डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
‘डेरा सच्चा सौदा’ के सन्दर्भ में ‘हरियाणा-सरकार’ की सन्दिग्ध भूमिका चरणबद्ध तरीक़े से लक्षित हो रही है। यही कारण है कि ३५ दिनों के बाद भी राम रहीम की दत्तक पुत्री हनीप्रीत बन्दी नहीं बनायी जा सकी। दृष्टि में वस्तुपरकता लाने पर सुस्पष्ट हो जाता है कि ‘राम रहीम का दो साध्वियों के साथ किये गये बलात्कार-प्रकरण’ पर जब ‘सी०बी०आई० न्यायालय’ की ओर से सुनवाई और निर्णय करने का समय आया था तब सिरसा, पंचकूला आदिक संवेदनशील स्थानों पर ‘डेरा सच्चा सौदा’ के समर्थकों को ‘धारा १४०’ लागू होने के बाद भी ज्वलनशील पदार्थों, हथियारों आदिक के साथ पंजाब और हरियाणा के कई संवेदनशील क्षेत्रों में जाने दिया गया था। इतना ही नहीं, उन सभी डेराभक्तों के रहने और भोजन की भी व्यवस्था हरियाणा-सरकार ने करायी थी। आश्चर्य तब हुआ था जब न्यायालय में सुनवायी के समय अपने पक्ष को प्रस्तुत करने के लिए राम रहीम को उपस्थित होना था और सड़क-मार्ग से हूटर का प्रयोग करते हुए, अपने अंगरक्षकों और कट्टर समर्थकों के लगभग १०० वाहनों के साथ राम रहीम का दल निकल पड़ा था। उन पर निगरानी करने और अपने गुप्तचर संघटन को सतर्क करने की आवश्यकता न तो हरियाणा की सरकार और न ही केन्द्र की सरकार ने समझी थी। अन्तत:, राम रहीम के विरोध में निर्णय सुनाने के बाद जो विध्वंसक गतिविधियाँ देखी गयीं, उनसे सारा देश प्रभावित था परन्तु हरियाणा-सरकार सोती रही। जब एक स्वर में हरियाणा-सरकार के निकम्मेपन और उसकी मक्कारी पर सारा देश थूकने लगा तब उसकी आँखें कुछ-कुछ खुलती-सी दिखीं।
इस सारे प्रकरणों में अपनी निष्क्रिय भूमिका के कारण हरियाणा-शासन, हरियाणा-प्रशासन तथा हरियाणा-पुलिसप्रशासन एक सिरे से अपराधी है, अन्यथा हिंसात्मक और विध्वंसात्मक गतिविधियाँ होती ही नहीं।
प्रश्न हैं, हरियाणा-पुलिसप्रशासन ने जो एफ०आई० आर० दर्ज़ किया है, उसमें राम रहीम का नाम क्यों नहीं है? जब हरियाणा-शासन और पुलिस-प्रशासन को मालूम था कि राम रहीम की सबसे बड़ी कमज़ोर कड़ी ‘हनीप्रीत’ है तब उसे उन्मुक्त क्यों छोड़ा गया है? २८ अगस्त, २०१७ ई० को हनीप्रीत के विरुद्ध हरियाणा-पुलिस ने ‘देशद्रोह’ का मुक़द्दमा दर्ज़ कर लिया था तब उसे बन्दी क्यों नहीं किया गया था, जबकि वह मुक्त भाव से डेरे में गयी और वहाँ से करोड़ों रुपये, महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़, अन्य सामग्री आदिक लेकर फुर्र हो गयी? २८ सितम्बर, २०१७ ई० को यानी घटना के एक माह के बाद हरियाणा-पुलिस ने हनीप्रीत को पुलिस अथवा न्यायालय में शीघ्र आत्मसमर्पण करने की चेतावनी क्यों दी है? ‘डेरा सच्चा सौदा’ की प्रवक्त्री विपश्यना-सहित आदित्य इंसाँ, पवन इंसाँ, सन्दीप मिश्रा आदि से पुलिस-अभिरक्षा में पूछ-ताछ क्यों नहीं की जा रही है? इन सारे प्रवक्ताओं पर गुप्तचर संघटन की नज़रें क्यों नहीं बनी रहीं? ‘समर्थकों’ को भड़कानेवाले डेरा सच्चा सौदा’ के समाचार-मुद्रण पर अभी तक प्रतिबन्ध क्यों नहीं लगाया गया? हरियाणा के खेलमन्त्री क्यों कह रहा है : पंचकूला में डेरा-समर्थकों की आतंकी गतिविधियों के दौरान मारे गये डेरा-समर्थकों को आर्थिक सहायता की जानी चाहिए? शिक्षामन्त्री रामविलास शर्मा सालों से राम रहीम की आर्थिक सहायता क्यों करता आ रहा था? अभी तक हरियाणा का मुख्य मन्त्री मौन क्यों बना हुआ है? डेरा सच्चा सौदा’ की जाँच करने और खँगालने के लिए घटना होने के बहुत दिनों-बाद क्यों अनुमति दी गयी? हनीप्रीत जब दिल्ली में छुपी थी तब हरियाणा-पुलिस ने उसे नेपाल भाग जाने और वहाँ देखे जाने का समाचार किस आधार पर दिया था? १ सितम्बर, २०१७ ई० को हनीप्रीत के विरुद्ध ‘लुक-आऊट’ जारी करने के बाद हरियाणा-पुलिस की कैसी सक्रियता रही? लगभग ४० दिनों से हरियाणा-पुलिस को खुली निगाहों से अँगूठे दिखा रही हनीप्रीत को ईमानदारी के साथ ढूँढ़ने का साहस वहाँ का पुलिस-प्रशासन नहीं बटोर पा रहा है! आश्चर्य का ही विषय तो है? नियमत: अभी तक हनीप्रीत को ‘भगोड़ी’ घोषित कर उसकी निजी सम्पदा की कुर्की करा देनी चाहिए थी परन्तु डी०जी०पी० अब भी मेहरबान बना हुआ है, क्यों?
भले हरियाणा-शासन और पुलिस-प्रशासन हनीप्रीत को गर्हित संरक्षण दे रहा हो फिर भी यह सुनिश्चित है कि हनीप्रीत क़ानूनी फन्दे में उलझ चुकी है। उस पर कई धाराएँ : १२०-बी, १४५, १५०,१५२ तथा १५३ लगायी जा चुकी हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय में ‘अग्रिम ज़मानत’ की याचिका पर सुनवाई के समय शासकीय अधिवक्ता और सम्बन्धित न्यायाधीश ने हनीप्रीत के अधिवक्ता से जो प्रश्न-प्रतिप्रश्न किये थे, उनसे सुस्पष्ट हो चुका है कि हनीप्रीत के पास ‘आत्मसमर्पण’ करने के अतिरिक्त अन्य कोई निरापद विकल्प नहीं दिखता। वैसे हनीप्रीत को मालूम हो चुका है कि उसके गले में क़ानून का फन्दा पड़ चुका है; सिर्फ़ उसे खींचकर न्यायालय में लाने का समय शेष रह गया है। यही कारण है कि हनीप्रीत के परिवारवालों की बन्द आँखें अब खुली हैं और वे उससे ‘समर्पण’ करने का सन्देश दे रहे हैं। उसके मामा हनीप्रीत को ‘अबोध’ और ‘सीधी-सादी’ लड़की बता रहे हैं। अब वहीं यह तथ्य उजागर हुआ है कि हनीप्रीत ने राम रहीम के स्थान पर स्वयं को अपने वास्तविक पिता की पुत्री बताया है, जो कि उसकी कोई ‘नयी चाल’ हो सकती है।
…. और अब जब ‘डेरा सच्चा सौदा’ के मठाधीश राम रहीम और हनीप्रीत के बीभत्स सम्बन्धों का सत्य का विधिवत् अनावरण कर दिया गया है तब ‘डेरा सच्चा सौदा’ के २०० समर्थकों के आत्मघाती दल ‘क़ुरबानी गैंग’ ने रक्तिम खेल खेलने की धमकी दे डाली है। इनमें कई समाचार-चैनलों को राम रहीम और हनीप्रीत के घिनौने कृत्यों को सप्रमाण दिखाने और चैनलों पर आकर ‘डेरा सच्चा सौदा’ की सचाई को बतानेवाले पूर्व-सेवादार हैं, जिन्हें चुन-चुनकर मार डालने की धमकी दी गयी है। दो दिनों-पूर्व राम रहीम के आत्मघाती दल के कुछ सदस्यों को बड़ी धनराशि के साथ बन्दी बना लिया गया था। उनसे मालूम हुआ है कि वह धनराशि आत्मघाती दल के परिवारवालों को जीने-खाने के लिए दी जानी थी। स्मरणीय है, यह वही ‘क़ुरबानी दल है, जिसका गठन वर्ष २००२ में दो साध्वियों के अपने साथ राम रहीम-द्वारा किये गये बलात्कार की शिकायत दर्ज़ कराने के बाद आरोपियों के विरुद्ध गठन किया गया था।
बहरहाल, यदि हरियाणा में ऐसा कुछ घटा तो हरियाणा के मुख्य मन्त्री की बिदाई तय है। वैसे भी वर्णिका कुण्डू से लेकर प्रद्युम्न हत्याकाण्ड आदिक कई आपराधिक गतिविधियों के कारण मुख्य मन्त्री मनोहर लाल खट्टर और उनके कई मन्त्री न्यायिक कटघरे में पहले से ही हैं।
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