0

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय एक : तन्त्र लोक का है कहाँ, चहूँ दिशा हैं चोर। मुँह काला हो रात में, चन्दन चमके भोर।। दो : तन पाप में ख़ूब रमा, पुण्य नहीं है पास। चेहरा है […]

न्यू इण्डिया’ के लुटेरे ‘कहार’ देखिए!

October 27, 2018 0

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय डोली ‘हिन्दुत्व’ औ’ ‘विकास’ की उठी, ‘न्यू इण्डिया’ के लुटेरे ‘कहार’ देखिए! ‘अच्छे दिन’ की चिड़िया फुर्र हो गयी, सौ डिग्रीवाला चुनावी बुख़ार देखिए! धर्म से शून्य, पर ज्ञान बाँटने में दक्ष, […]

पुस्तक समीक्षा – कृति :- अट्टहास

October 7, 2018 0

प्रधान संपादक :- अनूप श्रीवास्तव अतिथि संपादक:- विनोद कुमार विक्की पृष्ठ:- 56 सम्पादकीय कार्यालय:- 9,गुलिस्तां कॉलोनी लखनऊ उत्तर प्रदेश समीक्षक:- राजेश कुमार शर्मा”पुरोहित” युवा व्यंग्यकार विनोद कुमार विक्की की मेहनत रंग लाई। विक्की ने अट्टहास […]

गधा-आन्दोलन ज़िन्दाबाद!

October 3, 2018 0

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय गधे बेचारे सोच रहे हैं, हम तो ‘गधे-के-गधे’ रहे और जो हमसे रात-दिन प्रेरणा लेता रहा, वह तो ‘शातिर’ निकला। ऐसे में, ‘गधा- मण्डलीे ‘जन्तर-मन्तर’ में आगामी १५ अक्तूबर को सोमवार के […]

व्यंग्यात्मक ग़ज़ल :- पति की अभिलाषा

September 8, 2018 0

डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’  सुन्दर डीपी लगा रखी है मोहतरमा अब तो चाय पिला दें सुबह उठते से ही देखो की है तारीफ़ अब तो चाय पिला दें । सोच रखा है छुट्टी का दिन […]

‘चाचा’ के कारामाती बोरिया

June 28, 2018 0

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ओकर बियहवा बिदेसे में कराई दीहल जाऊ का? आपन ओनिए रहि के फरियावत रही। काहें से कि जब देख तब, ओकरा गोड़वा में शनिचरे चढ़ल रहेले। हमरा इहो लागता कि ओ जनम […]

‘कर’ ‘नाटक’…….पर्दा उठा; नाटक शुरू

May 10, 2018 0

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ‘कर’ ‘नाटक’ अपने-अपने उस्ताद के साथ जम्हूरे पहुँच गये हैं; ,वहीं हमने भी अपने उस्ताद और जम्हूरे भेज दिये हैं। “तो बोल जमूरे!” “हाँ ओस्ताद!” “जमूरे! ‘कर’ ‘नाटक’ का चुनावी बुखार क्या […]

उल्लू सीधा हुआ हमारा, अपने घर सब जाओ

April 7, 2018 0

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय- नाचो गाओ ढोल बजाओ, खाओ और खिलाओ। लोकतन्त्र की क़ब्र खुद रही, सब मिल जश्न मनाओ। सब मिल जश्न मनाओ प्यारे! डूब सुरा में जाओ, नंगों की पा नंगी संगत, सब नंगे […]

वैलेण्टाइनोत्सव पर सटीक व्यंग्यात्मक प्रस्तुति : काहेक सोचु करै…

February 15, 2018 0

अवधेश कुमार शुक्ला (प्र. अ. जू. हा. कामीपुर) बबूल के वृक्ष पर पीली- पीली रेखावत, लटकती, झूलती, कुछ गुच्छिल, कुछ स्वतन्त्र लटकनों को देखा । देखने में आकर्षक, आलिंगन को उसी तरह मचलती लगीं, जिस […]

जय हो यूपी बोर्ड परीक्षा की

February 12, 2018 0

अनिल मिश्र- नीक काम एक भवा है अबकी यूपी बोर्ड परीक्षा मा । गुणवत्ता फिरि आई धीरे धीरे बिगरी शिक्षा मा । लागि कैमरा कमरा कमरा ताका झांकी बन्द हुई । नकल समुल्ली इमला बोली […]

‘लव जेहाद’ बनाम ‘लव ऐण्ड लवेरिया न्यू इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी’

January 17, 2018 0

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय  कभी नौकरी को ‘नौकरी’ की तरह से की ही नहीं। वैसे भी कोई इतना मज़बूत खूँटा किसी के पास था भी नहीं कि कोई बाँध सकता। पगहा तुराकर भाग खड़ा होता था। […]

जी हाँ, मैं प्यार बेचता हूँ

January 17, 2018 0

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय- आइए जनाब! मैं प्यार बेचता हूँ। किसिम-किसिम का प्यार तरह-तरह का प्यार भाँति-भाँति का प्यार नाना प्रकार का प्यार विविध प्रकार का प्यार। आप प्यार, आम प्यार, ख़ास प्यार मर्दाना प्यार, जनाना […]

हाँ, साहेब! यही चुनाव है

January 12, 2018 0

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय- साहेब! यही चुनाव है। चुनावी मौसम है, दलदल में अब पाँव हैं। हवा का रुख़ नामालूम, दो नावों में पाँव हैं।। साहेब! यही चुनाव है। हत्यारे, बलात्कारी, व्यभिचारी चहुँ ओर, धर्म, जाति, […]

व्यंग्य भोजपुरी भाषा में : अब काँहें पिपरा ता, झँख!

November 19, 2017 0

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ”अच्छे दिन आयेंगे-अच्छे आयेंगे”—- इहे सुनाई-सुनाई के, देखाइ-देखाइ के उ तहरा के भरमवले रहे आ तब तहरा के हमार बतिया न नू बुझात रहे; तब त कनवाँ में ठेपी लगाइ के ‘नमो-नमो’ […]

गधा-हड़ताल ज़िन्दाबाद!

October 3, 2017 0

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय- गधे बेचारे सोच रहे हैं, हम तो ‘गधे-के-गधे’ रहे और जो हमसे रात-दिन प्रेरणा लेता रहा, वह तो ‘शातिर’ निकला। ऐसे में, गधों की मण्डलीे ‘जन्तर-मन्तर’ में आगामी १५ अक्तूबर को रविवार […]

हो जाऊँ मालामाल

September 22, 2017 0

राघवेन्द्र कुमार राघव- मिल जाए हमको माल किसी का, मैं हो जाऊँ मालामाल । चाहे हो वो चोरी का, या दे दे वो ससुराल । कण्डीशन लग जाए कोई, चाहें जो हो हाल । मिल […]

बुढ़ापा : एक मार्मिक अहसास

September 15, 2017 0

राघवेन्द्र कुमार राघव- अंगों में भरी शिथिलता नज़र कमज़ोर हो गयी । देह को कसा झुर्रियों ने बालों की स्याह गयी । ख़ून भी पानी बनकर दूर तक बहने लगा । जीवन का यह छोर […]

साहित्याकाश में पसरता औसतपन

August 18, 2017 0

अविनाश मिश्र (प्रतिभाशाली युवा समालोचक)- एक पटाखा रॉकेट था जो कुछ ऊपर तक गया और उसने कुछ रोशनी फैलाई. अब अंधकार पूर्ववत है और मैं इस अंधकार से कुछ बोल रहा हूं. इस अंधकार में […]