Breaking News: भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के कुलपति पर बड़ा खुलासा

रिपोर्ट- राघवेन्द्र कुमार


पदों हेतु जारी शासनादेश

 

लखनऊ में स्थित उत्तर प्रदेश के प्रतिष्ठित कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार का बड़ा मामला सामने आया है। उत्तर प्रदेश का इस शासकीय विश्वविद्यालय के कुलपति पर मनमाने ढंग से नियुक्तियाँ करने का आरोप लग रहा है। राजीव कुमार सिंह नाम के एक कर्मचारी से मिल कर कुलपति भ्रष्टाचार की नयी कहानी तैयार कर रहें हैं। विश्वविद्यालय में कुलपति ने राजीव कुमार सिंह को गलत ढंग से उप कुलसचिव पद दिलाकर सरकार के साथ अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय को दागदार किया है।

विस्तृत रिपोर्ट:-

  1.  श्री राजीव कुमार सिंह वर्ष 2002 में तत्कालीन कुलपति के गार्ड के रुप में नियुक्त किये गये थे।
  2.  वर्ष 2010 में उनके खिलाफ विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा एक आपराधिक एफ.आई.आर भी दर्ज की गई थी जो कि अभी तक लंबित है।
  3. वर्ष 2016 तक वे सामान्य तृतीय श्रेणी कर्मचारी के रुप में कार्यरत थे। विश्वविद्यालय द्वारा शासन के शासनादेश (दिनांक 24 फरवरी 2016) के आधार पर विश्वविद्यालय में 72 कर्मचारियों को विनियमित किया गया, जबकि उक्त शासनादेश के अर्न्तगत केवल 10 कर्मचारी ही विनियमित हो सकते थे। राजीव कुमार सिंह कर्मचारियों में थे जो विनियमितीकरण के पात्र नहीं थे। किन्तु उनको नियमों के विरुद्ध सहायक कुलसचिव के रुप में अधिकारी बना दिया गया। ध्यान देने योग्य है कि वे कभी भी इस पद पर कार्यरत नहीं रहे हैं।
  4. विनियमितीकरण के दौरान उनके द्वारा कूटरचित शैक्षिक अभिलेख प्रस्तुत किये गये हैं, जिनके बारे में कई बार सूचना अधिकार के माध्यम से मांगने के बाद भी विश्वविद्यालय एवं प्राविधिक शिक्षा विभाग द्वारा अभिलेख प्रस्तुत नहीं किये गये हैं।
  5. राजीव कुमार सिंह के समस्त शैक्षिक एवं अनुभव सम्बंधी अभिलखों की जाँच आवश्यक है।
  6. एक और कर्मचारी आशीष मिश्र की नियुक्ति भी नियम विरुद्ध है। मालूम हो कि आशीष कुलपति के रिश्तेदार हैं।
  7. मौजूदा भाजपा की योगी सरकार के नेतृत्व में कलाम सेंटर के जो पद सृजित किये गये हैं उनमें सभी पदों की योग्यता एवं अनुभव नियमानुसार किये गये हैं। लेकिन उपकुलसचिव पद की अर्हता नियमानुसार नहीं रखी गयी है। स्पष्ट पता चलता है कि राजीव कुमार सिंह को ध्यान में रखते हुए अर्हता का निर्धारण किया गया है। ध्यान देने लायक यह है कि उक्त पद की अर्हता इस प्रकार से नियत की गई है कि उस पर राजीव कुमार सिंह के अलावा कोई अन्य व्यक्ति नियोजित न हो सके। देखने पर पता चलता है कि यह नियुक्ति पूर्व नियोजित है, जो कि गम्भीर किस्म का भ्रष्टाचार है।

पूरे प्रकरण को देखने पर भ्रष्टाचार का यह मामला प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय की साख के साथ ही मौजूदा सरकार के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं है। मौजूदा योगी सरकार अभी तक के कार्यकाल में बेदाग रही है। किसी भी नियुक्ति या अन्य कदाचार के मामले में सरकार का कहीं कोई नाम नहीं आया है। शैक्षिक संस्थान की प्रतिष्ठा बचाने के लिए इस प्रकरण में सरकार को उच्च स्तरीय जाँच बिठाने की जरूरत है। राजीव कुमार सिंह एवं कुलपति महोदय की मिलीभगत के चलते भ्रष्टाचार का जो खेल विश्वविद्यालय में खेला जा रहा है, उससे सरकार की साख भी दाँव पर लग सकती है।