यदि अब भी न लगवाया टीका, तो जिन्दगी का रंग हो सकता है फीका

राघवेन्द्र कुमार त्रिपाठी ‘राघव’ (स्वतन्त्र पत्रकार, हरदोई, उ०प्र०)

आज मैं एक ऐसी बीमारी के बारे में बात करूँगा जो अब महामारी का रूप ले चुकी है। बड़ी ही बहुरुपिया है ये! जी हाँ मैं कोरोना के बारे में बात कर रहा हूँ। जिसे हम सभी कोविड19 के नाम से भी जानते है।

यह बीमारी अदृश्य शत्रु की तरह है। रूप तो इतने कि बहुरुपिया भी शर्मा जाता है। पल-पल रूप बदलती है। नए-नए रंग-रूप लेकर पहुंच जाती है। इससे बचाव के हमारे पास दो ही रास्ते हैं। पहला कोरोना वायरस संबंधी सभी प्रोटोकॉल का पालन और दूसरा रास्ता है टीकाकरण।

अरे हाँ! क्या आप सबने टीका लगवा लिया है? यदि नहीं लगवाया तो आप के बीच कोरोना किसी का भी रूप लेकर आ जायेगा और हम सबको चुपके से अपना साथी मतलब कोरोना ही बना जायेगा।

यदि अब भी न लगवाया टीका, तो जिन्दगी का रंग हो सकता है फीका।

आपको मालूम है कि कोरोना वायरस मानव के बाल की तुलना में 900 गुना छोटा है मगर बड़ा ही खोंटा है। यह आता तो है जुकाम और खांसी बनकर, लेकिन लापरवाही के चलते लग जाता है फांसी बनकर।

अभी भी गया नहीं है कोरोना, बचकर रहो वरना हो ना जाये रोना। कोरोना से मिलते-जुलते वायरस खांसी और छींक से गिरने वाली बूंदों के ज़रिए फैलते हैं। इसलिये याद रहे—

  • अपने हाथ अच्छी तरह धोएं।
  • खांसते या छींकते वक़्त अपना मुंह ढंक लें।
  • हाथ साफ़ न हों तो आँखों, नाक और मुंह को छूने बचें।
  • पब्लिक में जाने से बचें।
  • भीड़ न इकट्ठा करें और न ही भीड़ में जायें।
  • सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।
  • मास्क का प्रयोग करते रहें।