विषय :– आपके लेखन मे कितनी शुद्धता?
महोदय-महोदया!
खेद है!
इस ‘मुक्त मीडिया’ मे लगभग सभी सुशिक्षितवृन्द हैं; परन्तु बहुसंख्यजन सामान्य शब्द-व्यवहार करते समय भी अशुद्ध लेखन करते आ रहे हैं; जैसे― सृजन, महत्वपूर्ण, बधाइयां, बधाईयां, शुभ कामना, शुभकामनाएँ, शुभ कामनाएँ, आदरणीय, आई.पी.एस., हिन्दी पर श्रेष्ठ कार्य, बहुत बहुत, महोदय, (सम्बोधन के अर्थ मे) भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचार के कारणों की, “कितना ईमानदार”., कहानी वार्ता, प्रिय मित्रों, डॉ, डॉ., प्रो, प्रो., मोदी जी के जन्मदिन, “हिंदी: भूत, वर्तमान और भविष्य”, हिंदी दिवस, हिन्दी दिवस, हिंदी पखवाड़ा, हिंदी/हिन्दी विभाग, आदर सहित, लिए-लिये, प्रतिभाग किया, मनुष्य और उसकी मनुष्यता, आंखों/आँखों से आंसुओं/आँसुओं, आपकी कलम/क़लम आदिक हज़ारों शब्द।
यहाँ जिस किसी को भी आपत्ति है, स्वागत है; प्रतिक्रिया करें, सकारण उत्तर दिया जायेगा।
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज।