
राम वशिष्ठ (युवाचिन्तक व फिल्म निर्देशक)–

किस्से है बलिदान के , साहस के और वीरता के , स्वधर्म पर मर मिटने के । क्या कर सकोगे हौसला उन बलिदानी , साहसी , वीरों के संघर्ष को सुनने का ? या फिर बने रहना चाहते हो वो घोचू , जिनको स्कूली पैदाइश के वक्त पिला दी गई थी सेक्युलिरिज्म की घुट्टी पर वो थी असल में दवा बेहोशी की । तुमको बना दिया गया था काम करने लायक मेहनती गधा और पैदायशी गधे बन गए थे तुम्हारे शासक । मैं सुनाने आया हूँ उसी षडयंत्र का एक – एक किस्सा ।
जब तुम्हारे बाप – दादाओं के भी बाप दादा नहीं झुके थे जबर जुल्म ओ सितम के आगे और गला दी थी हड्डियां , मांस और चमड़ी पर हिम्मत नहीं हारी थी तब की बात जो गायब कर दी गई थी किताबों से वो बात मैं तुम्हें सुनाने आया हूँ ।
जब तुम्हारे ज्ञान विज्ञान के स्रोत पुस्तकालय और विश्वविद्यालय जलाकर खाक कर दिये थे सनकी , आतंकी सुल्तानों ने , तब भी जो वीर नही झुके बस अडे रहे और बलिदान हो गए , उन वीरों की गाथाएं मैं तुम्हें सुनाने आया हूँ ।
मैं हिन्दू रक्त , मैं हिन्दू तन , मैं हिन्दू आत्मा , हे मेरे हिन्दू भाई मैं तुम्हें जगाने आया हूँ ।
क्या तुम सुनोगे वो किस्से जो मैं तुम्हें सुनाने आया हूँ ?