ऐतिहासिक टीकाकरण के बाद बिगड़ती सेहत के कारणों पर ध्यान दें

सन्त समीर जी की फेसबुक वॉल से–

सोशल मीडिया के लिए आजकल समय नहीं निकल पा रहा है, पर पिछले कुछ दिनों में हार्ट अटैक की इतनी घटनाएँ सुनीं कि सावधान करना ज़रूरी लगा। ज़्यादा चिन्ता की बात यह है कि हार्ट अटैक के शिकार कई लोगों की उम्र अभी बहुत कम थी।

ध्यान देने वाली बात यह भी है कि इनमें से ज़्यादातर ने महामारी से बचने के लिए टीके लगवाए थे। इसका मतलब यह न समझें कि टीका लगवाए हुए सारे लोग हार्ट अटैक के शिकार होंगे ही। जैसे गम्भीर से गम्भीर बीमारी के शिकार लोग भी सब-के-सब मर नहीं जाते, वैसे ही हर किसी को हार्ट अटैक भी नहीं होगा, पर टीकाकरण की मूर्खता ने कुछ लोगों में कम तो कुछ लोगों में ज़्यादा, सेहत की कई परेशानियाँ पैदा कर दी हैं। इस बात के लिए टीका बनाने वाले सीरम इंस्टीट्यूट के मालिक अदार पूनावाला पर दस हज़ार करोड़ का एक मुक़दमा भी हुआ है। मुक़दमा करने वालों को उम्मीद है कि कुछ बड़ा होगा। बड़ा फ़ैसला आए, अच्छी बात है, पर मुझे ऐसी कोई बड़ी उम्मीद नहीं लगती।

ख़ैर, टीका लगवाए हुए मित्रों को बस सावधान भर कर सकता हूँ। टीके के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए होम्योपैथी की दवा Thuja-200 या 1M की पन्द्रह-पन्द्रह दिन के अन्तर पर दिन में एक ख़ुराक तीन-चार बार ले लीजिए। दवाएँ और भी हैं, पर सामान्य स्थिति में ऐसा कर सकते हैं। हृदय रोग के कुछ लक्षण आ चुके हों या हृदयाघात की शङ्का-कुशङ्का हो तो अपने घर में Bio Combination-27 ज़रूर रखें। कोई परेशानी लगे तो इसे दस-दस मिनट पर चार-चार गोली जीभ पर रखकर चूसना शुरू कर दें।

मैंने देखा है कि कई बार सिर्फ़ इसी दवा ने मरीज़ को अस्पताल जाने से बचा लिया है। वैसे, इस दवा को आप साल में दो-तीन बार अपनी जीवनी शक्ति को कुछ बेहतर बनाए रखने के लिए भी प्रयोग कर सकते हैं। हृदयरोगी कुछ दिनों तक इसे नियमित ले सकते हैं। ध्यान बस इतना रखना है कि लगातार एक महीने से ज़्यादा इसे न लें। हफ़्ते-दस दिन रोककर फिर दवा ले सकते हैं।