मत भूलो! इस देश मे जितना अधिकार हिन्दुओं का है उतना ही मुसलमानो का भी

आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

क्या यही ‘हिन्दुत्व’ है? यदि हाँ, तो इस हिन्दुत्व को इतनी गहराई मे दफ़्न कर देना चाहिए, जिससे कि शान्तिपूर्ण वातावरण विषाक्त बन न सके।

कुछ कथित हिन्दुओं के कुकृत्य को मोदी-योगी-शाह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिन्दू परिषद्, हिन्दूवाहिनी सेना, बजरंगदल, राज ठाकरे तथा हिन्दुत्व के नाम पर समाज मे घृणा का वातावरण बनाने-बनवानेवाले-वालियाँ सभी लोग आँखें खोलकर देखो।

यह कुत्सित घटना २ अप्रैल की है, जिस समय कथित हिन्दू-नववर्ष और नवरात्र के अवसर पर ‘हुड़दंगई’ के साथ ‘रामकलश-यात्रा’ निकाली जा रही थी। अचानक, गहमर-क्षेत्र मे कुबेर राय के समीप स्थित ‘दक्षिण जामा मस्जिद’ के पास पहुँचते ही ‘रामकलश-यात्रा’ को रोककर उस यात्रा मे शामिल युवकों मे से कुछ उस मस्जिद मे घुस गये। नीचे के चित्र मे एक मनबढ़ कथित हिन्दू उसी मस्जिद मे ‘भगवा’ झण्डा लहराते हुए दिख रहा है। उसने झण्डा लहराने के बाद ‘नंगा नाच’ भी दिखाया था और ‘जय श्री राम’ के नारे भी लगाये थे। क्या यह साम्प्रदायिक भावना भड़काने का काम नहीं है? क्या यह आतंक फैलाने का काम नहीं है? क्या यह अक्षम्य अपराध नहीं है? मस्जिद के ऊपर चढ़कर जो कथित हिन्दू-आतंकी भगवा लहरा रहे थे, उनके विरुद्ध अभी तक कौन-सी काररवाई की गयी है? और यदि नहीं तो क्यों? क्या ‘मोदी ऐण्ड कम्पनी’ ने उक्त गुण्डों को ‘दहशत’ फैलाने का ‘लाइसेंस’ दे रखा है? यदि नहीं, तो वे सभी आरोपित अभी तक गिरिफ़्तार क्यों नहीं हुए? सरकार की एस० आइ० टी० केवल मुसलमानो को यातना देने के लिए है? देश के मीडियाकर्मियों की इस कुकृत्य को दिखाने और इस पर ‘हुंकार’ भरने के पहले साँस थम चुकी थी?

अन्धभक्तो! मत भूलो; राजस्थान के ‘करौली’ क्षेत्र मे घटी घटना भी कथित हिन्दुओं के उन्मादी जुलूस निकालने और मुसलमानो के क्षेत्र मे जाकर उन्हें उकसाने के कुकृत्य और दुष्कृत्य का ही परिणाम था। वहाँ की काँग्रेस-सरकार को बदनाम करने के लिए ही ‘करौली-काण्ड’ कराया गया था।

यदि किसी मत-विशेष (हिन्दू) की एकपक्षीय सरकार इस देश मे निरंकुश होकर काम कर रही है तो इसका यह मतलब नहीं है कि अपना ‘गुण्डा-दर्शन’ एक सिरे से समस्त देशवासियों पर थोपे। भारतीय जनता पार्टी की ‘सिंगल’ और ‘डबल इंजिन’ की सरकारें केन्द्र और राज्यों मे जहाँ-जहाँ हैं वहाँ-वहाँ वे मनमाने ढंग से निर्णय करती आ रही हैं और क्रियान्वयन भी। इस देश मे जितना हिन्दुओं का अधिकार है उतना ही मुसलमानो का भी है।
मुसलमान यदि ‘अल्लाह’ को ही अपना ‘ईश्वर’ मानता है तो इसमे हिन्दुओं को आपत्ति क्यों? वह ‘अज़ान’ (‘नमाज़’ पढ़ने के लिए दी जानेवाली सूचना ) सुनकर यदि ‘नमाज़’ (ईश्वरीय प्रार्थना) पढ़ता है तो किसी दूसरे मतावलम्बी के पेट मे दर्द क्यों उठता है? हिन्दू थोक के भाव देवी-देवताओं को पूजते हैं तब तो कोई मुसलमान आपत्ति नहीं करता। तरह-तरह के मन्दिर-मठ हैं, वह तो कभी विरोध नहीं करता। देश मे जितने भी मज़ारात– पीर-फ़क़ीर के क़ब्र (‘मज़ार’ का बहुवचन) हैं, वहाँ सबसे अधिक हिन्दूमत के ही लोग जाते हैं; परन्तु मुसलमान-मतावलम्बी यह तो नहीं कहते– हिन्दुओं के मज़ारात को छूने से हमारे मज़ारात की मर्यादा नष्ट हो गयी?

आये-दिन ‘अखण्ड रामायण’ के नाम पर बेहूदे क़िस्म के फ़िल्मी गीतों पर तुलसीकृत ‘श्री रामचरितमानस’ का पाठ ‘किराये के गवैयों’ से रातभर कराये जाते हैं, जिससे आस-पास के लोग की नीद चौपट हो जाती है तथा विविध परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के अध्ययन मे बाधा पहुँचती है। इतना ही नहीं, ‘देवि-जागरण’ और तरह-तरह के ‘धार्मिक उपक्रम’ के नाम पर अवैध तरीके से चारों दिशाओं मे गलाफाड़ू लाऊडस्पीकर बजवाये जाते हैं और डी० जे० पर गीत गवाये जाते हैं तब तो एक भी मुसलमान विरोध नहीं करता है। ऐसे मे, यदि मुसलमान नमाज़ पढ़ते हैं तो कुछ ज़रूरत से ज़्यादा ‘हिन्दुताई’ प्रदर्शित करनेवालों-वालियों के सीने पर साँप लोटने लगते हैं।

निस्सन्देह, आवश्यकता से अधिक ‘शोर’ कष्टदायक है, इसलिए सभी मतावलम्बियों के लिए एक-जैसा नियम बनाने होंगे। रात्रि मे १० बजने के बाद किसी भी मत को, चाहें वह हिन्दू हो या फिर मुसलमान हो अथवा अन्य मत वाले हों, तेज़ आवाज़ मे कोई भी कथित ‘धार्मिक आयोजन’ नहीं करेंगे, इसे सार्वजनिक किया जाये।

भारतीय जनता पार्टी ऐसा कुछ न करे कि विश्व-इतिहास मे वह ऐसा दाग़दार अध्याय बन जाये कि वह दाग़ सदैव के लिए ‘अमिट’ बन जाये।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ८ अप्रैल, २०२२ ईसवी।)