नरेन्द्र मोदी-सरकार का जनघातक निर्णय :– १० जाँच-एजेंसियाँ जिसके कम्प्यूटर में चाहेंगी, बिना उसकी जानकारी के सेंध लगायेंगी

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय-


आज नरेन्द्र मोदी की सरकार ने हमारे ‘निजी जीवन’ में ताक-झाँक करने का अधिकार देश की सर्वोच्च १० जाँच-एजेंसियों को दे दिया है। इससे हम अपने कम्प्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल आदिक पर कौन-सी गोपनीय सामग्री किस फाइल के अन्तर्गत रखी है, उसे बिना हमारे-आपको जानकारी दिये ‘स्वत: कार्यप्रणाली’ के अन्तर्गत उक्त एजेंसियाँ खँगालेंगी और और उन सामग्री का ‘प्रिण्ट’ तक ले लेंगी। यह आदेश ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ के नाम पर किया गया है; किन्तु जिन १० जाँच-एजेंसियों को यह दायित्व सौंपा गया है, वे अलग-अलग क्षेत्र की हैं। इससे देश का कोई भी नागरिक, विशेषत: मेरा-जैसा व्यक्ति, जो सरकार की अलोकतान्त्रिक-असंवैधानिक गतिविधियों की भर्त्सना “डंके की चोट पर” करता आ रहा है, उसके लिए भी मोदी-सरकार का यह आदेश घातक सिद्ध हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि ‘मोदी की मनबढ़ सरकार’ का ‘निजता-हनन्’ का यह आदेश देश की शीर्षस्थ न्यायपालिका ‘उच्चतम न्यायालय’ के निर्णय की अवमानना करते हुए, किया गया है। ऐसे में, केन्द्र की वर्तमान सरकार लोकतन्त्र के लिए ‘महाघातक’ सिद्ध हो रही है।
देश के मीडिया-तन्त्र की ओर से कौन-सी सामग्री कहाँ तैयार करायी जा रही है, इसका पलक झपकते ही उक्त एजेंसियाँ संज्ञान कर लेंगी। इतना ही नहीं, मोदी-सरकार हमारे-आपके कम्प्यूटर में आपत्तिजनक सामग्री डालकर, हमें-आपको अपराधी सिद्ध करा सकती है। इस प्रकार मोदी-सरकार की यह नीति दुतकार के योग्य है और देश की जनता को एक स्वर में उच्चतम न्यायालय के सम्मुख स्वयं को प्रस्तुत करना होगा।
आगामी लोकसभा-चुनाव में यदि मोदी पुन: सत्ता में आ गये तो देश की जनता का जीना दुर्भर हो जायेगा। अब लगने लगा है कि ‘न्यू इण्डिया’ की बात करनेवाले नरेन्द्र मोदी हम सबका जीवन नारकीय बनानेवाले हैं, इसलिए नरेन्द्र मोदी को ‘जनविरोधी’ घोषित कराने के लिए ‘न्यायालय’ की शरण में जाना अपरिहार्य और निरापद है। उच्चन्यायालय में अनुच्छेद २२६ के अन्तर्गत इस प्रकरण को हम ले जा सकते हैं।

(सर्वाधिकार सुरक्षित : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, इलाहाबाद; २१ दिसम्बर, २०१८ ईसवी)