सई नदी की करुण कथा : पौराणिक और ऐतिहासिक नदी मर रही है

अब भारत विश्वकप के फ़ाइनल मे पहुँचने से एक क़दम की दूरी पर

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

बीते दिन (२ नवम्बर) पुरुष-विश्वकप-क्रिकेट का लीग मैच भारत-श्रीलंका के मध्य मुम्बई के वानखेड़े के मैदान मे खेला गया था। श्रीलंका ने टॉस जीतकर क्षेत्ररक्षण करने का निर्णय किया था, जबकि पिच-विशेषज्ञों का मानना था कि पहले बल्लेबाज़ी करनेवाले दल को पिच का लाभ मिलेगा; और हुआ वही। भारत ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए, ५० ओह्वरों मे ८ विकेटों पर ३५७ रन बनाये थे जिसमे भारतीय दल-द्वारा कुल बनाये गये ३५७ रनो का पीछा करते हुए, श्रीलंका के सभी खेलाड़ी १९.४ ओह्वर मे मात्र ५५ रन बनाकर आउट हो गये थे। इस प्रकार श्रीलंका सेमी फ़ाइनल के मुक़ाबले से बाहर हो चुका है। श्रीलंका के पाँच बल्लेबाज़ बिना रन बनाये आउट हो चुके थे, जबकि उसके आठ बल्लेबाज़ दहाई के अंक भी नहीं छू सके थे। गेंदबाज़ कसुन रजिथा ने दसवें क्रम मे बल्लेबाज़ी करते हुए, श्रीलंका की ओर से सर्वाधिक १४ रन बनाये थे। भारतीय तीव्र गेंदबाज़ों ने ८ ओह्वर के भीतर श्रीलंका के ५ विकेट गिराकर उसके मनोबल को ध्वस्त कर चुके थे।

उल्लेखनीय है कि भारतीय दल यह मैच ३०२ रनो से जीता है। विश्वकप मे भारत की यह लगातार सातवीं जीत है तथा विश्वकप क्रिकेट के इतिहास मे भारत की यह सबसे बड़ी जीत है। भारत ने १६ वर्षों-पूर्व के उस प्रदर्शन मे सुधार किया है, जिसमे उसने वर्ष २००७ मे बरमूडा को २५७ रनो से पराजित किया था।

मो० शमी ने सर्वाधिक ५ विकेट लेकर विश्वकप क्रिकेट मे सर्वाधिक ४५ विकेट लेनेवाले गेंदबाज़ बन चुके हैं, जबकि मो० सिराज ने ३ विकेट लिये थे। पहले बल्लेबाज़ी करते हुए, भारतीय कप्तान रोहित शर्मा मैच के पहले ओह्वर के दूसरे गेंद पर ‘क्लीन बोल्ड’ हो गये थे। शुभमन गिल और विराट कोहली ने शानदार शतकीय साझेदारी कर, भारत के लिए जीत की नीवँ (‘नींव’ अशुद्ध है।) रख दी थी। भारतीय बल्लेबाज़ :― शुभमन गिल (९२ रन), विराट कोहली (८८ रन) तथा श्रेयस अय्यर (८२ रन) अपने शानदार प्रदर्शन से श्रीलंका पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव डाल चुके थे।

भारत की कुल रनसंख्या मे और वृद्धि हो सकती थी; परन्तु जब रवीन्द्र जडेजा और मो० शमी बल्लेबाज़ी कर रहे थे और मैच का अन्तिम ओह्वर था तब अन्दर से कप्तान रोहित शर्मा अनावश्यक रूप से तेज़ी से रन बनाने और रवीन्द्र जडेजा को ही बल्लेबाज़ी करने का संकेतों से निर्देशन कर रहे थे। इस कारण दोनो बल्लेबाज़ अपना स्वाभाविक प्रदर्शन नहीं कर पा रहे थे और एक थोपे गये दबाव का अनुभव करते देखे गये थे। यही कारण था कि ‘बाई’ की गेंद पर दोनो दौड़ पड़े और मो० शमी को रन-आउट होना पड़ा था। एक ही ओह्वर था, इसलिए दोनो को अपने ढंग से बल्लेबाज़ी करने की स्वतन्त्रता देनी चाहिए थी। दोनो ही अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे।

श्रीलंका की ओर से उसके प्रमुख गेंदबाज़ मधुशंका/मदुशंका ने हलके हाथ से फेंके हुए चतुराईभरे गेंद से भारत के प्रमुख बल्लेबाज़ों को शतक बनाने से वंचित रखा था। उन्होंने कुल पाँच भारतीय बल्लेबाज़ों को पैवेलियन भेजा था। अब भारत अंकतालिका मे १४ अंकों के साथ शीर्षस्थ है तथा उसके फ़ाइनल मे पहुँचने की आशा प्रबलतम दिख रही है। नियमत: भारतीय दल सेमी फ़ाइनल मे पहुँचनेवाला अब प्रथम दल बन चुका है, यद्यपि अनौपचारिक रूप से वह सेमी फ़ाइनल मे पहले ही पहुँच चुका था।

अब आगामी ५ नवम्बर को भारत का लीग-मुक़ाबला दक्षिणअफ़्रीका के साथ होगा, जिसकी हार-जीत का प्रभाव भारत पर नहीं पड़नेवाला है।

(सर्वाधिकार सुरक्षित― आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ३ नवम्बर, २०२३ ईसवी।)