उत्तरप्रदेश-उपचुनाव का गिरगिटिया चरित्र!

— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

गिरते-पड़ते उत्तरप्रदेश की सात सीटों पर कुल मतदान-प्रतिशत ५० से ५५ रहा है। इस मतदान-प्रतिशत से मतदाताओं की उदासीनता साफ़ तौर पर सामने आ गयी है। ये चुनाव देवरिया, उन्नाव, बुलन्दशहर, अमरोहा के नौगावाँ सादात, फ़िरोज़ाबाद के टुण्डला, कानपुर के घाटमपुर तथा जौनपुर की मल्हनी में कराये गये थे।

उल्लेखनीय है कि ”हमारे गाँव का विकास नहीं तो मतदान नहीं’ की आवाज़ बलन्द करते हुए, बलन्दशहर और उन्नाव के अनेक ग्रामीण क्षेत्रों के मतदाता घर से निकले ही नहीं। नौगावाँ सादात से एक गाँव के मतदाता घर से निकले ही नहीं। इस कारण वह मतदान-केन्द्र ‘विधवा-विलाप’ करता-जैसा दिख रहा था। मतदाताओं की यही चुप्पी संकेत कर रही है कि आगामी १० नवम्बर को घोषित किये जानेवाले चुनाव-परिणाम ‘अप्रत्याशित’ भी हो सकते हैं। यहाँ यह भी विचारणीय है कि सामान्य मतदान-प्रतिशत से बहुत कम प्रतिशत के मतदान तीनों दलों की नींद हराम करने के लिए पर्याप्त है।

हर बार की तरह से इस बार भी ‘ई० वी० एम०’ ख़राबी की सूचना मिली थी। देवरिया, कानपुर, बुलन्दशहर आदिक ज़िलों में सोलह स्थानों की ई० वी० एम० अचानक ख़राब हो गयी थीं; कहीं सही की गयी थीं तो कहीं बदली गयी थीं। विपक्षियों का आरोप है कि सरकार ने मतदान-परिणाम को प्रभावित करने के लिए ई० वी० एम० ख़राबी का सहारा लिया है।

बहरहाल, छिट-पुट घटनाओं और आरोप-प्रत्यारोप को छोड़ दें तो मतदान-कार्य सम्पन्न हो चुका है। दिलचस्प बात यह है कि अब सभी ८८ प्रत्याशी साढ़े छ: दिनों तक करवटें बदलते रहेंगे।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ३ नवम्बर, २०२० ईसवी।)