रिपोर्ट- परमेश्वर दयाल(पी.डी.) गुप्त-
कछौना – खाद्य सुरक्षा विभाग में बढ़ती जा रही धांधली की शिकायत खाद्य रसद मंत्री से कि जिस पर उन्होंने ने कहा जांचकर कार्रवाई की जाएगी । 5 जुलाई 2013 को खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू हो गया है । यह कानून उत्तर प्रदेश की 79 प्रतिशत जनता को भोजन की सुरक्षा का अधिकार देता है । हमारी जनता आज भी कुपोषित है। जिसमे बच्चों और महिलाओं की जनसंख्या ज्यादा है । यह कानून गरीब जनमानस को भोजन का अधिकार सुनिश्चित करता है । लेकिन विभागीय अधिकारियों व राशन माफियाओं के गठजोड़ के चलते खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत विकास खंड कछौना तहसील संडीला जिला हरदोई में निम्नलिखित धांधली की जा रही है ।
1- खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत कुल आबादी का 79 फीसदी लोगों को खाद्य सुरक्षा के दायरे में लाना है । लेकिन 1 साल पूरा होने के बाद आज तक पात्रता सूची विभाग द्वारा अभी तक सही नहीं कि गयी है । पूर्व सरकार में गलत तरीकों से कागजों पर ही सत्यापन कार्य कराया गया । जिसको वर्तमान सरकार ने निरस्त कर पुनः लाभार्थियों के सत्यापन के लिए कर्मचारी नामित किये गए लेकिन वह लोग सत्यापन में हीलाहवाली कर रहें है । ग्राम पंचायत अधिकारी लेखपाल आँगनबाड़ी कोई भी सत्यापन कार्य मे रुचि नही ले रहे हैं । जिससे पात्र लोगों को इस महत्वपूर्ण योजना का लाभ नही मिल पा रहा है और अपात्र लोग इस योजना का लाभ उठा रहे है । सूची में बड़े पैमाने पर बाहरी ग्रामो के नाम दर्ज है । जिनका राशन कोटेदार उठा रहे है और वह राशन कालाबाजारी की भेंट चढ़ रहा है । हज़ारों ऐसे नाम है जिनका कोई अस्तित्व ही नही है । सूची में नाम शामिल कराने के लिए पूर्ति कार्यालय में लंबे समय से डटे बाबू कोटेदारों से मिलकर जमकर लाखों रूपयों की वसूली कर रहे हैं । नाम जुड़वाने व हटवाने का कार्य बाबू की कृपा से लगातार चल रहा है । जिससे पात्र व्यक्ति पूर्ति विभाग कार्यालय , ग्राम प्रधान, कोटेदार, जनसेवा केंद्र पर चक्कर काटने को मजबूर हैं । लाभार्थियों का सत्यापन कार्य नही होने से लाभार्थी दर दर भटकने को मजबूर हैं । जिसका फायदा कोटेदार उठा कर मजे कर रहे है । सरकार के बदलने के बाद भी राशन प्रणाली में कोई परिवर्तन नज़र नहीं आ रहा है । यह पूरी तरह माफियाओं के चंगुल में है।
2- खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत पात्र सूचियों की जारी पर्चियां कोटेदारों द्वारा मनमाने तरीके से वितरण की गई थीं । जिससे पात्र व्यक्ति अपना सही तरीके से आवेदन नही कर सके । वहीं अधिकतर लाभार्थियों ने कई बार आवेदन किया परन्तु उनका नाम बिना प्रभाव के सूची में शामिल नही हो सका । जिससे लाभार्थियों ने कोटेदार से लेकर जनसेवा केन्द्रों पर 50 रुपये से लेकर 100 रुपये तक का खर्च कई बार किया है जिस पर प्रशाशन ने इस अवैध वसूली पर कोई रोक नहीं लगाई थी ।
3- उचित दर विक्रेता द्वारा पात्र गृहस्थी व अंत्योदय लाभार्थी को निर्धारित मूल्य से ज्यादा शुल्क लेना व निर्धारित मात्रा से कम राशन दिया जा रहा है ।
4- कछौना कस्बे सहित ग्रामीण अंचल में दर्जनों दुकाने अवैध कैरोसीन तेल की बिक्री विभागीय अधिकारियों के कृपा पात्र से संचालित है । पकड़े जाने पर नीले तेल का सफेद कर दिया जाता है । उचित दर विक्रेताओं ने साइनबोर्ड पर टोलफ्री नंबर व अंत्योदय एवं पात्र गृहस्थी की सूची व यूनिट संख्या व दर नहीं प्रदर्शित की है ।
5- उचित दर विक्रेताओं के काटे बाँट माप यंत्र विभाग द्वारा कई वर्षों से प्रमाणित नही हुए है । जिससे उपभोक्ता घटतौली का शिकार हो रहें है ।
6- उचित दर विक्रेता के वितरण के समय वितरण अधिकारी नदारद रहते है । वह केवल सुविधा शुल्क लेकर कागजो पर सत्यापन कार्य करके इतिश्री कर लेते है ।
7- तेल के दिनों में उचितदर विक्रेताओं को तेल का उठान सेक्टर के अनुसार नहीं मिलता है । जिससे उचित दर विक्रेता कभी कभार महीने में पूरा तेल डकार जाते है व अभिलेखों में इसका सत्यापन कार्य हो जाता है ।
8- उचित दर विक्रेताओ ने सूची बोर्ड अभी तक नही लगाए है ।
ये सारी धांधली की रिपोर्ट खाद्य रसद मंत्री से की गई है और उनसे अनुरोध किया गया है कि जांच कर उचित कार्यवाही काराएँ जिससे उचित लाभार्थियों को उनका हक मिले और वो दर दर भटकने के बजाय अपना राशन समय से नियमानुसार पा सकें ।