आदित्य त्रिपाठी-
बेटी अपनी माँ की समरुपा होती है और एक माँ के लिए अपनी समरूपा उत्पन्न करना बहुत ही विशिष्ट है । बेटी को जन्मने के पश्चात माँ निरंतरा हो जाती है । बेटी प्रकृति का रूप है वह कभी नहीं मिटती । एक माँ अपनी बेटी में सदैव – सदैव के लिए जीवित हो जाती है । बेटी ही तो सृष्टि का स्रोत है । नवरात्र में शक्तिस्वरूपा बेटी की उपासना के उपरान्त विजयदशमी के पावन पर्व पर रावणदहन के स्थान पर मन के भीतर बैठे सुता (सीता) शत्रु का दहन करें । बेटियों की पूजा ही नहीं करें वरन् उन्हें बचाने के लिए कृतसंकल्पित भी हों ।