कछौना (हरदोई): गोवंश की दुर्दशा व आवारा पशुओं से किसानों की दुर्दशा की ज्वलंत समस्या के विषय में संडीला विधायक राजकुमार अग्रवाल ने विधानसभा में मुद्दा उठाया है। जिसमें विधायक द्वारा कहा गया कि निरीह गोवंश सड़क दुर्घटनाओं, रेल दुर्घटना व खेतों में लगे कटीले तारों से तड़प-तड़प कर मरने को विवश हैं। वहीं किसान आवारा पशुओं से फसल बचाने के लिए रात-रात भर रतजगा कर रहे हैं। सैकड़ों किसानों की कई हेक्टेयर फसलें बर्बाद हो गई हैं या तो वे बुवाई भी नहीं कर सकते हैं। जिससे आम जनमानस में काफी आक्रोश है। इनके समर्थन के लिए या किसानों की फसल बचाने के लिए सरकार द्वारा क्या प्रयास किया गया है।
गाय भारतीय संस्कृति का आधार है। जिसमें गाय को पवित्र माना गया है। इसके सभी उत्पाद दूध, दही, मक्खन, घी, गोबर, मूत्र पवित्र माने जाते हैं। जिससे शरीर हष्ट-पुष्ट होता है। लेकिन वर्तमान परिवेश में गोवंश की बड़ी दुर्दशा है। कृषि कार्य मशीनरी पर निर्भर होने के कारण गरीब किसान उसकी अनुपयोगिता में आवारा छोड़ देते हैं। इससे इनकी संख्या काफी बढ़ गई है। गोशाला, कांजीहाउस कागजों पर ही संचालित है वहीं सार्वजनिक भूमि चारागाह, खलियान, तालाब, जंगल, झाड़ी पर अवैध कब्जा होने के कारण इनके चरने की समस्या भी खड़ी हो गई है। सरकार द्वारा कोई प्रभावी कदम न उठाए जाने के कारण आवारा गोवंशों के साथ किसानों की भी दुर्दशा है।
किसानों ने अपनी फसल को बचाने के लिए ब्लेड वाले तार लगा रखे हैं। जिनकी चपेट में आने से गोवंश बुरी तरह से घायल होकर तड़प-तड़प कर मर जाते हैं। फिर इन मृत पशुओं को दफनाए न जाने के कारण गांव में काफी दुर्गंध फैल जाती है। बारिश के मौसम में इनके जल्द सड़ने से संक्रामक बीमारियां बढ़ने की प्रबल संभावना बनी रहती है। वहीं आवारा पशुओं के कारण सड़क दुर्घटनाओं में इजाफा भी हुआ है। लोगों के चुटहिल होने के साथ आवारा पशु मृत्यु का शिकार हो रहे हैं। गो-संरक्षण की योजनाएं कागजों पर ही संचालित हैं। जिसके चलते ग्रामीणों में काफी आक्रोश है। समय रहते सरकार द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो यह मुद्दा बड़ा आंदोलन का रूप ले सकता है। मामले की गंभीरता को देखते हुए संडीला विधायक ने उनके संरक्षण व संवर्धन के लिए विधानसभा में प्रश्न के माध्यम से मुद्दा उठाया है।
रिपोर्ट- पी०डी० गुप्ता