नरेन्द्र मोदी! अन्तत:, सच ज़बाँ पर आ ही गया

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

बंगाल में नरेन्द्र मोदी को लाखों की भीड़ जुटवाते समय ‘कोरोना’ का भय नहीं रहा है। भारत देश का प्रधानमन्त्री कहलानेवाला यह व्यक्ति कोरोना-काल में (तब से अब तक) मनमानी करते हुए, सत्ता की राजनीति करता आ रहा है; भीड़ इकट्ठा कराकर गर्हित राजनैतिक खेल करता आ रहा है और अब ‘दिखावा’ कर रहा है।

यह राजनैतिक व्यक्ति “एकोहम् द्वितीयो नास्ति” का पोषक बना हुआ है और देश की समस्त सम्पदा का दोहन करता आ रहा है; संवैधानिक संस्थाओं को एक प्रकार से खा चुका है।

चालाकी से चायवाला बना; चौकीदार बना; चहारदीवारियाँ लाँघी तथा मूल भारत की अवधारणा को खण्डित कर, “फूट डालो और राजनीति करो” का पोषण करते हुए, ‘न्यू इण्डिया’ की नीवँ डाल दी है। यही कारण है कि आज भारत का लोकतन्त्र खोखला हो चुका है।

जब से इस व्यक्ति ने सत्ता पर अधिकार किया है तब से जनजीवन, विशेषत: देश का मध्यम वर्ग इसकी राष्ट्रघाती नीतियों और निर्णयों से संत्रस्त हो चुका है। इसके शासनकाल में कोरोना-परिदृश्य में करोड़ों लोग के जीवन जीने के स्रोत समाप्त कर दिये गये हैं; परन्तु ‘मन की बात’ उच्चारनेवाला यह व्यक्ति मौन रहा है।

इस पलटीमार प्रधानमन्त्री के मूल चरित्र को सभझना हो तो वर्ष २०१४ के पूर्व के उन चुनावी भाषणों को सुनना-समझना होगा, जिसके अन्तर्गत एक ‘विपक्षी’ नेता के रूप में यह तत्कालीन सत्ताधारी दल को जिस नीतियों के लिए धिक्कारा करता था, ठीक उन्हीं नीतियों पर यह व्यक्ति ‘कथित मोदी-सरकार’ को चलाता आ रहा है।

नरेन्द्र मोदी नामक प्रधानमन्त्री को जब मालूम है, कोरोना से अब तक लाखों लोग मर चुके हैं (जिसका कहीं कोई ठोस और विश्वसनीय विवरण नहीं है।) और मरते आ रहे हैं तब उस घातक संक्रामक रोग के प्रति जागरूक और सजग क्यों नहीं दिखा? अपनी सरकार और अपने राजनीतिक दल के हित में यह व्यक्ति सभी नियमों को भंग कर अपनी निरंकुशता का परिचय देता आ रहा है। इसे समझने के लिए छोटे-बड़े राजनैतिक चुनावों में लाखों की संख्या में भीड़ जुटाने के दृश्य को समझा जा सकता है।

 ऐसे में, यह व्यक्ति कोरोना को प्रश्रय देने के लिए 'प्रथम श्रेणी का अपराधी' सिद्ध होता है। इस व्यक्ति को दण्ड देने के लिए है कोई न्यायालय?
(सर्वाधिकार सुरक्षित-- आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १७ मार्च, २०२१ ईसवी।)