दो घंटे तक किया गया इंतजार नहीं पहुंची एम्बुलेंस, निजी वाहन से लेजाते समय सड़क पर हो गया प्रसव

          शनिवार को हरदोई के सण्डीला में एक महिला ने भरी दोपहरी सड़क के किनारे एक बच्चे को जन्म दिया। कारण परिजनों ने एम्बुलेंस के लिए फोन किया और दो घंटे तक इंतजार किया जब एम्बुलेन्स नही आई तो निजी वाहन से अस्पताल लाया रहे थे उसी समय सड़क पर प्रसव हो गया। ये घटना देश में चल रही जननी योजनाओं को कठघरे में ला खड़ी करती है। सरकार बेटी आगे बढ़ाना चाहती है, पढ़ाना चाहती है, लेकिन जरा सोचिए, जब जननी ही सुरक्षित नहीं रहेगी तो बेटी कैसे आगे बढ़ेगी।
            घटना सण्डीला कोतवाली के रामनगर गांव की है।यहां वक्त पर एंबुलेंस नहीं पहुंची तो परिवार निजी वाहन से प्रसूता सुशीला पत्नी राम सेवक को लेकर डिलीवरी के लिए नजदीकी अस्पताल सण्डीला लेकर चल पड़ा, लेकिन बीच रास्ते में ही महिला को तेज दर्द होने लगा और उसे वाहन से उतारना पड़ा। जननी को बीच सड़क पर बिना किसी डॉक्टर या चिकित्सा सेवा के बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर होना पड़ा।
             परिजनों का आरोप है कि जब महिला को प्रसव पीड़ा हुई तो फोन एम्बुलेन्स को किया गया लेकिन करीब दो घंटे तक इंतजार किया गया लेकिन एम्बुलेन्स नही आई।इस बारे में जब सण्डीला सीएचसी अधीक्षक से बात की गई तो उन्होंने बताया गलती परिजनों की है।एम्बुलेन्स गांव के बाहर पहुंच गई और दो घण्टे खड़ी रही क्योंकि सड़क खराब थी जबकि परिजन घर तक वाहन लाने की जिद कर रहे थे।

              कारण चाहे जो हो लेकिन ये लापरवाही तब बरती जा रही है जब हमारे देश प्रसव के दौरान हर वर्ष सैकड़ों प्रसुताओं और नवजातों की मौत हो जाती है। डब्ल्यूएचओ ने एक रिपोर्ट जारी की थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में गर्भ या प्रसव के दौरान प्रतिवर्ष 1.36 लाख महिलाओं की मौत होती है अर्थात प्रत्येक पांच मिनट में एक महिला की मौत गर्भ या प्रसव के दौरान होने की बात कही गई है। यह ज्यादा मात्रा में खून बह जाने (ब्लीडिंग) के कारण होती है।