अवनीश मिश्र, लखनऊ
लखनऊ के जी०एस०आर०एम०एम०पी०जी० कॉलेज, लखनऊ में छात्रों से सुविधा शुल्क के नाम पर ₹ 7500 वसूल किये जा रहे हैं । छात्रों का कहना है कि बिना किसी नोटिस के विद्यालय प्रशासन आकस्मिक ₹ 7500 ले रहा है और अब मिसलेनियस शुल्क कहकर हम लोग को बरगलाया जा रहा है । विचारणीय है कि इस शुल्क की छात्रों को ख़बर तब हो रही है जब वह विद्यालय में अपना अंतिम परीक्षा हेतु परीक्षा फॉर्म जमा करने जा रहे हैं । फॉर्म जमा करने के समय छात्रों को वापस कर दिया जाता है बोला जाता है कि पहले शुल्क और फिर फार्म ।
मालूम हो कि अधिकांश शैक्षणिक संस्थानों में अवैध उगाही का यह खेल लम्बे अरसे से खेला जा रहा है । उपस्थित पंजिका के दुरुस्तीकरण, प्रायोगिक परीक्षाओं में अधिक अंक और आन्तरिक मूल्यांकन आदिक के नाम पर जो भी वसूली की जाती है वह मिसलेनियस फ़ीस के रूप में ही ली जाती है । छात्रों का आरोप है कि इस विषय पर जब विद्यालय के प्रधानाचार्य से बात करने जाने हैं तब वह सीधे मुंह बात नहीं करते और अभद्रता भी करते हैं । हम छात्रों से अवैध वसूली करने के लिये आकस्मिक या मिसलेनियस शुल्क का ड्रामा किया जाता है ।
आईवी24 न्यूज़ व अवध रहस्य राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचार पत्र के प्रदेश संवाददाता अवनीश मिश्र लखनऊ से जब इस सम्बन्ध में जी०एस०आर०एम०एम०पी०जी० कॉलेज के प्रधानाचार्य से टेलीफोनिक वार्त्ता की तो उन्होंने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया कि हाँ मिसलेनियस शुल्क के नाम पर हम सुविधा शुल्क ले रहे हैं । सभी संस्थान ऐसा करते हैं । छात्रों को सारी सुविधाएं मुफ्त में चाहिए । उपस्थित कम है लेकिन हमें 75 फीसदी दिखाना है, आएं या न आएं लेकिन ऑनलाइन क्लासेज में उपस्थित दिखानी है और प्रैक्टिकल व इण्टरनल असेसमेंट में पूरे अंक भी देने हैं । प्रधानाचार्य का कहना है कि क्या छात्रों ये सब नहीं चाहिये ? यदि यह सब चाहिए तो फीस देनी ही पड़ेगी ।
एक ओर नयी शिक्षा नीति और शैक्षिक माहौल में सकारात्मक परिवर्तन की बात हो रही है और दूसरी ओर विद्यालयों में संस्थागत कदाचार । क्या ऐसे ही शैक्षिक क्रांति आयेगी?