मै मंच से कह रहा हूँ कि मेरे शिष्य शाश्वत शर्मा को ‘समीक्षा अधिकारी’ बना देँ― रामभद्राचार्य

चित्रकूट (उत्तरप्रदेश) मे स्थित तुलसी-पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य ने विगत दिवस जयपुर (राजस्थान) मे आयोजित रामकथा विषय पर प्रवचन करने की अवधि मे उत्तरप्रदेशविधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना से आदेशात्मक स्वर मे कहा, “मै मंच से कह रहा हूँ कि मेरे शिष्य शाश्वत शर्मा को समीक्षा अधिकारी बना देँ। मुझे विश्वास है कि सतीश महाना जी ऐसा कर देँगे। अब मै दोबारा नहीँ कहूँगा।” ऐसा ज्ञात हुआ है कि इससे पहले भी रामभद्राचार्य ने अपने उसी शिष्य के लिए ‘समीक्षा अधिकारी’ की नौकरी की माँग की थी।

उल्लेखनीय है कि विगत कुछ दिनो से हमारे सहस्राधिक विद्यार्थीवृन्द ने समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी-पद के लिए आयोजित की जानेवाली परीक्षा मे पारदर्शी ढंग से परीक्षा कराने और भरती करने की माँग को लेकर प्रभावकारी आन्दोलन कर, उत्तरप्रदेश लोक सेवा आयोग के अधिकारियोँ को घुटने पर ला दिया है, वहीँ तथाकथित भगवाधारी हिन्दूवादी सनातनी धर्माचार्य लाखोँ हिन्दू विद्यार्थियोँ- अधिकारियोँ के अधिकार मारकर अपने एक शिष्य शाश्वत शर्मा के लिए सार्वजनिक रूप से नौकरी की माँग कर डाली है।

विगत कुछ वर्षोँ से समीक्षा अधिकारी और सहायक समीक्षा अधिकारी-परीक्षा मे नाना विसंगति देखी गयी हैँ। हमारे विद्यार्थी निरन्तर अध्ययन और अध्यवसाय कर रहे हैँ कि उन्हेँ सफलता मिल जाये और उधर कथित धर्माचार्य ने धर्म के आचरण का त्यागकर, अपने एक शिष्य-विशेष के लिए समस्त नियमो को भंग कराकर, ‘समीक्षा अधिकारी’ बनवाने की माँग करते हुए, उत्तरप्रदेश के विधानसभाध्यक्ष सतीश महाना से कर, परीक्षा और नियुक्ति-प्रक्रियाओँ पर गहरा प्रश्नचिह्न लगा दिया है।

◆ प्रथम चित्र-विवरण– आरोपित रामभद्राचार्य।
◆ द्वितीय चित्र-विवरण– दायीँ ओर खड़े पीला मालाधारी सतीश महाना।
(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १७ नवम्बर, २०२४ ईसवी।)